मुजफ्फरपुर कांड: मीडिया कवरेज पर गाइडलाइन जारी कर सकता है हाईकोर्ट

सीबीआई ने पटना उच्च न्यायालय में मुहरबंद लिफाफे में रिपोर्ट जमा की

पटना। बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह में 34 लड़कियों के साथ यौन शोषण मामले में सीबीआई ने सोमवार को पटना उच्च न्यायालय में एक मुहरबंद लिफाफे में रिपोर्ट जमा की. सीबीआई के वकील संजय कुमार ने एक मुहरबंद लिफाफे में मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन शोषण मामले में आज पटना उच्च न्यायालय में एक मुहरबंद लिफाफे में रिपोर्ट जमा की। जो मामले की जांच में हुई प्रगति और इस मामले की जांच कर रहे सीबीआई के अधीक्षक जेपी मिश्र के स्थानांतरण से जुडा है। मुख्य न्यायाधीश मुकेश आर शाह और न्यायमूर्ति रवि रंजन की खंडपीठ के समक्ष उक्त रिपोर्ट संजय ने सीबीआई के उपमहानिरीक्षक, पटना की उपस्थिति में जमा किया। खंडपीठ ने मामले की सुनवाई के लिए कल का दिन निर्धारित किया है।
दूसरी ओर, मुजफ्फरपुर बालिका गृह दुष्कर्म कांड से जुड़ी रिपोर्टिंग पर कोर्ट की ओर से रोक लगाये जाने का मुद्दा चर्चा में रहा है। इस मुद्दे पर भी पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश मुकेश आर शाह ने बयान दिया है। उन्होंने मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगाने के पीछे तर्क दिया है कि इससे आरोपियों को अग्रिम रूप से लाभ मिलने की आशंका रहती है। उन्होंने कहा, मैं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मीडिया के खिलाफ नहीं हूं। मगर, व्यापक जनहित में कभी-कभी उचित रोक लगाने की जरूरत होती है। मीडिया ट्रायल नहीं होना चाहिए। आरोपियों को अग्रिम रूप से मीडिया रिपोर्ट से लाभ नहीं पहुंचना चाहिए। पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने मुजफ्फरपुर कांड में अब तक मीडिया की भूमिका की सराहना भी की। उन्होंने कहा कि इस केस को जनता के सामने लाने में मीडिया ने अहम भूमिका अदा की। इसकी सराहना करता हूं। वहीं, बीते दिनों मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड की जांच कर रहे सीबीआई एसपी के ट्रांसफर की घटना पर हाईकोर्ट ने सवाल खड़े किये हैं। मुख्य न्यायाधीश ने सीबीआई से सवाल किया कि कैसे लखनऊ और रांची का प्रभार देख रहे सीबीआई के एसपी को मुजफ्फरपुर बालिका गृह का केस देखने की अतिरिक्त जिम्मेदारी दे दी गयी। सवाल किया कि एक एसपी को तीन राज्यों का चार्ज कैसे दिया जा सकता है? मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि एसपी के ट्रांसफर पर स्पष्टीकरण दिया जाना चाहिए।

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