November 17, 2025

बेतिया में मां ने प्रेमी से बात करने पर डांटा तो नाबालिक बेटी ने की आत्महत्या, परिवार में कोहराम, जांच में जुटी पुलिस

बेतिया। बिहार के पश्चिम चंपारण जिले के बेतिया मुफस्सिल थाना क्षेत्र से एक दर्दनाक घटना सामने आई है। यहां पिपरा चौक में रहने वाली 15 वर्षीय नाबालिग लड़की सुजाता शर्मा ने कथित रूप से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। इस घटना ने पूरे इलाके को हिला दिया है और परिवारजन गहरे सदमे में हैं। मृतका के पिता ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि उनकी बेटी रात में मोबाइल फोन पर किसी युवक से बातचीत कर रही थी। बातचीत सोशल मीडिया के जरिए हो रही थी। इस दौरान उसकी मां ने जब उसे टोका और डांटा तो उसने फोन रख दिया। घर में सामान्य स्थिति बनी रही लेकिन अगले ही दिन यह हादसा हो गया। सुबह के समय जब परिवार के सदस्य अपने काम से बाहर गए हुए थे, तभी सुजाता ने घर में फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। जब तक परिजन लौटे और उसे स्थानीय डॉक्टर के पास ले जाया गया, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया और परिजनों को शव को दफनाने की सलाह दी। इस घटना की जानकारी स्थानीय ग्रामीणों ने पुलिस को दी। सूचना मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्र से बाहर निकलवाकर अपने कब्जे में लिया। इसके बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए बेतिया जीएमसीएच (GMCH) भेज दिया गया। हालांकि, पुलिस ने अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। जांच जारी है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही आत्महत्या के पीछे की सच्चाई साफ हो सकेगी। सुजाता का परिवार मूल रूप से सिवान जिले का रहने वाला है। करीब 14-15 सालों से वे पिपरा चौक में किराए के मकान में रहकर स्थानीय बाजार में कारोबार कर रहे हैं। मेहनतकश इस परिवार ने कभी सोचा भी नहीं था कि अचानक ऐसी त्रासदी उन पर टूट पड़ेगी। घटना के बाद से पूरे परिवार में कोहराम मचा हुआ है। यह घटना न केवल पारिवारिक अनुशासन और पीढ़ीगत मतभेदों की ओर इशारा करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि आज की किशोर पीढ़ी सोशल मीडिया और मोबाइल फोन की दुनिया में किस हद तक उलझ चुकी है। मामूली डांट-फटकार भी मानसिक तनाव का कारण बन जाती है और बच्चे भावनात्मक असंतुलन की स्थिति में बड़ा कदम उठा लेते हैं।बेतिया की यह घटना समाज के लिए एक गहरी सीख है। माता-पिता और बच्चों के बीच संवाद की खाई ऐसी स्थितियों को जन्म देती है। यदि परिवार के सदस्य बच्चों की भावनाओं को समझें और उन्हें मार्गदर्शन दें तो शायद ऐसी दुखद घटनाओं से बचा जा सकता है। पुलिस की जांच आगे क्या खुलासा करती है, यह देखने वाली बात होगी, लेकिन इतना निश्चित है कि सुजाता की आत्महत्या ने समाज को सोचने पर मजबूर कर दिया है।

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