विपक्षी पार्टियों में जातीय जनगणना पर सहमति नहीं बनी, तभी नीतीश ने छोड़ा इंडिया गठबंधन : अशोक चौधरी
पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इंडिया गठबंधन से अलग होने को लेकर विभिन्न राजनीतिक विश्लेषकों ने अपने-अपने दृष्टिकोण प्रस्तुत किए हैं। हाल ही में नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में शामिल मंत्री अशोक चौधरी ने इस फैसले के पीछे जातीय जनगणना के मुद्दे को एक महत्वपूर्ण कारण बताया है। अशोक चौधरी ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जब इंडिया गठबंधन का गठन हुआ था, तब उसमें जातीय जनगणना को लेकर सहमति नहीं बन पाई थी। नीतीश कुमार ने मुंबई में हुई गठबंधन की बैठक में यह प्रस्ताव रखा था कि जातीय जनगणना को एजेंडे में शामिल किया जाए और यह वादा किया जाए कि यदि उनकी सरकार बनती है तो वे इस जनगणना को करवाएंगे। लेकिन इस पर सहमति नहीं बन सकी, क्योंकि ममता बनर्जी ने इस प्रस्ताव का विरोध किया। इस असहमति से नीतीश कुमार को यह अहसास हुआ कि जिन जातियों और वर्गों के हितों की रक्षा के लिए उन्होंने यह कदम उठाया था, उनके लिए वह अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं कर पाएंगे। इसी कारण उन्होंने इंडिया गठबंधन से अलग होने का फैसला लिया। अशोक चौधरी ने आगे यह भी कहा कि आज राहुल गांधी जातीय जनगणना पर अपनी बात कह रहे हैं, लेकिन इसमें और उनकी पार्टी की वास्तविक नीतियों में अंतर है। उन्होंने राहुल गांधी से कहा कि अगर वह इस मुद्दे को लेकर गंभीर हैं, तो उन्हें कांग्रेस शासित राज्यों में इसे लागू करना चाहिए। चौधरी ने यह भी इशारा किया कि सिर्फ बयान देना पर्याप्त नहीं है, बल्कि इसे व्यवहार में लाना भी जरूरी है। इस प्रकार, अशोक चौधरी ने नीतीश कुमार के इंडिया गठबंधन से अलग होने के पीछे जातीय जनगणना के मुद्दे को प्रमुख कारण बताया और विपक्षी दलों की कथनी और करनी के बीच के अंतर पर सवाल उठाए।


