December 31, 2025

बांका में कड़ाके की ठंड के बाद भी खुल रहे प्राइवेट स्कूल, प्रशासन के आदेश का उल्लंघन, अभिभावक परेशान

बांका। बिहार के अधिकांश जिलों में इन दिनों कड़ाके की ठंड और घने कोहरे ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रखा है। लगातार गिरते तापमान, सर्द पछुआ हवा और सुबह-शाम छाए कोहरे के कारण खासकर छोटे बच्चों, बुजुर्गों और बीमार लोगों के लिए बाहर निकलना जोखिम भरा हो गया है। ठंड के इस प्रकोप को देखते हुए राज्य प्रशासन ने एहतियाती कदम उठाने शुरू किए हैं। लगभग सभी जिलों में जिलाधिकारियों ने स्कूलों के समय में बदलाव या फिर निचली कक्षाओं के संचालन पर रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं, ताकि बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर न पड़े।
जिलाधिकारी का स्पष्ट आदेश
इसी क्रम में बांका जिले के जिलाधिकारी नवदीप शुक्ला कुमार ने 23 दिसंबर को एक अहम आदेश जारी किया। इस आदेश के तहत कक्षा 1 से 8 तक के सभी सरकारी और निजी विद्यालयों को अस्थायी रूप से बंद रखने का निर्देश दिया गया। जिलाधिकारी ने यह फैसला बच्चों की सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लिया, क्योंकि अत्यधिक ठंड में छोटे बच्चों का स्कूल जाना बीमारियों का कारण बन सकता है। आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि सभी विद्यालय इस निर्देश का पालन करेंगे और किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
आदेश के बावजूद स्कूलों का संचालन
हालांकि प्रशासन के इस आदेश के बावजूद बांका जिले के अमरपुर नगर पंचायत क्षेत्र में कुछ निजी विद्यालयों द्वारा नियमों की खुलेआम अनदेखी की जा रही है। स्थानीय लोगों और अभिभावकों के अनुसार, कई निजी स्कूलों में अब भी कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को नियमित रूप से बुलाया जा रहा है। सुबह के समय जब कोहरा घना रहता है और ठंड अपने चरम पर होती है, उस समय छोटे-छोटे बच्चों को स्कूल जाते देख अभिभावक चिंतित हो उठे हैं। उनका कहना है कि निजी स्कूल प्रबंधन केवल अपनी व्यावसायिक सोच के कारण बच्चों की सुरक्षा को नजरअंदाज कर रहे हैं।
अभिभावकों की बढ़ती चिंता
अभिभावकों का कहना है कि छोटे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है और ठंड के मौसम में उन्हें सर्दी, खांसी, बुखार और निमोनिया जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा अधिक रहता है। ऐसे में प्रशासन द्वारा स्कूल बंद रखने का आदेश एक राहत भरा कदम था। लेकिन जब निजी स्कूल उस आदेश को नहीं मान रहे, तो माता-पिता असमंजस में पड़ गए हैं। कई अभिभावकों ने बताया कि वे मजबूरी में बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं, क्योंकि स्कूल प्रबंधन द्वारा अनुपस्थित रहने पर दंड या उपस्थिति को लेकर दबाव बनाया जा रहा है।
निजी स्कूलों की मनमानी
स्थानीय लोगों का आरोप है कि कुछ निजी स्कूलों ने प्रशासनिक आदेश को केवल सरकारी स्कूलों तक सीमित मान लिया है और खुद को इससे अलग समझ रहे हैं। यह रवैया न केवल नियमों का उल्लंघन है, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था को चुनौती देने जैसा भी है। निजी स्कूलों का तर्क है कि उन्होंने अपने स्तर से बच्चों को गर्म कपड़े पहनने और सावधानी बरतने की सलाह दी है, लेकिन अभिभावकों का कहना है कि यह पर्याप्त नहीं है। ठंड और कोहरे की स्थिति ऐसी है कि केवल कपड़े पहनने से खतरा कम नहीं हो सकता।
सामाजिक संगठनों की प्रतिक्रिया
इस मामले को लेकर स्थानीय सामाजिक संगठनों और नागरिक समूहों ने भी नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि जब जिलाधिकारी ने स्पष्ट आदेश जारी किया है, तो उसका पालन सभी स्कूलों के लिए अनिवार्य होना चाहिए, चाहे वह सरकारी हों या निजी। सामाजिक संगठनों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि आदेश का उल्लंघन करने वाले निजी विद्यालयों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। उनका मानना है कि यदि अभी कार्रवाई नहीं हुई, तो भविष्य में भी स्कूल प्रबंधन प्रशासनिक आदेशों की अनदेखी करते रहेंगे।
प्रशासन की जिम्मेदारी और अपेक्षा
लोगों का कहना है कि जिला प्रशासन की जिम्मेदारी सिर्फ आदेश जारी करने तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उसके प्रभावी क्रियान्वयन पर भी ध्यान देना जरूरी है। अभिभावकों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की अपेक्षा है कि प्रशासन ऐसे निजी स्कूलों की पहचान कर नोटिस जारी करे और आवश्यकता पड़ने पर कानूनी कार्रवाई भी करे। इससे न केवल बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि प्रशासनिक आदेशों की गरिमा भी बनी रहेगी।
बच्चों की सुरक्षा सबसे अहम
ठंड के इस मौसम में बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है। शिक्षा जरूरी है, लेकिन उससे भी ज्यादा जरूरी बच्चों का स्वस्थ रहना है। प्रशासन द्वारा जारी आदेश इसी सोच को ध्यान में रखकर दिया गया था। अब सवाल यह है कि निजी स्कूल प्रबंधन इसे कितनी गंभीरता से लेते हैं और जिला प्रशासन इस पर कितनी सख्ती दिखाता है। आने वाले दिनों में यह साफ होगा कि बांका जिले में प्रशासन अपने आदेशों को लागू कराने में कितना प्रभावी कदम उठाता है और क्या बच्चों को इस कड़ाके की ठंड से राहत मिल पाती है या नहीं।

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