पशु विज्ञान विश्वविद्यालय में क्रोमैटोग्राफिक तकनीक पर पांच दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ

फुलवारी शरीफ | बुधवार को बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय, पटना में क्रोमैटोग्राफिक तकनीक व उसके उपयोग से सम्बंधित पांच दिवसीय प्रशिक्षण-सह-कार्यशाला के शुभारम्भ अवसर पर आयोजित समारोह में विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ रामेशवर सिंह ने कहा की क्रोमैटोग्राफिक के विभिन्न तकनीकों के प्रशिक्षण और उपयोग शोध में यह कार्यशाला काफी सहायक सिद्ध होगी | साथ ही शोधार्थियों और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए हर्बल उत्पादों में मौजूद सक्रिय अवयवों को अलग कर उसपर शोध करने में आसानी होगी । उन्होंने कहा की छात्रों को हमेशा नए नए प्रयोगों को अपने शोध में शामिल करना चाहिए ताकि अपने हुनर और शिक्षा को सार्थक रूप दे सकें |

कार्यशाला में व्याख्याता के तौर पर मौजूद जी.बी. पंत कृषि और तकनीक विश्वविद्यालय, पंतनगर के प्रोफेसर डॉ अबुल हसन ने क्रोमैटोग्राफिक तकनीक के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा किया । डॉ जे.के. प्रसाद, डीन बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय, पटना ने क्रोमैटोग्राफिक के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला साथ ही दवाओं, कीटनाशकों और फाइटोकेमिकल्स में क्रोमैटोग्राफिक द्वारा विश्लेषण तकनीक पर अपना अभिभाषण दिया । निदेशक अनुसंधान डॉ रवींद्र कुमार ने कहा की विश्वविद्यालय द्वारा इस तरह के प्रशिक्षण की आवश्यकता पर जोर दिया जा रहा है जिससे सैद्धांतिक और साथ ही व्यावहारिक तौर पर विषय की समझ साफ और सरल हो सके । इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से कई प्रसिद्ध विशेषज्ञ द्वारा प्रशिक्षण दिया जायेगा जिनमे डॉ. जी.श्रीनिवास राव, प्रोफेसर सह प्रमुख, वेंकटेश्वर पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय, गन्नवरम, (आ.प्र), डॉ तपन कुमार मंडल, प्रोफेसर सह हेड, वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी ऑफ़ एनिमल एंड फिशरीज साइंसेज, के अलावा वाटर्स इंडिया लिमिटेड, बैंगलोर और एंकरॉम प्रा. लिमिटेड, मुंबई द्वारा 25 वैज्ञानिकों और स्नातकोत्तर छात्रों को विभिन्न क्रोमैटोग्राफिक तकनीकों पर प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण-सह-कार्यशाला राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा परियोजना, आईसीएआर, नई दिल्ली के इनोवेशन ग्रांट के तहत औषधि और विष विज्ञान विभाग , बिहार पशु चिकित्सा महाविद्यालय, पटना आयोजित की जा रही है जिसमे डॉ निर्भय कुमार, सहायक प्रोफेसर,औषधि और विष विज्ञान विभाग, इस पांच दिवसीय प्रशिक्षण-सह-कार्यशाला का पाठ्यक्रम समन्वयक के तौर पर मौजूद रहेंगे ।

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