पंजाब विधानसभा चुनाव मतगणना : पंजाब में APP का चलेगा झाड़ू, रुझानों में 90 पार, कई दिग्गज अपनी सीटों पर पिछड़े

पंजाब। सालभर से किसान आंदोलन को लेकर सुर्खियों में रहा पंजाब चुनावी चौखट पार कर चुका है। चुनाव से पहले मुख्यमंत्री की बेदखली और फिर गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के मामले भी खबरों में बने रहे। हालांकि आज इन सबसे इतर चर्चा चुनाव परिणाम की है। बस कुछ देर के इंतजार के बाद तस्वीर साफ हो जाएगी कि पंजाब का प्रधान कौन बनेगा। बात करें अगर शुरुआती रुझानों की तो इसमे आम आदमी पार्टी पंजाब में दिल्ली की कहानी दोहराकर जोरदार बहुमत हासिल करती नजर आ रही है। दूसरे नंबर के लिए कांग्रेस और अकाली दल में कड़ी टक्कर है। हालांकि यह केवल रुझान हैं और नतीजों के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा। पंजाब की अधिकतर सीटों पर आम आदमी के प्रत्याशी आगे चल रहे हैं। कुल 117 विधानसभा सीटों पर आम आदमी पार्टी 90 सीटों पर बढ़त बनाई हुई है। सबसे खास बात यह है कि पंजाब के वर्तमान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी तथा नवजोत सिंह सिद्धू अपनी-अपनी सीटों पर पीछे होते दिखाई दे रहे हैं।

पंजाब चुनाव में अपनी सीटों पर पीछे चल रहे ये दिग्गज
पंजाब के दिग्गज नेता अपनी सीटों पर पिछड़ते नजर आ रहे हैं। इनमें CM चरणजीत चन्नी, कैप्टन अमरिंदर सिंह, नवजोत सिंह सिद्धू और सुखबीर सिंह बादल शामिल हैं। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पटियाला शहर सीट से पीछे चल रहे हैं। वही सीएम चरणजीत सिंह चन्नी भदौड़ और चमकौर साहिब सीट से पीछे चल रहे हैं। उनके सभी मंत्री भी पिछड़ते नजर आ रहे हैं। अमृतसर ईस्ट सीट से पंजाब कांग्रेस के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू पिछड़कर तीसरे नंबर पर पहुंच गए हैं।
एग्जिट पोल में आप सबसे बड़ी पार्टी
एग्जिट पोल्स में आम आदमी पार्टी के सबसे बड़ी पार्टी बनने का अनुमान लगाया गया है। अकाली दल-BSP गठबंधन दूसरे नंबर पर रह सकता है। तीसरे पर कांग्रेस तो वहीं भाजपा का दहाई के आंकड़े तक पहुंचना भी मुश्किल लग रहा है। पंजाब में इस बार वोटिंग 2017 के 77.20% की तुलना में करीब 5% घटकर 71.95% रह गई। पिछले 5 चुनावों की मतदान भले ही कम या ज्यादा हुआ हो, लेकिन बहुमत जरूर मिलता है। पंजाब में सरकार बनाने में मालवा रीजन का सबसे अहम रोल माना जाता है। ऐसा इसलिए, क्योंकि अकेले मालवा में ही विधानसभा की 69 सीटें हैं। 2017 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां की 40 सीटें जीतकर सत्ता हासिल की थी। साल 2012 में अकाली दल ने मालवा से 33 सीटें जीती थीं, तब उनकी सरकार बनी थी।
पंजाब ज्यादातर समय कांग्रेस का गढ़ रहा
2017 के विधानसभा चुनावों में, कांग्रेस पार्टी का वोट शेयर 66% था। ये कांग्रेस का दूसरा बड़ा वोट शेयर था। 1992 के चुनावों में कांग्रेस का वोट शेयर 74% था। राज्य के 22 मुख्यमंत्रियों में से 14 मुख्यमंत्री कांग्रेस पार्टी के रहे हैं। भारत की अनुसूचित जाति (SC) की आबादी का पंजाब में अनुपात (31.9%) सबसे ज्यादा है। हालांकि, जाट सिख (जनसंख्या का 20%) यहां की राजनीति पर हावी है। चरणजीत सिंह चन्नी राज्य के पहले दलित मुख्यमंत्री हैं। ज्ञानी जैल सिंह पंजाब के अंतिम गैर-जाट सिख मुख्यमंत्री थे।