पटना में बंगाल की महिला का शादी का झांसा देकर यौन शोषण, अब तक दर्ज नहीं हुई एफआईआर, न्याय की लगाई गुहार

पटना। पटना से एक बेहद संवेदनशील और चिंता बढ़ाने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक महिला ने शादी का झांसा देकर यौन शोषण किए जाने का आरोप लगाया है। यह मामला सिर्फ सामाजिक नहीं, बल्कि कानूनी व्यवस्था पर भी सवाल खड़े करता है। पीड़िता पश्चिम बंगाल की रहने वाली है और पिछले दो साल से न्याय के लिए भटक रही है, लेकिन अब तक उसकी प्राथमिकी दर्ज नहीं हो सकी है।
फूड ट्रैक में काम के दौरान बना संबंध
घटना की शुरुआत मार्च 2023 से हुई जब पीड़िता पटना जंक्शन स्थित एक फूड ट्रैक रेस्टोरेंट में वेटर के तौर पर काम कर रही थी। कुछ ही समय बाद रेस्टोरेंट के मालिक ने उसे अपने प्रेम में फंसा लिया और शादी करने का वादा कर संबंध बनाने लगा। पीड़िता का आरोप है कि मालिक ने न केवल उससे संबंध बनाए, बल्कि उसके परिवार से भी शादी का वादा किया था, जिससे वह पूरी तरह भरोसे में आ गई।
एक के बाद एक होटल और फिर इनकार
महिला ने बताया कि पहली बार उसे 22 अप्रैल 2023 को गोला रोड स्थित एक होटल में ले जाया गया, जहां उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए गए। इसके बाद 15 जून और 30 जून को भी उसे उसी होटल में ले जाकर यौन शोषण किया गया। बाद में वह उसे बोरिंग रोड स्थित एक अज्ञात स्थान पर भी ले गया, जहां 11 सितंबर, 25 सितंबर और 29 अक्टूबर 2023 को उसने संबंध बनाए। जब महिला ने शादी की बात की तो आरोपी ने साफ इनकार कर दिया और उसे काम से भी निकाल दिया।
बेरहमी से निकाला और धमकी दी
नवंबर 2023 में आरोपी ने महिला को न केवल काम से निकाला, बल्कि उसे धक्के देकर फूड ट्रैक से बाहर भी कर दिया। आरोपी ने तब यह भी कहा कि उसे सिर्फ शारीरिक संबंध बनाने थे, शादी करने का कोई इरादा नहीं था। इस अपमान और पीड़ा से टूट चुकी महिला न्याय की तलाश में जीआरपी, फुलवारी और महिला थानों के चक्कर काटती रही, मगर कहीं भी उसकी बात नहीं सुनी गई।
वन स्टॉप सेंटर की मदद से उम्मीद की किरण
न्याय की आस में महिला अब पटना के ‘सखी वन स्टॉप सेंटर’ पहुंची है। सेंटर की काउंसलर शिल्पी कुमारी ने बताया कि पीड़िता का आवेदन लिया गया है और आरोपियों को नोटिस भी भेजा गया, लेकिन उन्होंने नोटिस लेने से भी इनकार कर दिया। आरोपी ने यहां तक कहा कि वह कहीं नहीं जाएगा और जो करना है कर लो।
कानूनी प्रक्रिया में उलझी पीड़िता की फरियाद
सेंटर के सहयोग से जीआरपी और फुलवारी थाने गए, लेकिन वहां से महिला थाने का हवाला देकर जिम्मेदारी टाल दी गई। फुलवारी थाने को रेफर करने के लिए आवेदन दिया गया है, जिससे मामले को सही कानूनी प्रक्रिया में लाया जा सके। इस पूरे घटनाक्रम में सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि इतने गंभीर आरोपों के बावजूद अब तक एफआईआर दर्ज नहीं हो सकी है।
न्याय की प्रतीक्षा में पीड़िता
पीड़िता का कहना है कि उसके पास सभी सबूत हैं, बावजूद इसके उसे न्याय नहीं मिल रहा है। उसका कहना है कि वह बेसहारा है और पिछले दो वर्षों से मानसिक और सामाजिक उत्पीड़न झेल रही है। अब उसकी अंतिम उम्मीद यही है कि वन स्टॉप सेंटर और संबंधित पुलिस विभाग मिलकर उसकी फरियाद को कानूनी रूप दें और आरोपी को कानून के शिकंजे में लाएं। यह मामला न केवल एक महिला के साथ हुए अन्याय की कहानी है, बल्कि यह सिस्टम की उन खामियों को भी उजागर करता है जो पीड़ित को न्याय दिलाने की राह में बाधा बन जाती हैं।
