एम्स पटना के विशेषज्ञों की टीम के शोध में खुलासा : एल्केम लाइफ की फाइटोरिलीफ मेडिसिन कोरोना को हराने में कारगर

* केवल कोरोना के शुरूआती लक्षण वाले 100 मरीजों पर एम्स में हुए परीक्षण में खुलासा
* दस सालों से भारतीय बाजारों में सामान्य फ्लू की दवा के रूप में उपलब्ध है फाइटोरिलीफ मेडिसिन
* बगैर साइड इफेक्ट्स के इम्युनिटी बढ़ाती है फाइटोरिलीफ


फुलवारी शरीफ (अजीत)। कोरोना से भयभीत व संक्रमन ग्रस्त होकर कराह रही पूरी दुनिया के लोगों के लिए पटना एम्स में हुए एक रिसर्च ने राहत भरा पैगाम दिया है। यूं तो अनेकों कंपनियों की दवाओं को चिकित्सक कोरोना से बचने के लिए मरीजों को दे रहे हैं। ऐसे में एल्केम लाइफ की फाइटोरिलीफ मेडिसिन पर एम्स पटना के विशेषज्ञों की टीम ने 100 ऐसे कोरोना पॉजिटिव मरीजों पर रिसर्च किया है, जिनमें कोरोना के शुरूआती लक्षण पाए गए थे। इस परीक्षण में सामने आया है कि जिन्हें यह दवा दी गयी, वे जल्द ही कोरोना को हराने में सफल हुए।
डॉ. योगेश कुमार, डॉ. विनोद पति, डॉ. मुक्ता अग्रवाल, डॉ. दिवेंदु भूषण और डॉ. अमिता कुमारी की टीम ने इस दवा पर क्लिनिकल ट्रायल किया है। ये रिसर्च वैसे 100 कोविड-19 के सामान्य लक्षणों वाले मरीजो पर किया गया है, जो कोरोना पॉजिटिव होने पर होम कोरेंटीन में थे। इन मरीजों को दो ग्रुप में बांटा गया। इनमें एक ग्रुप के मरीजों को स्टैंडर्ड रूप से इलाज किया गया जबकि दूसरे ग्रुप के मरीजों को स्टैंडर्ड के साथ ही फाइटोरिलीफ दवा का डोज भी दिया गया था। दस दिनों बाद जब परिणाम देखा गया तो जिस ग्रुप के मरीजों को फाइटोरिलीफ दवा दिया गया था, उनमें 18 में 15 मरीज जल्द रिकवर होकर निगेटिव पाए गए और जिस ग्रुप के मरीजों को फाइटोरिलीफ दवा नहीं दी गयी थी, उनमें 18 में 7 मरीज ही निगेटिव हुए।
पटना एम्स में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर फाइटोरिलीफ दवा कंपनी के सीईओ नरेंद्र की मौजूदगी में एम्स पटना के डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट और एडिशनल प्रोफेसर डॉ. योगेश ने बताया कि एक शोध में पता चला है कि फाइटोरिलीफ इम्युनिटी बढ़ाती है और कोरोना मरीजों को जल्द रिकवर करने में भी मदद करती है। इस शोध के परिणाम काफी आशाजनक हैं और कोरोना के शुरूआती दौर में बिना किसी साइड इफेक्ट के कोरोना को हराने में कारगर साबित हुई है। डॉ. योगेश ने बताया कि इस मेडिसन को उपयोग करने से कोई साइड इफेक्ट नहीं है और इसे बच्चों को भी चूसने के लिए दिया जा सकता है। यह बच्चों के लिए भी पूरी तरह सुरक्षित है। जिनमें कोरोना के लक्षण नहीं है वैसे लोग भी इस दवा को ले सकते हैं।
उन्होंने बताया यह दवा एक नेचुरल एंटी वायरल एजेंट है जो कोरोना के हलके और शुरूआती लक्षणों को ठीक करने में कारगर है। इसका परीक्षण कोरोना के गंभीर मरीजों पर नहीं किया गया है। यह मेडिसिन चूस कर खाने से ज्यादा असरदार है। उन्होंने कहा कि सभी मरीज जिन्हें बुखार, खांसी, गले में दर्द और वात रोग की परेशानी थी, सभी फाइटोरिलीफ दवा का सेवन करने से पूर्ण रूप से ठीक हुए हैं। आगे बताया कि हाल ही में सौ कोविड-19 मरीज, जिनमें हल्के और माध्यम लक्षण थे, उन्हें एल्केम द्वारा निर्मित फाइटोरिलीफ दवा दी गयी। 10 दिन बाद जब मरीजों का कोरोना टेस्ट किया गया तो नतीजे नेगेटिव आये। डॉ. योगेश ने बताया कि कंपनी ने उनसे पिछले साल मई में इस दवा पर ट्रायल का आग्रह किया था, जिसका नवंबर माह से ट्रायल शुरू कर मार्च तक बेहतर परिणाम पाए गए। उन्होंने स्पष्ट किया है कि वे किसी दवा कंपनी का प्रचार नहीं कर रहे हैं बल्कि एल्केम द्वारा निर्मित फाइटोरिलीफ दवा के कोरोना के हल्के व मध्यम रूप से शिकार मरीजों पर परीक्षण के परिणामों को बता रहे हैं। यह दवा पहले से ही सामान्य फ्लू में उपयोग के लिए बाजारों में उपलब्ध है।
एम्स पटना के डिप्टी मेडिकल सुपरिटेंडेंट और एडिशनल प्रोफेसर डॉ. योगेश ने बताया कि फाइटोरिलीफ चूस टिकिया संक्रमण की जगह मुख गुहा ( मुंह, लार) में अवशोषित हो जाती है, यह वायरस के प्रसार को इसके प्रारंभिक चरण में सीमित करने में मदद करती है। फाइटोरिलीफ मेडिसिन में जो तत्वो का मिश्रण है वह पहले से भी हमलोग घरेलू उपचार में उपयोग करते आ रहे हैं। इस मेडिसन में हल्दी में पाया जाने वाला करक्यूमिनोइड्स के फाइटोएक्टिव्स (औषधीय पौधों में सबसे शक्तिशाली सक्रिय तत्व), अनार में पाया जाने वाला एलाजिक एसिड और अदरक में पाया जाने वाला जिंजरोल और शौगोल शामिल हैं। फाइटोरिलीफ को एल्केम लाइफ द्वारा विकसित किया गया है और इसे यूएस और ईयू से पेटेंट प्रदान किया गया है। इसका चिकित्सकीय परीक्षण किया जा चुका है। फाइटोरिलीफ पर किए गए विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि यह खांसी, सर्दी और फ्लू का कारण बनने वाले वायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा को 4 गुना तक बढ़ाने में प्रभावी है। इसका उपयोग पहले से ही खांसी, सर्दी और फ्लू के लक्षणों के इलाज के लिए वर्षों से किया जा रहा है।

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