पटना के पांच प्रिंटिंग प्रेस में पुलिस की छापेमारी, 25 करोड़ से अधिक भारती भवन की नकली किताबें बरामद

पटना। राजधानी पटना में भारी मात्रा में नकली किताबें बरामद हुई हैं। यह कार्रवाई भारती भवन के शिकायत पर की गई थी। जब पुलिस ने प्रिंटिंग प्रेसों पर छापा मारा तो वहां अलग अलग ब्रांड की नकली किताबें मिली। इनमें से सब से ज्यादा सरकारी यानी सीबीएससी और एनसीईआरटी के किताबें सब से अधिक थी। ये सभी किताबें दो दिन में बाजार में निकाल दी जाती। ये सभी किताबें क्लास 6 से क्लास 8 तक की हैं। बताया जाता है कि 25 करोड़ की कुल नकली किताबें बरामद की गई हैं। पुलिस ने सभी प्रिंटिंग को फिलहाल अपने कब्जे में ले लिया है। पुलिस के मुताबिक पटना में इससे ज्यादा नकली किताबें एक साथ नहीं बरामद की गई है। पुलिस ने इसके मुख्य सरगना राकेश कुमार को भी गिरफ्तार किया है। भारती भवन के एक अधिकारी ने बताया कि एक साल से ऐसी शिकायत आ रही थी कि भारती भवन ने प्रकाशन की क्वालिटी खराब हो रही है। जिसके बाद इसकी जांच कराई गई। तो पाया गया कि भारती भवन की पटना में बिकने वाले में 40 प्रतिशत किताबें नकली हैं। जिसके बाद एक टीम बना कर इसके जड़ तक पहुंचने के काम शुरू किया गया। टीम को पटना के रामाकृष्णा नगर थाना इलाके में 3 और बायपास थाना क्षेत्र में दो प्रिंट प्रेस और गोडाउन का पता चला जहां सिर्फ बड़े बड़े ब्रांड्स के का नाम दे कर नकली किताबें छापी जाती हैं।
25 करोड़ की नकली किताब बरामद
भारती भवन ने इसकी सूचना सिटी एसपी पूर्वी भरत सोनी को दी। सिटी एसपी ने सत्यकाम एसडीपीओ 2 सदर पटना और गौरव कुमार एसडीपीओ 2 पटना सिटी को दोनों संबंधित थाना प्रभारियों के साथ छापेमारी का आदेश दिया। जिसके बाद पुलिस ने छापेमारी कर लगभग 25 करोड़ के नकली किताबें बरामद की हैं। जिसके बाद रामकृष्णा नगर थाना और बायपास थाना में मामला दर्ज किया गया है। भारती भवन की शिकायत पर पटना के 5 प्रिंटिंग प्रेस पर छापेमारी की गई। इस प्रेसों में सीबीएससी और एनसीईआरटी, भारती भवन, एस चांद, राजकमल समेत लगभग एक दर्जन प्रकाशन की किताबें छप रहीं थीं। इस प्रिंटिंग प्रेस में प्रिंटिंग मशीन बाइंडिंग मशीन लेबलर कटर के साथ साथ गोडाउन भी थे। इन पांचों में से 3 में तो सिर्फ एनसीईआरटी और सीबीएसई की ही नकली किताबें हीं छापी जा रही थी। जबकि ये दोनों प्रकाशन सरकारी हैं। 25 करोड़ के नकली किताबों में लगभग 20 करोड़ की किताबें एनसीईआरटी और सीबीएसई का ही था। भारती प्रकाशन के 4 करोड़ और बाकी की सब मिला कर लगभग 2 करोड़ की निकली किताबें थी। राकेश पर 2020 में भी रेड पड़ चूका है। उस समय राकेश के 6 ठिकानों से लगभग 9 करोड़ के नकली किताबें बरामद हुई थी। राकेश जेल भी गया। 6 महीने के बाद बेल पर बाहर आ गया। अभी भी वो केस कोर्ट में चल रहा है। राकेश ने जेल से बाहर आने के बाद फिर से यहीं धंधा शुरू कर दिया। पटना में सब से ज्यादा सीबीएसई और एनसीईआरटी की किताबें पढ़ाई जाती है, लिहाजन इनकी किताबें भी बहुत बिकती हैं। अभी लगभग स्कूलों में पढ़ाई शुरू हो गई है या होने वाली है। पटना में इन प्रकाशनों के किताबों की मांग भी बहुत है। लेकिन के दुकानों में कक्षा 6 से कक्षा 8 की किताबें नहीं मिल रही है। अभिभावकों जगह जगह चक्कर लगा रहें हैं। इस समय अगर बाजार में नकली किताबें आ जाती तो सारी किताबें हाथों हाथ बिक जाती। सीबीएसई से मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों में एनसीईआरटी किताब न चला कर निजी प्रकाशकों की किताबें अधिक दामों में बेची जा रही हैं। अभिभावकों को निजी प्रकाशक महंगी किताबें तो खरीदनी पड़ ही रही है। एनसीईआरटी की पुस्तक भी महंगे कीमत में मिल रही है। कक्षा छह से आठ तक में एनसीईआरटी की हिंदी, गणित, विज्ञान, सोशल साइंस, अंग्रेजी की पुस्तकें मार्केट से गायब हैं।

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