PATNA : निजी विद्यालय बना मॉल, कई गुने अधिक मूल्य पर बिक रहे वस्तुएं

  • अभिभावक मजबूर, मजे में हैं विद्यालय संचालक

पालीगंज (वेद प्रकाश)। पटना के पालीगंज इलाके के कुछ निजी विद्यालय अब मॉल में परिवर्तित होते दिखाई दे रही है। जहां बाजार से कई गुना अधिक मूल्यों पर वस्तुएं बेची जा रही है। जिसे देखते हुए भी सरकार चुप है। वहीं बच्चों के अविभावक परेशान है जबकि उन निजी विद्यालयों के संचालक मजे में है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पालीगंज अनुमंडल क्षेत्र में सैकड़ों छोटे-बड़े निजी विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है। उन विद्यालयों की स्थिति यह है कि विद्यालय अपने आप में एक मॉल बनकर रह गयी है। जहां पढ़ाई लिखाई के समान कलम, कॉपी, पुस्तक से लेकर ड्रेस के नाम पर मौजे-जुते, टाई, सर्ट-पैंट सहित खाने पीने की वस्तुएं भी बिकने लगी है। सबसे बड़ी दुख की बात यह है कि उन वस्तुओं की कीमत बाजार से कई गुना अधिक ली जाती है। सरकारी विद्यालयों में पहली कक्षा की पुस्तकों का मूल्य 50 रुपये होती है, वहीं उन निजी विद्यालयों में पहली कक्षा की पुस्तकों की कीमत 500 रुपये होती है। इतनी ही नहीं, यदि कभी बाजार से वस्तुएं खरीदिये तो विद्यालय की ओर से संचालित खास दुकान में ही मिलेगी, वह भी बाजार से कई गुना अधिक मूल्य पर। कुल मिलाकर देखा जाए तो निजी विद्यालय एक बहुत बड़ी ब्यवसाय बन चुकी है।
एक ओर विद्यालयों की ओर से मनमानी वसूली को लेकर अभिभावक परेशान है तो दूसरी ओर मनमाने ढंग से वसूली करनेवाले विद्यालयों के संचालक मजे में है। वहीं इतना सब कुछ होने के बावजूद भी सरकार चुप है। सरकारी विद्यालयों में न तो पर्याप्त संख्या में शिक्षक है, ना ही कोई समुचित व्यवस्था। फिर भी सरकार शिक्षा व्यवस्था को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। जिस पर चिंता व्यक्त करते हुए स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उन विद्यालयों की मनमानी पर रोक लगाने की मांग सरकार से किया है।
लोगों का कहना है कि इस तरह के विद्यालय संचालकों की पहुंच शिक्षा विभाग के आला अफसरों तथा नेताओं तक है। वहीं कुछ सरकारी नौकरी करने वाले अभिभावक का कहना है कि सरकारी नियमानुसार निजी सह एफलिएटेड विद्यालयों में बच्चों को पढ़ाने पर ही सरकारी लाभ मिल सकती है। वहीं पालीगंज इलाके में सौ विद्यालयों में से कुछ ही विद्यालय एफलिएटेड है। जहां मजबूर होकर सरकारी लाभ प्राप्त करने को लेकर पढ़ने के लिए बच्चों को भेजना पड़ रहा है।

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