पटना में डोमिसाइल लागू करने को लेकर अभ्यर्थियों का प्रदर्शन, विरोध मार्च निकाला, सीएम के खिलाफ की नारेबाजी

पटना। बिहार में डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग लंबे समय से उठती रही है, लेकिन अब यह मांग एक बड़े छात्र आंदोलन में बदलती जा रही है। शुक्रवार को पटना कॉलेज परिसर से बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं ने प्रदर्शन की शुरुआत की। छात्रों ने “डोमिसाइल नहीं तो वोट नहीं” का नारा लगाते हुए सरकार के खिलाफ जोरदार विरोध दर्ज कराया। अभ्यर्थियों का कहना है कि अगर डोमिसाइल लागू नहीं होगा तो आपकी सत्ता को हम उखाड़ फेंकने का काम करेंगे। जनता जाग गई तो जैसे बांग्लादेश से प्रधानमंत्री को भागना पड़ा तो फिर आप किस गली के तुर्रम खान हैं।
छात्रों का मार्च और चेतावनी
प्रदर्शनकारी छात्र पटना के ऐतिहासिक अशोक राजपथ से निकलकर गांधी मैदान, जेपी गोलंबर होते हुए मुख्यमंत्री आवास तक मार्च करने की चेतावनी दे रहे हैं। उनका कहना है कि अगर सरकार ने जल्द से जल्द डोमिसाइल नीति लागू नहीं की, तो आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है। छात्रों का यह विरोध पूरी तरह शांतिपूर्ण था, लेकिन उनके तेवर तीखे थे। यह स्पष्ट संकेत था कि युवा वर्ग अब अपनी मांगों को लेकर किसी भी तरह की अनदेखी बर्दाश्त नहीं करेगा।
आंदोलन का नेतृत्व और छात्र नेता की चेतावनी
इस विरोध आंदोलन का नेतृत्व युवा छात्र नेता दिलीप कुमार कर रहे हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि राज्य सरकार को छात्रों की मांगों को प्राथमिकता देनी चाहिए। उनका कहना है कि बिहार के छात्रों का भविष्य दांव पर लगा हुआ है, और सरकार की उदासीनता उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ के समान है। दिलीप कुमार ने दो टूक कहा कि यह सिर्फ एक मांग नहीं, बल्कि बिहार के युवाओं की पहचान और अधिकार से जुड़ा मुद्दा है।
राजधानी में बढ़ाई गई सुरक्षा व्यवस्था
पटना में छात्रों के प्रदर्शन को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था को सख्त कर दिया गया है। प्रशासन ने एहतियातन शहर के संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की है ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना को रोका जा सके। पुलिस लगातार मार्च रूट पर निगरानी बनाए हुए है और आंदोलन की पल-पल की खबरों पर नजर रखी जा रही है।
डोमिसाइल लागू हुआ तो सीएम नीतीश का करेंगे प्रचार
छात्र नेता ने आगे कहा कि अगर सरकार डोमिसाइल लागू करती है, तो हम लोग नीतीश कुमार के लिए वोट करेंगे और पूरे चुनाव में नीतीश कुमार के लिए हर जिले में जाकर प्रचार करेंगे। वहीं, अगर डोमिसाइल नहीं लागू हुआ तो, डोमिसाइल नहीं तो वोट नहीं का नारा पूरे बिहार में बुलंद करेंगे। बीपीएससी टीआरई-4 डोमिसाइल जल्द लागू किया जाए और चुनाव से पहले इसे संपन्न कराया जाए। STET डोमिसाइल भी जल्द जारी किया जाए, 26000 कंप्यूटर शिक्षक की बहाली जल्द आए, लाइब्रेरियन की बहाली आए, सभी सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल लागू की जाए।
सरकार पर बढ़ा दबाव
छात्रों के इस प्रदर्शन से स्पष्ट हो गया है कि डोमिसाइल नीति अब केवल शैक्षणिक या प्रशासनिक मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह राजनीतिक रूप ले चुका है। छात्रों ने इसे आगामी विधानसभा चुनावों का मुख्य मुद्दा बनाने की घोषणा कर दी है। इससे राज्य सरकार पर दबाव साफ तौर पर महसूस किया जा सकता है। राजनीतिक दलों को भी यह अहसास हो गया है कि यदि उन्होंने समय रहते छात्रों की मांग पर ध्यान नहीं दिया, तो आगामी चुनावों में इसका असर देखने को मिल सकता है।
डोमिसाइल नीति की मांग का आधार
बिहार के छात्र यह मांग कर रहे हैं कि राज्य में सरकारी नौकरियों, शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले और अन्य सरकारी लाभों के लिए स्थानीय निवास (डोमिसाइल) की अनिवार्यता तय की जाए। उनका कहना है कि बाहरी राज्यों के लोगों को प्राथमिकता मिलने से स्थानीय छात्रों के अधिकार छीने जा रहे हैं। इसीलिए डोमिसाइल नीति लागू कर बिहार के युवाओं को उनके राज्य में ही समान अवसर मिलना चाहिए। पटना में छात्रों द्वारा किया गया डोमिसाइल आंदोलन सिर्फ एक दिन का विरोध नहीं है, बल्कि यह एक लंबी लड़ाई की शुरुआत हो सकती है। छात्रों की संख्या, उनकी एकजुटता और नेतृत्व की स्पष्टता को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि राज्य सरकार के लिए इस मांग को टालना अब आसान नहीं होगा। अगर सरकार ने शीघ्र कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया, तो यह आंदोलन राज्य की राजनीति में एक निर्णायक मोड़ ला सकता है।
