पटना में गांधी मूर्ति के पास अनशन पर बैठे पुलिस मित्र, महिलाएं भी शामिल, सरकार के खिलाफ किया प्रदर्शन

पटना। गांधी मैदान में गुरुवार को ग्राम रक्षा दल सह पुलिस मित्रों का अनशन एक गंभीर और तीव्र विरोध प्रदर्शन के रूप में सामने आया। हाथों में तख्तियां लिए ये पुलिस मित्र अपनी लंबे समय से चली आ रही मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे, जिसमें स्थाई नौकरी और वेतनमान की प्रमुखता थी। इस अनशन में महिलाओं की भी भागीदारी दिखी, जो इस संघर्ष की व्यापकता और गंभीरता को दर्शाता है। पुलिस मित्रों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की, जिससे राज्य के प्रशासनिक हलकों में खलबली मच गई। यह विरोध प्रदर्शन उन लाखों पुलिस मित्रों की पीड़ा को सामने लाता है, जो बिना वेतन के पिछले कई वर्षों से सरकार की सेवा कर रहे हैं। इनकी प्रमुख मांगें हैं कि उन्हें उचित वेतनमान और स्थाई नौकरी दी जाए। अनशन पर बैठे पुलिस मित्रों का कहना है कि उनके साथ जो व्यवहार हो रहा है, वह सरकारी सेवाओं का शोषण है। प्रांतीय प्रदेश अध्यक्ष सिकंदर पासवान ने कहा कि बिहार में लगभग 1 लाख पुलिस मित्र हैं, जो बिना किसी उचित मानदेय के काम कर रहे हैं। पिछले 10 वर्षों से ये लोग बिना वेतन, बिना सुरक्षा और बिना किसी स्थायित्व के काम कर रहे हैं। थाने से सिर्फ एक टॉर्च, वर्दी और लाठी देकर इन्हें ड्यूटी पर भेज दिया जाता है। पुलिस मित्रों का कहना है कि अब उनके पड़ोसी भी उन्हें शक की निगाह से देखने लगे हैं, यह सोचते हुए कि वे थाने के मुखबिर हैं। इस तरह की सामाजिक चुनौतियों के बीच, बिना वेतन और बिना स्थायित्व के काम करना उनके लिए बहुत मुश्किल हो गया है। पुलिस मित्रों का यह विरोध प्रदर्शन इस बात का भी परिणाम है कि उन्हें कई नेताओं द्वारा आश्वासन दिए गए थे, लेकिन कोई भी वादा अब तक पूरा नहीं हुआ। नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान समेत कई बड़े नेताओं ने पुलिस मित्रों को स्थाई नौकरी और वेतनमान का आश्वासन दिया था, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। पुलिस मित्रों का कहना है कि इन नेताओं के वादों के बावजूद उनकी स्थिति जस की तस बनी हुई है। उनका आरोप है कि सरकार मुफ्त में उनकी सेवाएं ले रही है, जबकि उन्हें एक उचित वेतन और स्थायित्व की जरूरत है। अनशन के दौरान प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मांग की कि मुफ्त में सेवा लेना बंद किया जाए और सभी पुलिस मित्रों की नौकरी को स्थाई किया जाए। प्रदर्शनकारियों ने यह भी आरोप लगाया कि पटना की सड़कों पर जब वे अपनी मांगों को लेकर शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे थे, तब उन पर लाठीचार्ज किया गया। यह घटना पुलिस मित्रों के मन में गहरी नाराजगी का कारण बनी है, क्योंकि वे खुद पुलिस के साथ सहयोग कर रहे हैं, लेकिन फिर भी उनके साथ इस तरह का व्यवहार किया गया। इस प्रदर्शन में शामिल कई महिलाओं ने भी अपनी नाराजगी जताई और कहा कि वे भी लंबे समय से पुलिस मित्रों के साथ काम कर रही हैं, लेकिन उन्हें भी कोई वेतन नहीं मिला। महिलाओं का यह कहना है कि वे इस अनिश्चितता में कब तक काम करती रहेंगी, और सरकार कब उनकी बात सुनेगी। प्रांतीय प्रदेश अध्यक्ष सिकंदर पासवान ने कहा कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो उनका अनशन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि गांधीजी की मूर्ति के पास 24 घंटे तक आमरण अनशन किया जाएगा, ताकि सरकार उनकी आवाज सुने और उनकी मांगों को पूरा करे। पुलिस मित्रों की यह हड़ताल और अनशन बिहार में एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है, क्योंकि इसमें व्यापक जनसमर्थन है। उनके द्वारा उठाए गए मुद्दे न केवल उनके व्यक्तिगत हितों से जुड़े हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि राज्य में प्रशासनिक सेवाओं और श्रमिकों के साथ किस तरह का व्यवहार हो रहा है। यह विरोध प्रदर्शन पुलिस मित्रों की दशकों से चली आ रही व्यथा का प्रतीक है। बिना वेतन, बिना सुरक्षा और बिना स्थायित्व के काम कर रहे ये लोग अब और अधिक शोषण बर्दाश्त करने की स्थिति में नहीं हैं। उनका यह अनशन राज्य सरकार के लिए एक चेतावनी है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं, तो वे इस आंदोलन को और भी व्यापक बनाएंगे। सरकार को इस मुद्दे को गंभीरता से लेना चाहिए और जल्द ही समाधान के उपाय खोजने चाहिए, ताकि पुलिस मित्रों को उचित मानदेय और स्थायित्व मिल सके। अन्यथा, यह अनशन और विरोध प्रदर्शन आने वाले दिनों में और भी बड़ा रूप ले सकता है, जिससे राज्य की राजनीति और प्रशासन दोनों पर दबाव बढ़ेगा।

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