जहानाबाद :-डॉ जगदीश शर्मा का दबदबा,सुरेंद्र यादव का विरोध,अरुण कुमार की करवट एवं राहुल पर निगाहें

जहानबाद।आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जहानाबाद संसदीय क्षेत्र की राजनीतिक तस्वीर साफ नहीं हो पा रही है। मगर के कयासों का दौर जारी है। महागठबंधन या राजग दोनों तरफ के उम्मीदवार अभी तक संशय की स्थिति में है। टिकटों के लिए परिक्रमा का दौर भी आराम हो चुका है। वर्तमान परिस्तिथियों के समीक्षा के आधार पर जहानाबाद के संसदीय परिदृश्य को लेकर बस यही कहा जा सकता है की पूर्व सांसद डॉ जगदीश शर्मा का दबदबा,पूर्व राजद सुरेंद्र यादव का विरोध,वर्तमान सांसद अरुण कुमार के राजनीतिक करवट तथा घोषी के पूर्व विधायक राहुल कुमार की क्लीन इमेज पर ही सबकी निगाहें टिकी हुई है। महागठबंधन अथवा राजग उपरोक्त सभी बिंदुओ को लेकर राजनीतिक विचार गोष्ठी में जुटा हुआ है।
डॉ अरुण कुमार फिलवक्त जहानाबाद के सांसद हैं।राजग के घटक दल रालोसपा से चुनाव जीते थे। मगर अभी उनकी स्थिति समझ में नहीं आ रही है।कभी महागठबंधन तो कभी राजग के साथ उनका खींचतान जारी है। उनके क्षेत्र छोड़कर कहीं अन्यत्र से चुनाव लड़ने की चर्चा भी है।वहीं राजद से पूर्व प्रत्याशी एवं वर्तमान विधायक डा सुरेंद्र यादव दमखम के साथ लड़ने को बेकरार है।मगर जहानाबाद में अतरी के विधायक कुंती देवी के परिवार से उन्हें जबरदस्त ‘चैलेंज’ मिल रहा है।कुंती देवी के पति राजेंद्र यादव भी पूर्व विधायक रहे हैं,जो फिलहाल जेल में है,उनके पुत्र द्वारा तेजस्वी यादव के सभा के दौरान डा सुरेंद्र यादव का खुलेआम विरोध किया गया। नतीजतन राजद भी सोच में है कि सुरेंद्र यादव पर दांव लगाए अथवा नहीं। क्षेत्र में किसी दल अथवा गठबंधन का कोई लहर भी नजर नहीं आ रहा है। ऐसे में जहानाबाद के घोषी विधानसभा क्षेत्र से लगातार चार दशक तक विधायक रहे पूर्व सांसद डॉ जगदीश शर्मा का महत्व खुद-ब-खुद बढ़ जाता है।डा जगदीश शर्मा अभी रांची जेल में है।उन्हें राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के साथ चारा घोटाला में सजा सुनाई गई है। राहुल कुमार उनके पुत्र हैं जो घोषी से पूर्व विधायक हैं।2015 के विधानसभा चुनाव के दौरान जदयू प्रत्याशी कृष्ण नंदन वर्मा से उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।कहा जाता है अगर राजद एवं जदयू में गठबंधन नहीं होता तो घोषी से राहुल की हार नामुमकिन थी। राजनीतिक प्रेक्षकों के अनुसार महागठबंधन सवर्ण कार्ड के रूप में राहुल को बतौर उम्मीदवार पेश कर सकता है। वहीं राजग गठबंधन के पास भी कोई ठोस उम्मीदवार नहीं है।इसलिए वहां भी राहुल के नाम पर विचार मंथन चल रहा है। वर्तमान सांसद डॉ अरुण कुमार फिलहाल महागठबंधन एवं राजद के नेताओं के संपर्क में है साथ ही नवादा या बेगूसराय से अपनी उम्मीदवारी को लेकर प्रयासरत हैं। वहीं राजद में डॉ सुरेंद्र यादव अपनी उम्मीदवारी को लेकर विश्वस्त है और अपनी तैयारी जारी रखे हुए हैं।नीतीश सरकार में काबीना मंत्री कृष्णनंदन वर्मा भी ताल ठोक रहे हैं।
