पुलिस महकमें के पत्रों ने खोल दी नीतीश सरकार की पोल,गर्दन फंसी तो सरकार आई बैकफुट पर,पत्र को बता दिया भूलवश

पटना।बिहार पुलिस के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के द्वारा जारी किए गए 29 मई के एक पत्र ने पूरे नीतीश सरकार की कार्यशैली का पोल खोल कर रख दिया है। दरअसल गत 29 मई को पुलिस विभाग के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के द्वारा जारी पत्र में सभी जिलों के आरक्षी अधीक्षकों को संबोधित करते हुए लिखा गया था की बड़े पैमाने में जो प्रवासी श्रमिक बिहार आए हुए हैं।उनके वजह से राज्य में अपराधिक घटनाओं में वृद्धि हो सकती है।पत्र में उल्लेखित था कि आने वाले प्रवासी श्रमिकों को बिहार सरकार के द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बावजूद रोजगार मिलने की संभावना कम है। इसलिए जीवनयापन के लिए वे अपराधिक घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं।इस शर्मनाक पत्र के वायरल होने के बाद नीतीश सरकार की बुरी तरह से फजीहत हुई।जिसके बाद आनन-फानन में मात्र एक पंक्ति के पत्र के द्वारा पूर्व के पत्र को वापस लिया गया।इस पूरे प्रकरण में जब सरकार की गर्दन बुरी तरह से फंस गई तब दिनांक 4 जून को बिहार पुलिस के एडीजी लॉ एंड ऑर्डर के द्वारा एक पत्र जारी किया गया।जिसमें सिर्फ यही लिखा था कि 29 मई को जारी किया गया पत्र भूलवश निर्गत हो गया था।जिसे वापस लिया जाता है।हालांकि इस पत्र प्रकरण से बिहार की नीतीश सरकार के कार्यशैली की पोल खुल गई।एक तरफ तो सरकार प्रवासी श्रमिकों के प्रति सहानुभूति दर्शाती है।साथ ही यह दावा करती हैं की वाले सभी प्रवासी श्रमिकों को नीतीश सरकार रोजगार देगी।वहीं प्रदेश का पुलिस महकमा आने वाले प्रवासी श्रमिकों के प्रति दुर्भावनापूर्ण नजरिया पेश करता है। इन दोनों पत्रों के माध्यम से इतना तो जाहिर हो जाता है कि नीतीश सरकार की कार्यशैली अफसरशाही तत्वों के इर्द-गिर्द नाच रही है।एक विभाग का दूसरे विभाग के साथ सामंजस्य का घोर अभाव है।इतने बड़े पद पर बैठे व्यक्ति के द्वारा भूलवश पत्र जारी होना सरकार की घोर लापरवाही को भी उजागर करता है।नीतीश सरकार में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है।इससे पहले भी सरकार के कतिपय अधिकारियों के कई निर्णय के द्वारा राज्य सरकार को फजीहत में डाला जा चुका है।बहरहाल सरकार ने पत्र को भूलवश बताकर वापस तो ले लिया।मगर विपक्ष इसे मुद्दा बनाकर सरकार पर बुरी तरह से हमलावर है।
