गर्भवती महिलाओं के प्रसवोत्तर देखभाल के मामले में बिहार दूसरे स्थान पर

* इस साल अप्रैल तक देशभर में 31,118,039 और बिहार में 28,239 गर्भवतियों ने पीएमएसएमए का उठाया लाभ
* राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश को पहला व आंध्र प्रदेश को तीसरा स्थान हासिल


पटना। सरकार के लगातार स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम चलाने का नतीजा है कि अब बिहार की गर्भवती महिलाएं स्वयं और गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य को गंभीरता से ले रही हैं। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) के तहत बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाएं प्रसवोत्तर जांच कराने के लिए स्वास्थ्य केंद्रों पर पहुंच रही हैं। इस साल अप्रैल तक देशभर में बिहार को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ। जबकि उत्तर प्रदेश पहले और आंध्र प्रदेश तीसरे स्थान पर रहा।
बिहार में 28,239 महिलाओं ने उठाया पीएमएसएमए का लाभ
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, इस साल मार्च तक पीएमएसएमए के तहत देशभर में 31,118,039 गर्भवती महिलाओं की प्रसवोत्तर देखभाल की गई। जिसमें से बेहतर प्रदर्शन करने वाले पांच राज्यों में उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु शामिल हैं। उत्तर प्रदेश में 80,640, बिहार में 28,239, आंध्र प्रदेश में 27,452, पश्चिम बंगाल में 11,370 और तमिलनाडु में 9,362 गर्भवती महिलाओं ने योजना का लाभ उठाया।
यह है पीएमएसएमए
देश में तीन करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए पीएमएसएमए शुरू किया गया। इसके अभियान के तहत लाभार्थियों को प्रत्येक महीने की 9 तारीख को प्रसव पूर्व देखभाल सेवा नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाती है। किसी माह में 9 तारीख को रविवार या अवकाश होने पर अगले कार्य दिवस पर आयोजित किया जाता है। यहां आने वाली सभी गर्भवती महिलाओं को गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में निशुल्क अल्ट्रासाउंड, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, हीमोग्लोबिन, वजन, रक्त जांच और एचआईवी की जांच की जाती है और दवाइयां दी जाती हैं। इस अभियान के तहत उक्त सेवाएं शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पीएचसी, सीएचसी, डीएच, शहरी स्वास्थ्य केंद्रों आदि पर उपलब्ध कराई जाती है। गर्भवती महिलाओं की स्वास्थ्य जांच स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ और चिकित्सक द्वारा की जाती है। इसके लिए निजी चिकित्सकों की भी सहायता ली जाती है।

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