स्वामी सहजानंद सरस्वती आश्रम में मनाई गई परशुराम की जयंती, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद रहे मौजूद

पटना। स्वामी सहजानंद सरस्वती आश्रम में आयोजित भगवान परशुराम की जयंती पर बोलते हुए बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह ने कहा कि भगवान परशुराम भार्गव वंश में जन्मे भगवान विष्णु के छठे अवतार के रूप में जानें जाते हैं। माना जाता है कि इस दिन किया गया दान-पुण्य कभी क्षय नहीं होता। अक्षय तृतीया के दिन जन्म लेने के कारण ही भगवान परशुराम की शक्ति भी अक्षय थी। वही उन्होंने आगे कहा कि 8 चिरंजीवियों में भगवान परशुराम समेत महर्षि वेदव्यास, अश्वत्थामा, राजा बलि, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और ऋषि मार्कंडेय हैं। भगवान परशुराम बचपन से ही भगवान शिव के परम भक्त थे। ये हमेशा ही भगवान की तपस्या में लीन रहा करते थे। तब भगवान शिव ने इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर इन्हें कई तरह के शस्त्र दिए थे, जिसमें एक फरसा भी था। फरसा को परशु भी कहते हैं इस कारण से इनका नाम परशुराम पड़ा।

वही पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम ने श्रीकृष्ण को सुदर्शन चक्र दिया था। बता दे की भगवान परशुराम का जन्म ब्राह्मण कुल में हुआ था, लेकिन ये बहुत ही उग्र एवं तीव्र स्वभाव के थे। कहा जाता है कि राजाओं के अत्याचार एवं अन्यान्य से क्रोधित होकर इन्होंने इक्कीस बार पृथ्वी को उन राजाओं का नाश कर पृथ्वी का कल्याण किये थे। भगवान परशुराम अन्याय एवं अत्याचार के खिलाफ लड़ते रहे। उनके जीवन से हमें यही प्रेरणा मिलती है कि अन्याय के खिलाफ चुप नहीं बैठना चाहिये हमें अपनी आवाज़ बुलंद करनी चाहिये। आज चारों तरफ़ अन्याय एवं अत्याचार का बोल बाला है हमें उसके विरुद्ध हमें खुलकर आवाज़ उठाना चाहिये और संघर्ष करना चाहिये। यही भगवान परशुराम की सबसे बड़ी शिक्षा थी। वही त्रैतायुग से द्वापर युग तक परशुराम के लाखों शिष्य थे। महाभारत काल के वीर योद्धाओं भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण को अस्त्र-शस्त्रों की शिक्षा देने वाले गुरु परशुराम ही थे। हम सब उनके शिष्य ही हैं।

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