मुंबई में रिटायर्ड कर्नल साइबर ठगी का शिकार, पुलिस अधिकारी बनकर अपराधियों ने 56.05 लाख रुपये लूटे
मुंबई। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में साइबर अपराधियों ने एक चौंकाने वाली वारदात को अंजाम दिया, जिसमें एक 83 वर्षीय रिटायर्ड आर्मी कर्नल को 56.05 लाख रुपये की ठगी का शिकार बनाया गया। अपराधियों ने खुद को मुंबई पुलिस का अधिकारी बताते हुए उन्हें गिरफ्तारी का भय दिखाया और बैंक विवरण लेकर बड़ी रकम हड़प ली। यह मामला साइबर अपराध के बढ़ते दायरे और अपराधियों की नई-नई चालों को उजागर करता है।
ठगी की शुरुआत: एक फोन कॉल से शुरू हुई वारदात
27 अक्टूबर को रिटायर्ड कर्नल के पास एक फोन कॉल आया। कॉल करने वाले व्यक्ति ने खुद को मुंबई पुलिस के इंस्पेक्टर संजय पिसे बताया। उस व्यक्ति ने दावा किया कि कर्नल के नाम से जारी एक मोबाइल सिम कार्ड का आपराधिक उपयोग किया गया है। कर्नल को धमकाया गया कि यदि वे तुरंत जांच में सहयोग नहीं करेंगे तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। कर्नल उम्रदराज होने के कारण मुंबई जाकर पूछताछ में उपस्थित नहीं हो पाए, जिसके बाद ठगों ने उन्हें वीडियो कॉल के जरिए “ऑनलाइन जांच” का झांसा दिया।
वीडियो कॉल पर वरिष्ठ अधिकारी बनने का नाटक
फोन कॉल के बाद ठगों ने कर्नल को वीडियो कॉल से जोड़ा। वीडियो कॉल पर मौजूद महिला ने खुद को मुंबई पुलिस की वरिष्ठ अधिकारी कविता पोमाने बताया। इसके बाद एक और व्यक्ति वीडियो कॉल पर जुड़ा, जिसने विश्वास नामक अधिकारी होने का दावा किया। इन दोनों ने कर्नल पर दबाव बनाना शुरू किया और कहा कि उनके विरुद्ध आपराधिक मामला तैयार हो रहा है, जिसे रोकने के लिए ऑनलाइन जांच प्रक्रिया का पालन जरूरी है।
बैंक, परिवार और व्यक्तिगत जानकारी हासिल करना
ऑनलाइन जांच का हवाला देकर ठगों ने कर्नल से उनकी निजी जानकारी, पारिवारिक विवरण और बैंक अकाउंट से जुड़े विवरण ले लिए। ठग लगातार तीन-तीन घंटे के अंतराल पर कर्नल से उनका लाइव लोकेशन भी मांगते रहे। कर्नल को डर था कि कहीं उन्हें गिरफ्तार न कर लिया जाए, इसलिए उन्होंने अपराधियों की बातों पर भरोसा कर लिया।
आरबीआई वेरिफिकेशन का बहाना
ठगों ने कर्नल को व्हाट्सएप के माध्यम से बैंक विवरण भेजने के लिए कहा। उन्होंने दावा किया कि आरबीआई उनके बैंक विवरण और लेन-देन की “सत्यापन प्रक्रिया” कर रहा है। कर्नल ने चार अलग-अलग बैंक खातों से जुड़े विवरण भेज दिए, जिन्हें ठगों ने तुरंत पैसे निकालने के लिए उपयोग किया।
बड़ी रकम की निकासी
कर्नल ने ठगों के निर्देश पर पहले 6 लाख रुपये और फिर 5 लाख रुपये ट्रांसफर किए। इसके बाद अपराधियों ने उन्हें यह यकीन दिलाया कि मामला गंभीर है और उन्हें अपनी निवेश राशि भी अस्थायी रूप से स्थानांतरित करनी होगी। कर्नल ने म्यूचुअल फंड और अन्य निवेश निकालकर 35.05 लाख रुपये और फिर अतिरिक्त 10 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। इस तरह कुल 56.05 लाख रुपये अपराधियों ने उनसे ठग लिए।
ठगी का एहसास और पैसे लौटाने का झांसा
जब कर्नल को शक हुआ और उन्होंने पैसे वापस करने की माँग की, तो ठगों ने उन्हें दोबारा आश्वस्त किया। उन्होंने आरबीआई के नाम का इस्तेमाल करते हुए कहा कि फंड सत्यापन प्रक्रिया चल रही है और तीन दिनों में सारे पैसे वापस कर दिए जाएंगे। हालांकि, तीन दिन बीतने के बाद भी मामला जस का तस रहा और तब कर्नल को एहसास हुआ कि वे ठगी का शिकार बन चुके हैं।
पुलिस में शिकायत और मामला दर्ज
कर्नल ने तुरंत सेंट्रल साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के आधार पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 418(4) और आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। मुंबई पुलिस के अधिकारियों ने बताया कि यह मामला सुनियोजित साइबर अपराध का उदाहरण है, जिसकी जांच तेजी से आगे बढ़ रही है।
साइबर अपराधियों की नई रणनीति
इस घटना से यह स्पष्ट है कि साइबर अपराधियों का तरीका लगातार बदल रहा है। अब वे पुलिस, आरबीआई या किसी सरकारी अधिकारी का भेष धारण कर लोगों को धमकाते हैं। विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों को निशाना बनाना उनके लिए आसान होता है, क्योंकि वे भय के कारण अधिक जल्दी जाल में फंस जाते हैं।
पुलिस की चेतावनी और आम नागरिकों के लिए सलाह
मुंबई पुलिस ने लोगों को चेतावनी दी है कि किसी भी अज्ञात व्यक्ति द्वारा खुद को पुलिस अधिकारी या सरकारी अधिकारी बताकर की गई कॉल पर भरोसा न करें। पुलिस ने कहा कि जांच के नाम पर कोई भी अधिकारी वीडियो कॉल पर किसी नागरिक से बैंक विवरण मांगने का अधिकार नहीं रखता। लोगों को सलाह दी गई है कि ऐसे मामलों में तुरंत नजदीकी पुलिस स्टेशन से संपर्क करें और आधिकारिक पुष्टि लें। रिटायर्ड कर्नल के साथ हुई इस घटना ने एक बार फिर यह साबित किया है कि साइबर अपराध किस तरह से आम नागरिकों को निशाना बना रहा है। यह मामला न केवल जागरूकता की कमी, बल्कि अपराधियों की चालाकी और तकनीक के दुरुपयोग को भी दिखाता है। पुलिस जांच जारी है और उम्मीद है कि अपराधियों तक पहुंचकर उन्हें जल्द गिरफ्तार किया जाएगा।


