पितृ ऋण से मुक्ति के लिए मिलेंगे सिर्फ 14 दिन, एक ही दिन होगी द्वादशी व त्रयोदशी

देव- ऋषि के तर्पण के साथ शुरू हुआ पितृपक्ष

पटना। पितृ पक्ष, पितृ दोष से मुक्ति प्राप्त करने का सर्वोत्तम समय होता है। इस पक्ष में समर्पण की भावना से श्रद्धापूर्वक किया गया तर्पण पितरो को स्वीकार होता है जिससे हर तरह की बाधा से मुक्ति मिल जाती है। श्रद्धा भाव के साथ किया गया श्राद्ध कर्म व्यक्ति के जीवन में खुशियों का अंबार ला सकता है। पृथ्वी लोक में माता पिता एवं पितृ साक्षात देवता है इसीलिए उनकी आत्मा की शांति के लिए आश्विन कृष्ण पक्ष में श्रद्धा विश्वास एवं उत्साह के साथ दान-तर्पण किया जाता है। जिस तिथि पर पूर्वजों की मृत्यु हुई हो उसी तिथि को श्राद्ध कर्म किया जाता है।
कर्मकांड विशेषज्ञ ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा शास्त्री ने मान्यताओं का आशय देते हुए कहा कि आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक पुरे पंद्रह दिन यमराज पितरों को मुक्त कर देते हैं और समस्त पितर अपने-अपने हिस्से का ग्रास लेने के लिए अपने वंशजों के समीप आते हैं, जिससे उन्हें आत्मिक शांति प्राप्त होती है। पितरों को जब जल और तिल द्वारा पितृपक्ष में तर्पण किया जाता है, तब उनकी आत्मा तृप्त होती है और उनका आशीष कुटुंब को कल्याण के पथ पर ले जाता है। मध्याह्न व्यापिनी तिथि में श्राद्ध करना शास्त्रोंक्त माना गया है। पितरों को महाविष्णु के रूप में मान्य करते हुए उनकी प्रसन्नता के लिए ब्राह्मणों को भोजन तथा वस्त्र आदि भेंट कर उनका सम्मान करने से परिवारिक सुख-शांति एवं संपन्नता बनी रहती है तथा वंश वृद्धि का वरदान भी मिलता है।

चौदह दिनों का होगा पितृ पक्ष

ज्योतिषी झा ने पंचांगों के हवाले से बताया कि आज देव- ऋषि, मुनि के तर्पण के साथ पितृपक्ष शुरू हुआ I कल से पितरो का तर्पण, श्राद्ध व पिंडदान किया जाएगा। कल से शुरू होकर 28 सितंबर दिन शनिवार तक चलने वाले इस पक्ष में धार्मिक कार्य की मनाही होगी लेकिन पितरों से आशीर्वाद पाने की अच्छा अवसर होगा। इस बार पितृ पक्ष में द्वादशी और त्रयोदशी षष्ठी एक दिन होने से 14 दिनों का पितृपक्ष होगा। पितृपक्ष से एक दिन पहले भाद्रपद पूर्णिमा यानि 14 अगस्त दिन शनिवार को अगस्त मुनी और देवताओं की पूजा की जाती है और इनके नाम से तर्पण किया जाएगा।

इस तिथि को करे तर्पण व श्राद्ध

पंडित झा के अनुसार जिन लोगों की मृत्यु के दिन की सही जानकारी ज्ञात न हो उनका श्राद्ध अमावस्या तिथि को करना चाहिए। वहीं अकाल मृत्य़ु होने पर भी अमावस्या के दिन ही श्राद्ध करना चाहिए। जिसने आत्महत्या की हो, या जिनकी हत्या हुई हो ऐसे लोगों का श्राद्ध चतुर्थी तिथि के किया जाना चाहिए। पति जीवित हो और पत्नी की मृत्यु हो गई हो, तो उनकी श्राद्ध नवमी तिथि को करना चाहिए। वहीं साधु एवं सन्यासियों का श्राद्ध एकादशी तिथि को किया जाता है। बाकि सभी का उनकी तिथि के अनुसार किया जाता है।

समर्पण से तर्पण दिलाएगी पितृ ऋण से मुक्ति

पटना के प्रमुख ज्योतिषी पं. राकेश झा शास्त्री ने कहा कि श्राद्ध को ही पितरों का यज्ञ कहते है। शास्त्रों में तीन ऋण बताए गए हैं- पितृ ऋण, देव ऋण और गुरु ऋण। ये तीन ऋण बहुत महत्व रखते है। विष्णु पुराण के अनुसार श्राद्ध से तृप्त होकर पितृ ऋण समस्त कामनाओ को तृप्त करते है। मनुष्य लोक में पिता मृत्यु समय अपना सब कुछ पुत्र या पुत्री को सौंप देते हैं। इसलिए संतान पर पितृ ऋण होता है। पितृपक्ष में अपने पितरों को श्रद्धा सुमन अर्पित करना चाहिए। पितृपक्ष में जल और तिल से तर्पण करना चाहिए। इस दौरान किए गए श्राद्ध कर्म और दान-तर्पण से पितरो कि तृप्ति मिलती है। वे खुश होकर अपने वंशजो को सुखी और संपन्न जीवन का आशीर्वाद देते है। पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म करने की परंपरा हमारी संस्कृति विरासत है। पितृों तक केवल दान ही नहीं बल्कि हमारे भाव भी पहुंचते है।

28 सितंबर को होगा पितृ विसर्जन

पंडित झा ने कहा कि इस वर्ष 15 सितंबर आश्विन कृष्ण प्रतिपदा से 28 सितंबर आश्विन कृष्ण अमावस्या तक पितृ पक्ष रहेगा। 27 सितंबर शुक्रवार को पितृपक्ष का चतुर्दशी तिथि है। इसी दिन शस्त्रादि से मृत्यु को प्राप्त हुए पितरों का श्राद्ध किया जाता है। इसके बाद 28 सितंबर को अमावस्या तिथि में स्नान -दान सहित सर्वपैत्री अमावस्या का श्राद्ध एवं पितृ विसर्जन का महालया पर्व के रूप में संपन्न होगा। इस तिथि को अमावस्या सूर्योदय से लेकर पुरे दिन है अतः सर्वपितृ तर्पण का कार्य 28 सितंबर शनिवार को करते हुए ब्राह्मण भोजन कराकर पितरों की विदाई का कार्य किया जाएगा।

पितृ पक्ष एक नजर में

अगस्त्य ऋषि तर्पण- शनिवार, 14 सितंबर
पितृपक्ष आरंभ (प्रतिपदा) – रविवार, 15 सितंबर
चतुर्थी श्राद्ध – बुधवार, 18 सितंबर
मातृ नवमी – सोमवार, 23 सितंबर
इंदिरा एकादशी- बुधवार, 25 सितंबर
चतुर्दशी श्राद्ध- शुक्रवार, 27 सितंबर
अमावस्या, महालया व सर्वपितृ विसर्जन – शनिवार, 28 सितंबर

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