December 5, 2025

बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र संपन्न, स्पीकर ने अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया सदन

पटना। बिहार विधानसभा का पांच दिवसीय शीतकालीन सत्र शुक्रवार को औपचारिक रूप से समाप्त हो गया। अंतिम दिन सदन में पक्ष और विपक्ष के बीच हल्का वाद–प्रतिवाद जरूर देखने को मिला, लेकिन कार्यवाही शांतिपूर्ण ढंग से आगे बढ़ी। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष प्रेम कुमार ने 18वीं बिहार विधानसभा के इस शीतकालीन सत्र का अवसान घोषित किया और सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया।
नए वर्ष के लिए स्पीकर की शुभकामनाएँ
सत्र के समापन की घोषणा करते हुए स्पीकर प्रेम कुमार ने सभी सदस्यगणों को आगामी वर्ष 2026 की अग्रिम शुभकामनाएँ दीं। उन्होंने कहा कि आने वाला वर्ष बिहार के विकास, जनकल्याण और राजनीतिक संवाद को नई दिशा दे। उनका कहना था कि लोकतंत्र का सार स्वस्थ और सार्थक बहस में निहित है, और उम्मीद की जानी चाहिए कि आगामी सत्र इसी भावना को आगे बढ़ाएगा।
अगले वर्ष होगा नया सत्र
शीतकालीन सत्र के समापन के साथ ही यह स्पष्ट हो गया है कि अब विधानसभा की अगली बैठक वर्ष 2026 में आयोजित की जाएगी। इस नए सत्र में कई महत्वपूर्ण एजेंडा—जैसे बजट प्रस्तुतिकरण, विधायी प्रस्ताव और नीति संबंधी महत्वपूर्ण चर्चाएँ शामिल होंगी। नए साल का पहला सत्र आमतौर पर राजनीतिक रूप से भी अहम होता है, इसलिए इसकी तैयारी सरकार और विपक्ष दोनों की ओर से अभी से शुरू होने की संभावना है।
सत्र का अंतिम दिन—राजनीतिक गर्माहट बरकरार
हालांकि सत्र का आखिरी दिन औपचारिकताओं से भरा होता है, लेकिन शुक्रवार को भी सदन में राजनीतिक रंग साफ दिखाई दिया। विपक्ष ने सरकार की आर्थिक नीतियों, पूरक बजट और प्रशासनिक कार्यों को लेकर अपनी नाराजगी जताई। उन्होंने कई मुद्दों पर सवाल उठाए और सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की। इसके जवाब में सत्ता पक्ष ने भी पूरी शक्ति के साथ अपनी नीतियों का बचाव किया और विपक्ष के आरोपों को राजनीतिक भ्रम फैलाने की रणनीति बताया। दोनों ओर से आए तर्क, कटाक्ष और प्रतिउत्तर ने सदन के माहौल को पल–पल गर्म बनाए रखा।
लोकतांत्रिक बहस में मर्यादा का संदेश
समापन वक्तव्य में विधानसभा अध्यक्ष ने सभी दलों को संयम की सलाह देते हुए कहा कि मतभेद लोकतंत्र का स्वाभाविक हिस्सा हैं, लेकिन बहस मर्यादा और संसदीय मर्यादाओं के दायरे में होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि “विरोध अपनी जगह है, लेकिन लोकतंत्र का तकाज़ा है कि संवाद सम्मानजनक हो।” स्पीकर ने यह भी कहा कि सत्र के दौरान सीमित समय के बावजूद आवश्यक विधायी कार्य पूरे किए गए और यह पूरे सदन की सामूहिक जिम्मेदारी और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
पूरा सत्र—राजनीतिक बहसों और विधायी कार्यों का मिश्रण
पांच दिनों के इस शीतकालीन सत्र में कई महत्वपूर्ण चर्चाएँ हुईं। सरकार की ओर से जनकल्याण योजनाओं, रोजगार, कानून-व्यवस्था और वित्तीय प्रबंधन से जुड़े मसले उठाए गए। वहीं विपक्ष ने इन मुद्दों पर सरकार को चुनौती देते हुए कहा कि ज़मीनी स्तर पर हालात अपेक्षित रूप से बेहतर नहीं हैं। इस सत्र में पूरक बजट भी पेश किया गया, जिस पर व्यापक बहस हुई। सदन में कई विधेयकों को पास किया गया और कई विभागों की रिपोर्टें पटल पर रखी गईं। राजनीतिक गरमाहट के बावजूद विधायी कार्य सुचारू रूप से चलते रहे।
शीतकालीन सत्र 2025—अब दर्ज होगा इतिहास में
इस सत्र के स्थगन के साथ ही बिहार विधानसभा का शीतकालीन सत्र 2025 इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया। यह सत्र राजनीतिक रूप से काफी सक्रिय रहा—जहाँ एक ओर सरकार ने अपनी उपलब्धियाँ गिनाईं, वहीं दूसरी ओर विपक्ष ने कई मुद्दों पर सरकार को घेरा। अब बिहार की राजनीति की अगली गूंज वर्ष 2026 में सुनाई देगी, जब नए प्रस्तावों, नए विधेयकों और नई बहसों के साथ आगामी सत्र का आगाज़ होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य की राजनीति अगले वर्ष किस दिशा में कदम बढ़ाती है और विभिन्न मुद्दों पर सरकार व विपक्ष किस तरह अपनी रणनीति निर्धारण करते हैं।

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