लोकसभा में प्रियंका गांधी ने सांसद पद की ली शपथ, हाथों में रखा संविधान, जमकर लगे नारे

नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र का तीसरा दिन ऐतिहासिक और राजनीतिक दृष्टि से बेहद खास रहा, जब कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने लोकसभा में सदस्यता की शपथ ली। प्रियंका ने वायनाड लोकसभा सीट से उपचुनाव जीतकर संसद में प्रवेश किया है, और उनके शपथ ग्रहण के दौरान संसद में उत्साह और विपक्षी एकजुटता का प्रदर्शन हुआ। इस मौके पर प्रियंका ने संविधान की प्रति हाथ में लेकर शपथ ली, जो इस बार के चुनाव में कांग्रेस और विपक्षी दलों द्वारा केंद्र सरकार पर लगाए गए आरोपों का प्रमुख प्रतीक बन गया था। प्रियंका गांधी ने वायनाड लोकसभा उपचुनाव में शानदार प्रदर्शन करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के सत्यन मोकेरी को 4,10,931 वोटों के अंतर से हराया। इस त्रिकोणीय मुकाबले में भाजपा की नव्या हरिदास भी मैदान में थीं। वायनाड, जिसे कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, में प्रियंका की जीत ने पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया। यह सीट राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी, और प्रियंका ने इसे बड़ी जीत के साथ कांग्रेस के खाते में बरकरार रखा। संसद में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान प्रियंका गांधी ने संविधान की प्रति हाथ में लेकर शपथ ली। यह कदम प्रतीकात्मक रूप से संविधान की रक्षा के लिए उनकी प्रतिबद्धता और विपक्षी दलों की ओर से लोकसभा चुनाव के दौरान उठाए गए मुद्दों को रेखांकित करता है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने चुनाव प्रचार के दौरान आरोप लगाया था कि केंद्र सरकार संविधान बदलने और आरक्षण खत्म करने की योजना बना रही है। प्रियंका के इस प्रतीकात्मक कदम को कांग्रेस की रणनीतिक राजनीति का हिस्सा माना जा रहा है। प्रियंका गांधी के शपथ ग्रहण के दौरान संसद भवन में गांधी परिवार के सदस्य बड़ी संख्या में मौजूद थे। उनकी मां सोनिया गांधी, भाई राहुल गांधी और उनके बच्चे रेहान और मिराया भी इस ऐतिहासिक पल का हिस्सा बने। राहुल गांधी ने संसद के बाहर प्रियंका के साथ एक तस्वीर खींची, जो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन गई। प्रियंका ने नेहरू-गांधी परिवार की तीसरी सदस्य के रूप में लोकसभा में प्रवेश किया है। उनकी मां सोनिया गांधी वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं, जबकि भाई राहुल गांधी उत्तर प्रदेश के रायबरेली से लोकसभा सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं। शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन संसद में विपक्ष का जोरदार प्रदर्शन देखने को मिला। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने अदाणी विवाद और मणिपुर के मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला। प्रियंका गांधी के शपथ ग्रहण से पहले, कांग्रेस सांसदों ने एक रणनीतिक बैठक की, जिसमें शपथ ग्रहण के दौरान संविधान की प्रति का उपयोग करने का निर्णय लिया गया। इससे पहले भी कई विपक्षी नेताओं, जैसे अखिलेश यादव और अवधेश प्रसाद, ने संसद में शपथ लेते समय संविधान की प्रति का उपयोग किया था। प्रियंका गांधी के लोकसभा में प्रवेश को कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण माना जा रहा है। अब तक वे पार्टी के चुनावी अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाती रही हैं, लेकिन औपचारिक रूप से संसद में उनका आना कांग्रेस की नई रणनीति का हिस्सा हो सकता है। यह कदम कांग्रेस को नेहरू-गांधी परिवार के नेतृत्व में मजबूती देने की दिशा में उठाया गया है। प्रियंका गांधी का संसद में प्रवेश कांग्रेस के लिए एक सकारात्मक संकेत है। वायनाड की ऐतिहासिक जीत और संसद में उनके प्रतीकात्मक शपथ ग्रहण ने न केवल कांग्रेस कार्यकर्ताओं में जोश भर दिया है, बल्कि विपक्षी एकता का संदेश भी दिया है। उनके शपथ ग्रहण समारोह के दौरान संविधान की प्रति का उपयोग, विपक्षी दलों के उस नैरेटिव को मजबूत करता है, जिसमें केंद्र सरकार पर संविधान की रक्षा में विफल रहने के आरोप लगाए गए हैं। प्रियंका गांधी का लोकसभा में प्रवेश कांग्रेस और नेहरू-गांधी परिवार के लिए एक नई शुरुआत का प्रतीक है। वायनाड से उनकी जीत ने न केवल कांग्रेस के गढ़ को बचाए रखा, बल्कि पार्टी के भविष्य की दिशा भी तय की। उनका शपथ ग्रहण न केवल प्रतीकात्मक था, बल्कि यह संदेश भी देता है कि कांग्रेस संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। आने वाले समय में प्रियंका गांधी की यह भूमिका भारतीय राजनीति में क्या मोड़ लाएगी, यह देखना दिलचस्प होगा।
