निचली अदालत के फैसले पर पटना हाईकोर्ट ने की तीखी टिप्पणी, कही ये बात

पटना । पटना उच्च न्यायालय ने बेतिया के इनरवा में एक नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में निचली अदालत के पर्याप्त सबूतों और गवाही नहीं होने के बावजूद आरोपी को 10 साल की सजा व दो लाख के जुर्माने की सजा सुनाने पर तीखी टिप्पणी की है।
पटना हाईकोर्ट ने कहा है कि ऐसे न्यायिक अधिकारी को ट्रेनिंग की सख्त जरूरत है। कोर्ट ने बिहार ज्यूडिशियल एकेडमी के निदेशक को हाईकोर्ट के फैसले के साथ-साथ निचली अदालत के फैसले की प्रति भेजने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा है कि न्यायिक अधिकारियों को ट्रेनिंग दी जाए ताकि भविष्य में ऐसी गलती नहीं दोहराई जा सके।

आपको बता दें कि नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में निचली अदालत ने सुनवाई की थी और आरोपी को सजा सुनाई थी। हाईकोर्ट ने कहा कि दुष्कर्म पीड़िता की मां व परिजन निचली अदालत में साक्ष्य के दौरान घटना से मुकर गए। खुद पीड़िता ने कोर्ट में बहस के दौरान कहा कि वह आरोपी को नहीं पहचान सकती। कोर्ट में पीड़िता का मेडिकल करने वाली महिला डॉक्टर की गवाही भी नहीं हुई लेकिन इसके बावजूद निचली अदालत ने दुष्कर्म के आरोपी को 10 साल की सजा व दो लाख का जुर्माना देने की सजा सुना दी। हाईकोर्ट ने कहा कि न्यायालय सहानुभूति से नहीं बल्कि सबूतों से चलता है। पटना हाईकोर्ट ने इस मामले में निचली अदालत के फैसले को निरस्त करते हुए दोषी को दोष मुक्त कर रिहा कर दिया।

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