December 17, 2025

भाजपा का तेजस्वी पर हमला, सोशल मीडिया पर किया ‘लापता’ का पोस्ट, 9वीं फेल बताई पहचान

पटना। बिहार की राजनीति में एक बार फिर सोशल मीडिया के जरिए सियासी टकराव देखने को मिल रहा है। इस बार मुद्दा बना है राष्ट्रीय जनता दल के नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को लेकर भाजपा की ओर से किया गया एक विवादित पोस्ट। भाजपा बिहार के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से साझा किए गए इस पोस्ट ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है और बयानबाजी का दौर तेज हो गया है।
विवादित पोस्ट और उस पर सियासी प्रतिक्रिया
भाजपा के सोशल मीडिया हैंडल से जारी पोस्ट में तेजस्वी यादव को ‘लापता’ बताया गया है। पोस्ट में व्यंग्यात्मक अंदाज में लिखा गया है कि “लापता की तलाश! नाम: तेजस्वी यादव, पहचान: 9वीं फेल।” इस पोस्ट के सामने आते ही विपक्षी दलों ने इसे राजनीतिक मर्यादाओं के खिलाफ बताया, जबकि एनडीए खेमे के नेताओं ने इसे तेजस्वी यादव की हालिया राजनीतिक गतिविधियों से जोड़ते हुए सही ठहराने की कोशिश की। इस पोस्ट के बाद जनता दल यूनाइटेड की ओर से भी तीखी प्रतिक्रिया सामने आई। जदयू के विधान परिषद सदस्य नीरज कुमार ने तेजस्वी यादव पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जो विद्यार्थी पढ़ाई में रुचि नहीं रखते, वे अक्सर स्कूल से भाग जाते हैं और तेजस्वी यादव भी उसी तरह के नेता हैं, जो न केवल पढ़ाई से बल्कि अब राजनीति से भी भागते नजर आ रहे हैं।
जदयू नेता का तंज और तीखे बयान
नीरज कुमार ने आगे तंज कसते हुए कहा कि बिहार की जनता ने तेजस्वी यादव को राजनीतिक रूप से भगा दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि जब तेजस्वी यादव के पिता को ही यह नहीं पता कि उनका बेटा कहां है, तो पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मंगनी लाल मंडल से क्या उम्मीद की जा सकती है। नीरज कुमार ने व्यंग्य के अंदाज में यह भी सवाल उठाया कि तेजस्वी यादव किस “ग्रह” पर हैं और कहा कि वे खुद बिहार की राजनीति के लिए एक “ग्रह” बन चुके हैं। नीरज कुमार के इन बयानों ने राजनीतिक माहौल को और गरमा दिया है। राजद समर्थकों का कहना है कि व्यक्तिगत टिप्पणी और इस तरह के तंज लोकतांत्रिक राजनीति के स्तर को गिराते हैं, जबकि जदयू और भाजपा इसे तेजस्वी यादव की राजनीतिक निष्क्रियता पर सवाल उठाने का तरीका बता रहे हैं।
चुनावी हार के बाद तेजस्वी यादव की अनुपस्थिति
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बाद तेजस्वी यादव की सार्वजनिक गतिविधियों में कमी लगातार चर्चा का विषय बनी हुई है। चुनाव से पहले तेजस्वी यादव जीत को लेकर काफी आश्वस्त दिखाई दे रहे थे। उन्होंने नतीजों से पहले ही तारीखें तय कर दी थीं कि 14 नवंबर को रिजल्ट आएगा और 18 नवंबर को शपथ ग्रहण होगा। लेकिन चुनाव परिणाम पूरी तरह उलट निकले। एनडीए ने 202 सीटों पर जीत दर्ज कर सत्ता में वापसी की, जबकि राजद सिर्फ 25 सीटों पर सिमट गई। महागठबंधन का कुल आंकड़ा भी 35 से आगे नहीं बढ़ सका। इस हार के बाद तेजस्वी यादव का सार्वजनिक जीवन से अचानक दूरी बना लेना राजनीतिक बहस का कारण बन गया। विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले और दूसरे दिन वे सदन में नजर आए, लेकिन इसके बाद उनका एक वीडियो पटना एयरपोर्ट से सामने आया, जिसमें कहा गया कि वे दिल्ली जा रहे हैं। इसके बाद वे लगातार कई दिनों तक न तो सदन में दिखे और न ही मीडिया या किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में।
शपथ समारोह और सत्र से दूरी
20 नवंबर को पटना के गांधी मैदान में ऐतिहासिक शपथ समारोह आयोजित किया गया, जिसमें प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और 11 राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद थे। तेजस्वी यादव को भी आमंत्रण भेजा गया था और उनके लिए सीट भी आरक्षित थी, लेकिन वे समारोह में नजर नहीं आए। 14 से 23 नवंबर तक वे न सड़क पर दिखे, न प्रेस कॉन्फ्रेंस में और न ही किसी बड़े राजनीतिक मंच पर। इसके बाद वे कुछ निजी कार्यक्रमों और शादियों में जरूर दिखाई दिए, लेकिन विधानसभा सत्र में उनकी अनुपस्थिति लगातार सवालों के घेरे में रही। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर नीतीश सरकार को औपचारिक रूप से बधाई जरूर दी, लेकिन सक्रिय विपक्ष की भूमिका निभाते नजर नहीं आए।
यूरोप यात्रा और विपक्ष के सवाल
इस बीच यह जानकारी भी सामने आई कि चुनावी हार के करीब 20 दिन बाद 4 दिसंबर को तेजस्वी यादव यूरोप यात्रा पर निकल गए। इस यात्रा में उनकी पत्नी और दोनों बच्चे भी उनके साथ थे। इस पर भी विपक्ष ने सवाल उठाए कि जब राज्य में राजनीतिक हालात इतने महत्वपूर्ण हैं, तब विपक्ष के नेता का विदेश यात्रा पर जाना कितना उचित है।
राजनीतिक माहौल और आगे की दिशा
भाजपा के सोशल मीडिया पोस्ट और जदयू नेताओं के बयानों के बाद बिहार की राजनीति में एक बार फिर व्यक्तिगत हमलों और आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। राजद इसे राजनीतिक बदले की भावना बता रहा है, जबकि एनडीए खेमे का कहना है कि विपक्ष के नेता की भूमिका निभाने में तेजस्वी यादव पूरी तरह विफल रहे हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि तेजस्वी यादव इस पूरे विवाद पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं और बिहार की राजनीति में उनकी सक्रियता किस रूप में सामने आती है।

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