बिहार की विरासत मदरसा शम्सुल होदा शिक्षण संस्थान को नीतीश सरकार से बचाने की अपील

पटना। युवा राजद के प्रदेश अध्यक्ष मो. कारी सोहैब ने बिहार के सबसे बड़े शिक्षण संस्थान जो सौ साल से भी अधिक पुराने बिहार की विरासत (मदरसा शम्सुल होदा) को नीतीश सरकार से बचाने की मांग की है। साथ ही कहा है कि मदरसा शम्सुल होदा शिक्षण संस्थान के प्रति नीतीश-भाजपा सरकार की उदासीनता किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। इसकी लड़ाई लड़ने के लिए न्यायालय तक भी जाना पड़ेगा तो जाएंगे।
मदरसा में 11 पद रिक्त
मो. सोहैब ने कहा कि शम्सुल होदा मदरसे के प्राथमिक सेक्शन में केवल एक टीचर है, जो जनवरी 2022 में रिटायर हो जायेंगे। जबकि 11 पद यहां रिक्त पड़े हैं। सीनियर सेक्शन में बीपीएससी द्वारा बहाली होती है, यहां 9 टीचर में केवल तीन टीचर है। जूनियर और हाई में क्लर्क, वार्ड बॉय आदि की सीट भी रिक्त है। लेकिन सरकार इन रिक्तियों को भरने का नाम नहीं ले रही है।
राज्य की विरासत को बचाने की अपील
मो. सोहैब ने आगे कहा कि इस मदरसे का योगदान देश की आजादी से लेकर आज तक है। आज इस मदरसे का शिक्षक के आभाव के कारण शैक्षणिक स्तर पूरी तरह खत्म हो चुका है। इसलिए मुख्यमंत्री को चिठ्ठी भेज रहा हूं और विनम्र अपील करता हूं कि राजनीतिक द्वेष से ऊपर उठकर राज्य की विरासत को बचाने और मदरसा शम्सुल होदा को बदहाली से निजात दिलाने के लिए तत्काल ठोस कदम उठाएं।
सीएम नीतीश से पूछा सवाल
साथ ही मो. सोहैब ने सीएम नीतीश कुमार से पूछा है कि प्लानिंग कमीशन के 11वी पांच वर्षीय योजना में मदरसा के विकास के लिए दिए गए 325 करोड़ रुपये का इस्तेमाल कहां हुआ? यह बिहार की अवाम जानना चाहती है। अल्पसंख्यकों की शिक्षा के लिए बनी कमिटी ने अपने रिपोर्ट में मदरसा को एनआईओएस बोर्ड से लिंक करने के लिए सिफारिश की थी। उसके बावजूद इस पर कोई ध्यान नहीं, इसके लिए कौन जिम्मेदार है? स्कीम के तहत मदरसा के विकास के लिए मदरसा में कार्यरत विभिन्न विषयों के शिक्षकों को समय-समय पर ट्रेनिग की व्यवस्था की जानी थी ? क्या कभी किसी मदरसा के शिक्षकों को ट्रेनिंग मिली? इन सारे सवालों का जवाब अवाम चाहती है।
