राहत फंड में ‘करप्शन’ को लेकर अपना ‘एक्सक्लूसिव आर्डर’ जारी कीजिए सीएम नीतीश,ताकि हावी ना हों ‘करप्ट एलिमेंट’

पटना।(बन बिहारी)विश्वव्यापी कोरोना वायरस के संक्रमण के कहर से एक तरफ विश्व के कई देश जूझ रहे हैं।भारत में भी कोरोना के खिलाफ जंग के लिए केंद्र सरकार तथा विभिन्न राज्य सरकारों के द्वारा व्यापक पैमाने पर रोकथाम की लड़ाई जारी है।बिहार में नीतीश सरकार ने तो कोरोना का इलाज फ्री में करने तथा कोरोना पीड़ित की मृत्यु पर चार लाख की मुआवजा,साथ ही कोरोना संक्रमण के खतरों के मद्देनजर की गई लॉक डाउन के तहत प्रभावितों की मदद के लिए 100 करोड़ का फंड भी जारी कर दिया गया है।मगर बिहार सरकार के द्वारा राहत के लिए जारी इस फंड को भी करप्ट गिद्धों से बचाना एक बड़ी चुनौती है।बिहार में सरकारी फंडों में घोटाला कोई हैरत की बात नहीं रह गई है। बड़े-बड़े अफसर भी घूस लेते रंगे हाथ पकड़े जा चुके हैं।15 वर्षों से नीतीश कुमार की सरकार है।जीरो टॉलरेंस नीति भ्रष्टाचार पर अपनाई जा रही है।मगर इसके बावजूद सरकारी तंत्र में करप्ट ब्यूरोक्रेसी का नियंत्रण कई मर्तबा प्रतीत हो चुका है।ऐसे में बिहार के सीएम नीतीश कुमार को कतई देर नहीं करना चाहिए।इस आपात स्थिति में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक बार फिर भ्रष्टाचार को लेकर अपनी जीरो टॉलरेंस की नीति से पूरे सरकारी सिस्टम को अवगत कराने की आवश्यकता प्रतीत होते है।मन में भ्रष्टाचार के ख्वाब पाले सरकारी अफसरान सत्ता के शीर्ष की जोरदार हनक सुने बगैर सावधान मुद्रा में आ ही नहीं सकते।सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर कई जानकारों ने टिप्पणियां भी की है कि ऐसे मौके पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक बार फिर राहत फंड को लेकर भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस वाला एक्सक्लूसिव आर्डर पुनः जारी करना चाहिए।संभवत मुख्यमंत्री के इस आपात स्थिति में कड़े तथा खरे शब्द भ्रष्टाचार का मंसूबा पाले कनीय अधिकारियों से लेकर बड़े अधिकारियों के कानों के पर्दे खोल सकते हैं।जानकार लोगों का मानना है कि इस वक्त अगर मुख्यमंत्री पुनः अपने पुराने फॉर्म में लौटते हुए राहत एवं बचाव से संबंधित कार्यों में किसी प्रकार की लापरवाही बरतने वाले तथा भ्रष्टाचार का मंसूबा पालने वालों पर अगर अपनी वक्र दृष्टि डालते हैं।तो निसंदेह करप्ट सिस्टम पर जनहित में एक बड़ा चोट पहुंचेगा। दरअसल विगत कुछ वर्षों से बिहार सरकार के कई योजनाओं में करप्ट ब्यूरोक्रेसी के मायाजाल के कारनामे पहले भी उजागर हो चुके हैं।ऐसे में कोरोना के खिलाफ जंग के लिए जारी राहत फंड में किसी प्रकार के लूट-खसोट ना हो सके। इसके लिए समय रहते सिस्टम में शामिल भ्रष्ट तत्वों को कड़ी हिदायत देना मुनासिब दिखता है। वैसे भी बिहार के लिए यह चुनावी वर्ष है।इसी साल के अंत में बिहार विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।ऐसे में विपक्ष भी सरकार के सभी कार्यों पर अपनी पैनी निगाहें डाले हुए हैं।गलती हुई नहीं की विपक्ष मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमलावर हो जाएगा।ऐसे में राहत फंड का पूर्णतः सदुपयोग सत्ताधारी दल समेत सरकार के लिए कड़ी चुनौती है।

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