December 17, 2025

नालंदा में ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार के काफिले पर हमला, बाल-बाल बचे, कई पुलिसकर्मी घायल

नालंदा/पटना। बिहार की कानून व्यवस्था एक बार फिर सवालों के घेरे में है। राजधानी पटना में हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के काफिले पर हुए पथराव की घटना के बाद अब राज्य के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार की सुरक्षा को भी भीड़ के गुस्से का सामना करना पड़ा। नालंदा जिले में मंगलवार को मंदिर श्रवण कुमार का काफिला आक्रोशित भीड़ के बीच फँस गया। भीड़ ने न केवल काफिले को घेर लिया, बल्कि उस पर हमला कर सुरक्षाबलों के लिए हालात को और मुश्किल बना दिया। इस दौरान कई पुलिसकर्मी घायल हो गए जबकि सुरक्षाकर्मियों की मुस्तैदी और सतर्कता के चलते मंत्री श्रवण कुमार घटना में सुरक्षित बच निकले। जानकारी के मुताबिक, यह घटना नालंदा जिले के हिलसा-स्टेट हाईवे पर हुई। कुछ दिन पहले इसी मार्ग पर एक दर्दनाक सड़क हादसे में 9 लोगों की मौत हो गई थी। इस हादसे ने स्थानीय लोगों को गुस्से और आक्रोश से भर दिया था। हादसे के पीड़ित परिजनों से मिलने और उन्हें ढांढ़स बंधाने मंगलवार को जब ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार पहुंचे, तब अचानक वहां मौजूद भीड़ उग्र हो उठी। लोगों ने काफिले को घेर लिया और नारेबाजी शुरू कर दी। देखते ही देखते स्थिति बिगड़ गई और भीड़ ने काफिले पर पथराव कर दिया। मंत्री के साथ मौक़े पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों और पुलिस बल ने तुरंत एहतियात बरतते हुए मंत्री श्रवण कुमार को बाहर निकालने की कोशिश की। इस दौरान अफरा-तफरी मच गई और कई पुलिसकर्मी चोटिल हो गए। चश्मदीदों के अनुसार, उग्र भीड़ सिर्फ नारेबाजी और पथराव पर ही नहीं रुकी, बल्कि काफी दूर तक मंत्री श्रवण कुमार के काफिले का पीछा करती रही। सुरक्षाबलों ने किसी तरह हालात को नियंत्रण में लेकर मंत्री को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। मंत्री को किसी प्रकार की शारीरिक चोट नहीं आई, लेकिन पूरे घटनाक्रम ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। ध्यान देने वाली बात यह है कि श्रवण कुमार का संबंध खुद नालंदा जिले से है। वह नीतीश कुमार के बेहद करीबी माने जाते हैं और लंबे समय से राजनीति में सक्रिय हैं। ऐसे में उनके ही गृह जिले में काफिले पर इस तरह का हमला होना गंभीर माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह घटना जनता के गुस्से और निराशा की गहराई को दर्शाती है। यह घटना उस समय और भी संवेदनशील हो जाती है जब हाल ही में पटना में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय के काफिले पर भीड़ ने हमला किया था। वहां मामला एक भाई-बहन की सड़क दुर्घटना में मौत का था। आक्रोशित लोग अटल पथ पर प्रदर्शन कर रहे थे और इसी बीच जब मंगल पांडेय का काफिला वहां से गुज़रा, तो अचानक भीड़ ने पथराव शुरू कर दिया। उस मामले में भी मंत्री किसी तरह घटनास्थल से सुरक्षित बाहर निकल पाए थे। लगातार राज्य मंत्रियों पर इस तरह के हमले अब बिहार की व्यवस्था पर सीधे सवाल खड़े कर रहे हैं। विपक्ष का कहना है कि सरकार न तो आम जनता की समस्याओं को गंभीरता से सुन रही है और न ही जनता के गुस्से को संभाल पाने में सक्षम है। सड़क हादसों में लगातार बढ़ रही मौतों और स्थानीय स्तर पर अधिकारियों की लापरवाही ने लोगों में गहरी असंतोष की भावना पैदा कर दी है। इस घटना के बाद प्रशासन ने जिले में सुरक्षा व्यवस्था और कड़ी कर दी है। नालंदा एसपी ने पुष्टि की है कि मामले की जांच की जा रही है और दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। साथ ही, मंत्रियों की सुरक्षा को लेकर भी नए सिरे से रणनीति बनाने पर विचार हो रहा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की घटनाएँ केवल सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरी को ही नहीं बल्कि जनता में बढ़ते असंतोष को भी उजागर करती हैं। सवाल यह है कि क्या ये हमले सरकार के खिलाफ बढ़ती नाराज़गी का नतीजा हैं या फिर प्रशासनिक स्तर पर गंभीर सुरक्षा चूक। कुछ ही दिनों के भीतर मंत्रियों पर लगातार हुए हमलों ने बिहार के राजनीतिक माहौल में हलचल मचा दी है। श्रवण कुमार और मंगल पांडेय भले ही सुरक्षित बच गए हों, लेकिन इन घटनाओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि जनता और सरकार के बीच भरोसे की दूरी बढ़ती जा रही है। अब यह देखना होगा कि नीतीश कुमार सरकार इस चुनौतीपूर्ण स्थिति से निपटने के लिए क्या कदम उठाती है।

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