राष्ट्रकवि दिनकर को लोग जिस तरह से प्रस्तुत कर रहे, वह बहुत निराशाजनक : प्रो. तरुण

  • ‘स्वाधीनता संग्राम में राष्ट्रकवि दिनकर का साहित्यिक योगदान’ विषय दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ

खगौल/पटना। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय की अंगीभूत ईकाई जगत नारायण लाल कॉलेज और केंद्रीय हिन्दी संस्थान, आगरा के संयुक्त तत्वावधान में कॉलेज परिसर में शुक्रवार को ‘स्वाधीनता संग्राम में राष्ट्रकवि दिनकर का साहित्यिक योगदान’ विषय दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम के उद्घाटनकर्ता और मुख्य वक्ता पटना विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष प्रो. तरुण कुमार थे जबकि उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता प्राचार्य प्रो. निखिल कुमार सिंह कर रहे थे।


उक्त विषय पर बोलते हुए प्रो. तरुण ने कहा कि दिनकर को लोग जिस तरह से प्रस्तुत कर रहे हैं, वह बहुत निराशाजनक है। दिनकर का सपना समावेशी भारत का था। रामधारी सिंह दिनकर जिस उग्र राष्ट्रवाद की चर्चा अपनी साहित्य में करते हैं, वह आज देखने को नहीं मिलता है। वहीं कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि व अखिल भारतीय हिन्दी महासभा के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष व साहित्यकार डॉ. विजयानंद ने कहा, दिनकर ने राष्ट्रवाद के साथ मानवतावाद के दृश्य को भी भारत के पटल पर रखा। उनका सपना था कि हिन्दी साहित्य वैश्विक स्तर तक पहुंचे।
कार्यक्रम की वक्ता व पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय हिन्दी विभाग की अध्यक्ष प्रो. छाया सिन्हा ने भी संबोधित किया। अंत में कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य प्रो. निखिल कुमार सिंह वक्ताओं की तारीफ की। कार्यक्रम का संचालन जेएनएल कॉलेज की विभागध्यक्ष डॉ. सरिता सिन्हा ने किया जबकि अतिथियों का स्वागत डॉ. दिलीप कुमार ने किया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन प्रो. गिरिजेश कुमार नंदन ने किया। उद्घाटन सत्र के बाद दो तकनीकी सत्र हुए जिसमें विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। शनिवार को भी तीन तकनीकी सत्र होंग,े जिसमें शोध पत्र प्रस्तुत किए जाएंगे।

About Post Author

You may have missed