मगध के जहानाबाद संसदीय क्षेत्र से  रालोसपा के डॉ अरुण कुमार पिछले चुनाव में राजद के सुरेंद्र यादव से लगभग 40000 मतों से चुनाव जीत गए थे। मगर पिछली बार के चुनाव में पूरे देश में व्याप्त नमो लहर के कारण काफी चौंकाने वाले परिणाम सामने आए थे।परंतु इस बार फिर से चुनावी वैतरणी में नैया पार लगाने के लिए समीकरण तथा वोट बैंक की राजनीति का सहारा लेना पड़ेगा।पिछली बार अनिल कुमार शर्मा जहानाबाद से बतौर जदयू प्रत्याशी मैदान में थे जिन्हें लगभग एक लाख वोट पाकर संतोष करना पड़ा था। जहानाबाद के राजनीतिक प्रेक्षकों का मानना है कि जहानाबाद संसदीय चुनाव 2014 में जो वोट जदयू को मिले उसके पीछे पूर्व सांसद डॉ जगदीश शर्मा का समर्थन ही प्रमुख कारण था।जदयू प्रत्याशी अनिल कुमार शर्मा ‘आम्रपाली ग्रुप’ के चेयरमैन है मगर जहानाबाद के लिए बाहरी प्रत्याशी थे।जहानाबाद में 2009 के संसदीय चुनाव में जदयू भाजपा की तरफ से डॉ जगदीश शर्मा ने राजद के सुरेंद्र यादव को पराजित किया था उस चुनाव में वर्तमान सांसद डॉ अरुण कुमार कांग्रेस के उम्मीदवार थे। डॉ जगदीश शर्मा चारा घोटाले के सजायाफ्ता हैं,फिलहाल रांची जेल में है। उनके युवा पुत्र राहुल कुमार घोषी विधानसभा से 2010 में विधायक का चुनाव जीते थे।मगर 2015 में उन्हें भी जदयू के कृष्ण नंदन वर्मा से हार का सामना करना पड़ा था। डॉ जगदीश शर्मा 1977 से लगातार 2009 तक जहानाबाद के घोसी विधानसभा के अविजित विधायक रहे हैं,जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है। 2009 में सांसद का चुनाव जीतने के उपरांत उन्होंने राज्य के सभी राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों को धूल चटाते हुए अपनी पत्नी शांति शर्मा को उप चुनाव में विजयी बनवाया था। 2010 में उनके पुत्र राहुल कुमार बतौर जदयू प्रत्याशी मैदान में उतरे तथा विजय रहे। प्रदेश की राजनीति में बिहार की सत्ता को लेकर चले ‘जीतन राम मांझी एपिसोड’में डॉ जगदीश शर्मा तत्कालीन राजनीतिक परिस्तिथियों के कारण नीतीश सरकार से अलग हो गए थे। मगर जहानाबाद की राजनीति अभी भी पूर्व सांसद डॉ जगदीश शर्मा के इर्द-गिर्द ही नाचती है। अभी कुछ माह पूर्व जहानाबाद विधानसभा में उपचुनाव हुआ था।सीट विधायक मुंद्रिका यादव के निधन के कारण रिक्त हुई थी।महागठबंधन से दिवंगत विधायक के पुत्र सुदय यादव तथा राजग की ओर से जदयू के पूर्व विधायक अभिराम शर्मा  मैदान में थे।राजग नेताओं के अत्यधिक मेहनत तथा सरकारी तंत्र के समर्थन के बावजूद भी जदयू  उम्मीदवार अभिराम शर्मा की बुरी हार हुई थी। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार हार के पीछे पूर्व सांसद डॉ  जगदीश शर्मा की कथित उपेक्षा से उत्पन्न उनके समर्थकों की नाराजगी बताई जाती है। तब से ही क्षेत्र में चर्चा का विषय है कि आगामी संसदीय चुनाव में भी पूर्व सांसद डॉ जगदीश शर्मा की राजनीतिक शक्ति का महत्वपूर्ण प्रभाव दिखेगा। जहानाबाद संसदीय क्षेत्र के घोसी ,मखदुमपुर,अतरी एवं अरवल इन चारों विधानसभा क्षेत्रों में पूर्व सांसद के समर्थकों का भरमार है कहा जाता है इन क्षेत्रों में एक पूरी पीढ़ी पूर्व सांसद के सरपरस्ती में जवान हुई है। जहानाबाद संसदीय क्षेत्र में अपने स्वजातीय मतों के अलावा भी अन्य वर्गों के मतों पर पर डॉ जगदीश शर्मा की मजबूत पकड़ बताई जाती है।

वैसे रालोसपा के वर्तमान सांसद डॉ अरुण कुमार क्षेत्र में सक्रिय जरुर है मगर उनके इस कार्यकाल को लेकर उनके समर्थकों में भी खासा उत्साह नहीं देखा जा रहा है। पिछली बार भी डॉ अरुण कुमार ने चुनाव लड़ने की पूरी तैयारी नवादा से कर रखी थी।अंतिम क्षणों में वे चुनाव लड़ने जहानाबाद आए। इस बार रालोसपा भी दो गुटों में बटी हुई है,अगर उपेंद्र कुशवाहा कोई और निर्णय लेते हैं तो डॉ अरुण की उम्मीदवारी को ग्रहण भी लग सकता है।

About Post Author

You may have missed