बिहार उपचुनाव में प्रशांत किशोर का बड़ा दावा, कहा- रिजल्ट आने के बाद महागठबंधन में शुरू होगा फुटव्वल
पटना। चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने दावा करते हुए कहा है कि बिहार में उपचुनाव (मोकामा और गोपालगंज) के परिणाम आने के बाद महागठबंधन में सिर फुटव्वल चालू हो जाएगा। सभी एक दूसरे पर दोष मढ़ते नजर आएंगे। पीके ने कहा कि नीतीश कुमार के राजनीतिक प्रयोग के बाद जदयू की विश्वसनीयता बची नहीं है। प्रशांत किशोर जनसुराज अभियान यात्रा पर पश्चिमी चंपारण जिले के मुख्यालय बेतिया से लगभग 26 किमी दूर लौरिया में मीडिया से बात कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार महागठबंधन में लंबे समय तक रहेंगे इसपर उन्हें संदेह हैं। उन्होंने कहा कि आज जदयू की विश्वसनीयता अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। नीतीश कुमार बिहार के सीएम हैं क्योंकि उनकी प्राथमिकता भी वही है। एक खेमे से दूसरे खेमे में जाने वाली पार्टी का भविष्य उज्जवल नहीं हो सकता हैं। बिहार में अब सत्ता के केवल दो स्तंभ हैं-लालू प्रसाद यादव की राजद (राष्ट्रीय जनता दल) और भाजपा। पीके ने कहा कि महागठबंधन में नीतीश कुमार जी कब तक रहेंगे, यह शायद उन्हें भी पता नहीं है। पिछले छह साल में उन्होंने अकेले 10 प्रयोग किए हैं। प्रशांत किशोर ने कहा कि महागठबंधन में उनका प्रवेश राजनीतिक मजबूरी है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार की पार्टी तकनीकी रूप से केंद्र में एनडीए का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि जेडीयू के राज्यसभा सांसद हरिवंश नारायण सिंह राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन हैं,हमें इस तथ्य के अलावा और किसी सबूत की आवश्यकता नहीं है।
प्रशांत किशोर कभी नीतीश कुमार के करीबी थी। 2015 बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन के लिए जीत की जमीन तैयार करने के बाद नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी का उपाध्यक्ष बनाया था। एकसमय में वह नीतीश कुमार के राजनीतिक उत्तराधिकारी कहे जाने लगे थे। इससे बाद पीके और नीतीश कुमार की सीएए और एनआरसी पर अल राय हुई तो नीतीश कुमार ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया था। पीके अभी करीब 3 हजार किलोमीटर की पदयात्रा पर निकले हैं। अब तक उन्होंने 275 किलोमीटर की यात्रा की है। सक्रिय राजनीति में आने से पहले उन्होंने 2011 और 2021 के बीच 10 राजनीतिक दलों की चुनाव में जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया था। 2014 लोकसभा चुनाव में वह पीएम नरेंद्र मोदी के साथ थे।