नवमी तिथि को हवन व कन्या पूजन के साथ होगी शारदीय नवरात्र की पूर्णाहुति

पटना। शारदीय नवरात्र के अंतिम पूजा सिद्धिदात्री देवी की आराधना के साथ नवमी तिथि दिन गुरुवार को श्रवण नक्षत्र एवं धृति योग में हवन, कन्या पूजन के साथ संपन्न होगी। गुरुवार को नवमी तिथि दिन में दोपहर 02:31 बजे तक ही है। इसी समय के अंदर ही पाठ की समाप्ति तथा हवन की प्रक्रिया पूरी कर लें। दशमी तिथि दिन शुकवार को देवी विसर्जन के साथ जयंती धारण का पुनीत कार्य संपन्न होगा।

कन्या पूजन देगा शुभ फल मिलेगी सिद्धि

कर्मकांड विशेषज्ञ पंडित राकेश झा शास्त्री के कहा कि भगवती पुराण के अनुसार नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्व है। नवरात्र में छोटी कन्याओं में माता का स्वरूप बताया जाता है। तीन वर्ष से लेकर नौ वर्ष की कन्याएं साक्षात माता का स्वरूप मानी जाती है। छल और कपट से दूर ये कन्यायें पवित्र बताई जाती हैं और कहा जाता है कि जब नवरात्रों में माता पृथ्वी लोक पर आती हैं तो सबसे पहले कन्याओं में ही विराजित होती है। भोजन कराने के बाद कन्याओं को दक्षिणा देनी चाहिए। इस प्रकार महामाया भगवती प्रसन्न होकर मनोरथ पूर्ण करती हैं। ज्योतिषी पंडित झा ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार एक कन्या की पूजा से ऐश्वर्य, दो कन्या की पूजा से भोग और मोक्ष, तीन कन्याओं की अर्चना से धर्म, अर्थ व काम, चार की पूजा से राज्यपद, पांच की पूजा से विद्या, छ: की पूजा से सिद्धि, सात की पूजा से राज्य, आठ की पूजा से संपदा और नौ कन्याओं की पूजा से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में दो साल की कन्या कुमारी, तीन साल की त्रिमूर्ति, चार साल की कल्याणी, पांच साल की रोहिणी, छ: साल की कालिका, सात साल की चंडिका, आठ साल की शाम्भवी, नौ साल की दुर्गा और दस साल की कन्या सुभद्रा मानी जाती हैं।

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