रालोजपा हमेशा से एनडीए के साथ, हम लोग सभी मिलकर बिहार में 40 सीट जीतेंगे : पशुपति पारस

  • चिराग पासवान से कोई शिकवा-शिकायत नहीं, मिलकर एनडीए को मजबूत करना है

पटना। बिहार के लोकसभा चुनाव में एनडीए में जब सीट बंटवारा हुआ तो चिराग पासवान के चाचा और पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे पशुपति कुमार पारस ने बागी तेवर दिखाते हुए हाजीपुर से चुनाव लड़ने का ऐलान किया और केंद्र की मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा भी दे दिया। पर भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के समझाने के बाद कुछ दिनों बाद ही पारस दोबारा एनडीए गठबंधन में लौट गए और शनिवार को उन्होंने बिहार में एनडीए गठबंधन को लेकर बड़ा दावा किया। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने शनिवार को कहा कि एनडीए गठबंधन बिहार में पूरी मजबूती के साथ एकजुट है। हम सभी दल एक साथ एनडीए के साथ है। वही इस चुनाव में हम सभी को मिलकर बिहार की लोकसभा में 40 सीट जीतना है। जब पत्रकारों ने उनसे उनके भतीजे और लोजपा रामविलास के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के बारे में बात की तो पशुपति कुमार पारस ने चौंकाने वाला जवाब दिया।
चिराग पासवान से कोई शिकवा-शिकायत नहीं, सभी नाराजगी दूर हो गई
पशुपति पारस ने यह भी साफ कर दिया है कि भतीजा चिराग पासवान से कोई शिकवा-शिकायत नहीं है। सब नाराजगी दूर हो गई है। उन्होंने कहा कि इस बार एनडीए गठबंधन के तहत सब लोगों का प्रयास है कि (बिहार में) 40 की 40 सीटें हम जीतें। नरेन्द्र मोदी को फिर से तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने की बात पारस ने कही। पारस ने कहा की एनडीए को किस प्रकार 400 पार पहुंचाया जाए इसको लेकर हमलोग काम कर रहे हैं। एनडीए गठबंधन पूरे देश में काफी मजबूत है और नरेन्द्र मोदी फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे। पटना में आरएलजेपी की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक होने वाली है। इसको लेकर प्रिंस राज समेत तमाम नेता पहुंचे हुए हैं। बैठक में तय होगा कि किस प्रकार से एनडीए प्रत्याशियों का समर्थन किया जाए। क्योंकि आरएलजेपी अभी भी एनडीए का हिस्सा है।
पशुपति के हाथ रहे खाली, पर एनडीए को मजबूत करना है
कुछ दिनों पहले पशुपति पारस और प्रिंस राज बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। उन्होंने एनडीए प्रत्याशियों को समर्थन देने का वादा किया। साथ ही कहा कि नरेन्द्र मोदी और एनडीए को मजबूत करना है। पशुपति पारस को एनडीए से झटका लगा था। उनके भतीजे चिराग पासवान की पार्टी एलजेपीआर को जहां 5 सीट दी गई थी, वहीं पारस के हाथ एक सीट भी नहीं आयी। इसके बाद पारस बगावत पर उतर आए। केन्द्रीय मंत्री पद से इस्तीफा तक दे दिया। हालांकि बाद में वह फिर से एनडीए और पीएम मोदी का गुणगान करने लगे।

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