सर्वार्थ सिद्धि योग में दो दिन रहेगा पुष्य नक्षत्र एवं अहोई पूजा, खरीदारी व निवेश के लिए होगा उत्तम

कार्तिक कृष्ण अष्टमी यानि 21 अक्टूबर सोमवार को अहोई व्रत पुनर्वसु व पुष्य नक्षत्र से संयुक्त सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाई जाएगी। करवा चौथ के ठीक चौथे दिन अहोई अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। महिलाएं अपने संतान की लम्बी आयु और उनके जीवन से बाधाओं को दूर करने के लिए यह व्रत रखती हैं। इस दिन संध्या काल में कलश-गणेश एवं अहोई माता की विधिवत पूजा करके चन्द्रमा को करवे से अर्घ्य देकर व्रत का समापन करेंगी। माताएं अहोई माता के रूप में देवी पार्वती की पूजा करती है। माता की पूजा करने के बाद उन्हें दूध-चावल का भोग अर्पित करेंगी।

सोम पुष्य में स्वर्ण-चांदी व भौम पुष्य में भूमि-भवन की होगी खरीदारी
कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने बताया कि कार्तिक कृष्ण अष्टमी को पुष्य नक्षत्र होने से इसकी महत्ता और बढ़ गयी है। पोषण, ऊर्जा और शक्ति प्रदान करने वाले इस नक्षत्र को शुभ और कल्याणकारी माना गया है। जो शुभ-सुंदर, सुख, सम्पदा और सौभाग्य देने वाला होता है। इस नक्षत्र का प्रतिनिधत्व न्याय के देवता शनिदेव करते है। इस दिन दोपहर 02 बजकर 27 मिनट के बाद से अगले दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक खरीदारी का उत्तम योग है। इस दिन सोमवार व मंगलवार के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग होने के साथ इस दिन चंदमा की पूजा होने से अत्यंत कल्याणकारी और शुभ हो गया है। पुष्य नक्षत्र में वैवाहिक कार्य को छोड़कर बाकि सभी शुभ काम किये जाते हैं। इस दिन पुष्य नक्षत्र होने से खरीदारी, बेचने तथा भूमि पूजन करना शुभ माना जाता है। सोम पुष्य में स्वर्ण, चांदी व कीमती धातुओं की खरीदारी, निवेश तथा भौम पुष्य में भूमि, भवन, तांबे की वस्तु , कपड़ा, बर्तन आदि की खरीदारी करना शुभ होगा।
शुभता का प्रतीक है पुष्य नक्षत्र
पंडित झा के मुताबिक पुष्य नक्षत्र सताइस नक्षत्रों में आठवां नक्षत्र है। अन्य सभी नक्षत्रों के तुलना में इस नक्षत्र को सबसे अच्छा माना जाता है। इस नक्षत्र में नए सामने की खरीदारी को पवित्र माना जाता है। ऐसा इसीलिए कि चन्द्रमा धन के देवता है, चंद्र कर्क राशि में स्वराशिगत माना गया है। पुष्य नक्षत्र को सुख-शांति, धन-सम्पत्ति, समृद्धिदायक तथा शुभ फल प्रदान करने वाला माना जाता है। ऋग्वेद में इस नक्षत्र को मंगलकर्ता कहा गया है। साथ ही यह सभी नक्षत्रों का राजा भी है। पंडित झा ने कहा कि इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग होने से यह अति फलदायी हो गया है। सर्वार्थ सिद्धि योग दोपहर 02:27 बजे से अगले दिन दोपहर 01 :44 बजे तक है।
पुष्य नक्षत्र ऐसे होता है महान
ज्योतिषी पंडित झा ने बताया कि पुष्य नक्षत्र के देवता बृहस्पति देव माने गए है तथा शनि को इस नक्षत्र का दिशा प्रतिनिधि माना जाता है। चूंकि बृहस्पति शुभता, बुद्धिमता,स्थायित्व एवं ज्ञान के प्रतीक है। इन दोनों का योग मिलकर इस नक्षत्र को शुभ तथा महान बना देता है। उन्होंने कहा कि साध्य योग में भगवान की साधना और भक्ति करने से अनंत फल की प्राप्ति होती है। शिक्षा अध्ययन के लिए इस योग में नामांकन या आरंभ करने से माता शारदे की विशेष अनुकम्पा मिलती है।
खरीदारी के लिए उपयुक्त है पुष्य नक्षत्र
पंडित झा के अनुसार पुष्य नक्षत्र को स्थायी नक्षत्र माना जाता है और इसमें खरीदी गई वस्तु अधिक समय तक उपयोगी तथा अक्षय होती है। इस नक्षत्र में स्वर्ण (सोना), चांदी आदि की ख़रीदारी करते है, क्योकि इसे शुद्ध, पवित्र तथा अक्षय धातु माना गया है। पुष्य नक्षत्र को स्वास्थ्य के लिए भी शुभ माना गया है। इस नक्षत्र पर शुभ ग्रहों का प्रभाव होने से यह सेहत संबंधी कई समस्याओं को समाप्त करने में ज़ख्म होता है।
राशि के अनुसार करे खरीदारी मिलेगा अक्षय लाभ
मेष व वृश्चिक :- ताम्बे या लाल वस्तु
वृष व तुला :- चांदी या सफेद वस्तु या अल्मुनियम का बर्तन
मिथुन व कन्या :- स्वर्ण या रसोई की बर्तन या फ्रीज
कर्क :- चांदी या गिलट से निर्मित वस्तु
सिंह राशि :- तांबा, सोना या बेड
धनु व मीन राशि :- स्वर्ण या विद्युत सामग्री
मकर व कुंभ राशि :- लोहा का सामान या वाहन