मुजफ्फरपुर में जहरीली शराब से दूसरी मौत, दो की हालत गंभीर, मचा हड़कंप

मुजफ्फरपुर। बिहार में एक बार फिर जहरीली शराब का कहर देखने को मिला है, जिससे दो लोगों की मौत हो गई और दो अन्य की हालत गंभीर बनी हुई है। मृतकों की पहचान श्याम सहनी और मुकेश सहनी के रूप में हुई है, जबकि तीन अन्य लोगों की आंखों की रोशनी जा चुकी है। यह दुखद घटना मुजफ्फरपुर में हुई, जहां मिलावटी शराब पीने के बाद लोगों की तबीयत बिगड़ी। राज्य में इस तरह की घटनाओं के लगातार बढ़ने से नीतीश कुमार सरकार की शराबबंदी नीति पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
जहरीली शराब से फिर मौतें, मुजफ्फरपुर में मचा हड़कंप
मुजफ्फरपुर में जहरीली शराब से दो लोगों की मौत के बाद हड़कंप मच गया है। इस घटना से पहले सीवान और छपरा में भी मिलावटी शराब के सेवन से लोगों की जान जा चुकी थी। इस बार श्याम सहनी और मुकेश सहनी नामक व्यक्तियों की मौत हुई है, जबकि दो लोग गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती हैं। इसके अलावा तीन लोगों की आंखों की रोशनी भी चली गई है, जिससे उनकी स्थिति बेहद चिंताजनक है। सभी ने एक मुर्गा पार्टी के दौरान मिलावटी शराब का सेवन किया था, जिसके बाद उनकी तबीयत खराब हो गई। यह घटना इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि इससे पहले बुधवार को मुजफ्फरपुर में एक युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी, जिसमें जहरीली शराब का शक जताया जा रहा था। अब गुरुवार को फिर से दो मौतें होने से यह स्पष्ट हो गया है कि राज्य में अवैध शराब का कारोबार बदस्तूर जारी है और लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं।
छपरा में भी जहरीली शराब से मौत
मुजफ्फरपुर की घटना से पहले छपरा जिले के ब्राहिमपुर गांव में भी एक व्यक्ति की मौत जहरीली शराब के सेवन से हो चुकी है। मृतक का इलाज पटना के पीएमसीएच अस्पताल में चल रहा था, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। यह घटना भी राज्य में अवैध शराब के बढ़ते प्रकोप की ओर इशारा करती है।
नीतीश कुमार की शराबबंदी पर सवाल
बिहार में नीतीश कुमार की सरकार ने 2016 में शराबबंदी लागू की थी, जिसे राज्य के विकास और सामाजिक सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम माना गया था। लेकिन हाल के वर्षों में जहरीली शराब से होने वाली मौतों की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जिससे इस नीति की सफलता पर सवाल उठ रहे हैं। शराबबंदी के बावजूद राज्य में अवैध रूप से शराब का कारोबार फल-फूल रहा है और इससे जुड़ी घटनाओं में लोगों की जान जा रही है। इस बार भी मुजफ्फरपुर की घटना ने नीतीश कुमार सरकार की शराबबंदी नीति को कठघरे में खड़ा कर दिया है। विपक्ष, मीडिया और आम जनता सरकार से पूछ रही है कि आखिर क्यों शराबबंदी के बावजूद राज्य में जहरीली शराब का कारोबार पनप रहा है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि इतनी मौतें होने के बावजूद सरकार क्यों इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठा रही है।
राजनीतिक दबाव और चुनावी चुनौतियां
बिहार में 2025 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, और इससे पहले नीतीश कुमार सरकार पर कई मोर्चों पर दबाव बढ़ रहा है। शराबबंदी का मुद्दा एक समय में मुख्यमंत्री का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता था, लेकिन अब इस पर सवाल उठने लगे हैं। अगर सरकार जहरीली शराब की इन घटनाओं को रोकने में विफल रहती है, तो इसका राजनीतिक नुकसान एनडीए गठबंधन को उठाना पड़ सकता है। विपक्ष इस मुद्दे को लेकर सरकार पर लगातार हमला कर रहा है। राज्य के कई हिस्सों में हो रही इन घटनाओं ने न केवल नीतीश कुमार की छवि को धक्का पहुंचाया है, बल्कि शराबबंदी की नीति की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्षी पार्टियां इसे चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में हैं और जनता के बीच इसे बड़े पैमाने पर उठाने की योजना बना रही हैं।
सरकार की नीतियां और चुनौतियां
सरकार की ओर से अब तक इन घटनाओं के खिलाफ कड़े कदम उठाने की बात की गई है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर इसका असर नहीं दिख रहा है। अवैध शराब के कारोबार पर लगाम लगाने के लिए प्रशासन ने कई बार अभियान चलाए हैं, लेकिन इनका प्रभाव सीमित ही रहा है। जब तक पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की सख्ती और निगरानी बढ़ाई नहीं जाती, तब तक इस समस्या का समाधान संभव नहीं दिखता। शराबबंदी के कारण अवैध शराब की मांग और आपूर्ति का एक समानांतर ढांचा तैयार हो गया है, जो समाज के गरीब और वंचित तबकों को सबसे ज्यादा प्रभावित कर रहा है। इन घटनाओं से साफ हो जाता है कि अवैध शराब का कारोबार राज्य में न केवल कानून-व्यवस्था के लिए चुनौती है, बल्कि समाजिक और स्वास्थ्य समस्याओं को भी बढ़ावा दे रहा है। मुजफ्फरपुर में जहरीली शराब से दो लोगों की मौत और अन्य की गंभीर स्थिति ने राज्य में शराबबंदी की नीति की खामियों को उजागर कर दिया है। जहरीली शराब का कारोबार राज्य में कई परिवारों को तबाह कर रहा है और सरकार के लिए यह एक गंभीर चुनौती बनता जा रहा है। आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए अगर सरकार इस मुद्दे पर सख्त कदम नहीं उठाती, तो इसका राजनीतिक नुकसान एनडीए गठबंधन को हो सकता है। जनता की जान और सुरक्षा के प्रति सरकार को और अधिक जिम्मेदार और सतर्क होने की आवश्यकता है, ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके और राज्य में शराबबंदी की नीति का सही मायने में पालन हो सके।
