मुजफ्फरपुर में शिक्षकों को केके पाठक ने हड़काया, कहा- अगर नौकरी करनी है तो गांव में घर लेकर रहना होगा

मुजफ्फरपुर। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने मुजफ्फरपुर के रामबाग डायट सेंटर का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने नवचयनित शिक्षकों को सख्त संदेश देते हुए कहा कि नौकरी करनी है तो गांव में ही रहना होगा। उन्होंने कहा कि इस बार भी पोस्टिंग शहर में नहीं बल्कि गांवों में ही होगी। इस दौरान उप विकास आयुक्त आशुतोष द्विवेदी, जिला शिक्षा अधिकारी अजय कुमार सिंह, स्थापना डीपीओ प्रफुल्ल कुमार मिश्र भी मौजूद थे। केके पाठक ने शिक्षकों को निर्देश देते हुए कहा कि उन्हें विद्यालय के आस-पास अधिकतम 12 किमी। की परिधि में ही रहना होगा ताकि विद्यालय आने-जाने में किसी तरह की परेशानी न हो। वे जिला स्कूल स्थित काउंसेलिंग सेंटर और शिक्षा विभाग के कार्यालय का जायजा लेने के बाद रामबाग डायट सेंटर में प्रशिक्षण ले रहे बीपीएससी से चयनित शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे। केके पाठक ने कहा कि प्रशिक्षण केंद्र पर प्रशिक्षण ले रहे शिक्षकों को देखा, इनमें अधिकतर महिलाएं हैं। कहा कि उन्हें भी शहर नहीं भेजा जाएगा। गांव में जाने के लिए मानसिक तौर पर तैयार हो जाएं। गांव में जाना नहीं चाहते तो अभी ही प्रशिक्षण केंद्र से वापस लौट जाएं। प्रथम फेज में नियुक्त शिक्षक स्कूल के आस-पास ही रहते हैं। इस दौरान काउंसेलिंग सेंटर की व्यवस्था एवं काउंसेलिंग प्रक्रिया की जानकारी लेने के बाद अभ्यर्थी की भीड़ देख कर अपर मुख्य सचिव ने कहा कि प्रक्रिया तेज करें। इसे मॉडल सेंटर के रूप में पीपीटी बनाकर अन्य जिलों को भेजें, जिससे सही तरीके से काउंसेलिंग हो सके। आधार कार्ड के क्यूआर कोड में अंतर होने की भी जांच होगी। शिक्षा विभाग ने तत्परता से की शिक्षकों की बहाली: केके पाठक ने कहा कि सरकार से लेकर शिक्षा विभाग ने काफी तत्परता से शिक्षकों की बहाली की है। काफी कम समय में परीक्षा का संचालन और रिजल्ट जारी कर बहाली हुई है। शिक्षकों को 15 दिनों के अंदर स्कूल आवंटित कर दिया जाएगा। स्कूल आवंटन के अगले माह वेतन भी मिलेगा। जबसबकुछ हो रहा है तो शिक्षकों को भी निष्ठा साबित करनी होगी। सरकारी स्कूल में गरीब के बच्चे पढ़ते हैं। इन बच्चे को पढ़ाना शिक्षकों की जिम्मेवारी है। काउंसेलिंग के दौरान सामाजिक विज्ञान, विज्ञान विषय के कई शिक्षकों के सब्जेक्ट कंबीनेशन का मामला भी फंसा। काउंसेलिंग से लेकर पूछताछ काउंटर पर तैनात डाटा कर्मी और अधिकारियों का कहना था कि आयोग का सब्जेक्ट के संबंध में स्पष्ट आदेश है। इसके विरुद्ध वे नहीं जा सकते। कोई अंतिम निर्णय जिला शिक्षा अधिकारी ही ले सकते हैं। जिससे समाधान नहीं होने पर ऐसे चयनित थक हार कर लौट गए।

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