पटना हाईकोर्ट का बड़ा फैसला:-अतिक्रमण हटाने में लापरवाही पर थाना प्रभारी होंगे जिम्मेदार,होगी कार्रवाई, डीएम को दिए गए सख्त निर्देश

पटना। पटना उच्च न्यायालय ने शहर में रेलवे स्टेशन परिसरों एवं अन्य सार्वजनिक स्थलों पर हो रहे अतिक्रमण को लेकर एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता रौनक सिंह के द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति पी. बी. बजंथरी और न्यायमूर्ति एस. बी. पी. सिंह की खंडपीठ ने इस आदेश में राज्य के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं और स्पष्ट किया है कि अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

मुख्य बिंदु: रेलवे अधिकारियों की जिम्मेदारी तय

कोर्ट ने अपने पूर्व आदेश में रेलवे अधिकारियों की गलत नामावली पर आपत्ति जताते हुए आदेश में सुधार करते हुए “सीनियर डिवीजनल सिक्योरिटी कमिश्नर, आरपीएफ-प्रतिक्रमी संख्या 7” को जिम्मेदार अधिकारी के रूप में चिन्हित किया। कोर्ट ने निर्देश दिया कि यह अधिकारी एक हलफनामा प्रस्तुत करें जिसमें पार्किंग व्यवस्था, वाहनों के सुगम आवागमन तथा अग्निशमन विभाग से समन्वय की जानकारी हो।

राज्य अधिकारियों पर उठे सवाल

कोर्ट ने पाया कि राज्य अधिकारियों द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई प्रभावी नहीं है। कोर्ट ने उल्लेख किया कि 7 मई 2025 को कुछ क्षेत्रों से अतिक्रमण हटाया गया था, लेकिन मात्र दो दिन बाद, 9 मई को फिर से अतिक्रमण हो गया। इससे यह स्पष्ट होता है कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई केवल औपचारिकता रह गई है और जमीनें दोबारा कब्जा ली जाती हैं, जिससे आमजन को आवागमन में परेशानी होती है।

अतिक्रमणकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई के आदेश

कोर्ट ने जिला प्रशासन को निर्देश दिया है कि ऐसे लोगों की सूची बनाई जाए जो बार-बार अतिक्रमण कर रहे हैं। उनकी पहचान, पता और मोबाइल नंबर सहित एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर अदालत में प्रस्तुत की जाए। यदि कोई व्यक्ति बार-बार अतिक्रमण करता है तो उसके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया है।

थाना प्रभारी सीधे जिम्मेदार, कार्रवाई तय

कोर्ट ने “अरुण कुमार मुखर्जी बनाम राज्य (CWJC No. 2290/1990)” के निर्णय का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि सार्वजनिक भूमि पर दोबारा अतिक्रमण होने की स्थिति में संबंधित थाने के एसएचओ को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। कोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट को निर्देशित किया कि वे सभी संबंधित थानों को स्पष्ट निर्देश जारी करें।

अनुपालन नहीं करने पर SHO पर हो सकती है निलंबन की कार्रवाई

राज्य सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता पी. के. वर्मा ने कोर्ट को अवगत कराया कि जिला मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने SHO को पहले ही नोटिस जारी कर दिए हैं। कोर्ट ने कहा कि यदि SHO इन निर्देशों का पालन नहीं करते हैं तो उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए, जिसमें उन्हें निलंबित करना भी शामिल हो सकता है।

अगली सुनवाई की तिथि तय:

कोर्ट ने इस मामले की अगली सुनवाई 15 जुलाई 2025 को तय की है और जिला मजिस्ट्रेट की व्यक्तिगत उपस्थिति को फिलहाल के लिए स्थगित कर दिया है।

यह आदेश शहर में चल रहे अतिक्रमण और प्रशासनिक उदासीनता पर एक सख्त चेतावनी के रूप में देखा जा रहा है। अदालत ने साफ कर दिया है कि आम जनता की सुविधा में किसी भी तरह की बाधा अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

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