समस्तीपुर में जेसीबी से बने गड्ढे में डूबकर 11 वर्षीय छात्रा की दर्दनाक मौत, परिवार में पसरा मातम

समस्तीपुर। बिहार के समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर थाना क्षेत्र में एक बेहद दुखद घटना घटी, जिसमें 11 वर्षीय छात्रा की जेसीबी से बने पानी भरे गड्ढे में डूबकर मृत्यु हो गई। इस घटना ने पूरे गांव को सदमे में डाल दिया है और मृतका के परिवार में मातम का माहौल पसरा हुआ है। यह दर्दनाक घटना विभूतिपुर थाना के चकहबीब पंचायत के शाहपुर परोही गांव की है। मृतका की पहचान शाहपुर परोही गांव निवासी रविंद्र सदा और अरुण देवी की बेटी मंजुला कुमारी के रूप में की गई है। मंजुला मात्र 11 वर्ष की थी और उत्क्रमित मध्य विद्यालय शाहपुर परोही में चौथी कक्षा की छात्रा थी। बुधवार देर शाम को मंजुला गांव के कुछ बच्चों के साथ घास काटने परोही चौर में गई थी। वहां उसने शौच के लिए एक किनारे का सहारा लिया, लेकिन दुर्भाग्यवश उसका पैर फिसल गया, और वह पानी से भरे एक गहरे गड्ढे में गिर गई। यह गड्ढा जेसीबी मशीन से खोदा गया था और उसमें पानी भरा हुआ था, जिससे मंजुला का बचना मुश्किल हो गया। घटना के तुरंत बाद स्थानीय लोगों ने शोर सुनकर वहां भीड़ इकट्ठी कर ली। लोगों ने तुरंत मंजुला को बचाने की कोशिश की और उसे गड्ढे से बाहर निकाला, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। बच्ची की मौत की खबर सुनकर पूरे गांव में मातम छा गया और उसके परिवार के लोग शोक में डूब गए। घटना की सूचना मिलने पर विभूतिपुर थाना की पुलिस गुरुवार सुबह घटनास्थल पर पहुंची। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस द्वारा घटना की छानबीन शुरू कर दी गई है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस दुर्घटना के पीछे कोई लापरवाही तो नहीं थी। गांव के लोगों का कहना है कि जेसीबी से खोदे गए इस तरह के गड्ढे गांव में कई स्थानों पर मौजूद हैं, जो बच्चों और जानवरों के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से इस तरह के गड्ढों को जल्द से जल्द भरने की मांग की है ताकि भविष्य में इस प्रकार की दुखद घटनाएं न हों। मंजुला अपने परिवार में सबसे छोटी थी। उसके दो बड़े भाई, राजाराम दास और रामलाल दास, हैं। मंजुला की मृत्यु से उसके माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। उसकी मां अरुण देवी अपनी बेटी के जाने के गम में टूट चुकी हैं। गांव के लोग और रिश्तेदार उनके दुख को बांटने के लिए उनके पास आ रहे हैं, लेकिन परिवार की इस अपूरणीय क्षति को कोई भी शब्द कम नहीं कर पा रहे हैं। गांव के पूर्व मुखिया और पैक्स अध्यक्ष शशिकांत झा भी मौके पर पहुंचे और मृतका के परिवार को सांत्वना देने में लगे हुए थे। गांव में शोक की लहर दौड़ गई है और लोग इस घटना से गहरा आहत हैं। इस घटना ने ग्रामीण इलाकों में सुरक्षा और बुनियादी सुविधाओं की कमी को उजागर किया है। जेसीबी से खुदाई करके छोड़े गए गड्ढे अक्सर लोगों के लिए खतरनाक साबित होते हैं, खासकर जब उनमें बारिश का पानी भर जाता है। इस मामले में भी ऐसा ही हुआ। गड्ढे में भरे पानी की वजह से मंजुला का फिसलना और उसमें डूबना उसकी जान ले गया। गांव के लोग इस घटना के बाद प्रशासन से नाराज हैं और इस प्रकार के गड्ढों को लेकर प्रशासन की अनदेखी की आलोचना कर रहे हैं। उनका कहना है कि इस तरह के गड्ढे खोदने के बाद उन्हें सुरक्षित तरीके से भरना चाहिए ताकि किसी भी अनहोनी से बचा जा सके। प्रशासन और स्थानीय अधिकारियों की यह जिम्मेदारी बनती है कि वे इस तरह की लापरवाही को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। गांववालों ने प्रशासन से मांग की है कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। ग्रामीण इलाकों में जहां जेसीबी से खुदाई होती है, वहां सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करने चाहिए। इसके अलावा, खुदाई के बाद गड्ढों को तुरंत भरना आवश्यक है ताकि बच्चे और अन्य लोग दुर्घटनाओं से बच सकें। ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लें और गांव के बाकी गड्ढों को भरने का काम शीघ्र शुरू करें। मंजुला जैसी मासूम जान की कीमत पर इस प्रकार की लापरवाही अब और नहीं चल सकती। गांव के लोगों का मानना है कि अगर प्रशासन ने पहले ही उचित कदम उठाए होते तो शायद इस मासूम की जान बचाई जा सकती थी। इस तरह की घटनाएं हमें यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि समाज में जागरूकता और सुरक्षा के प्रति सतर्कता की कितनी जरूरत है। यह हर व्यक्ति की जिम्मेदारी है कि वह अपने आस-पास के वातावरण को सुरक्षित बनाए और यदि कहीं भी किसी प्रकार की असुरक्षा दिखाई दे, तो उसे दूर करने की कोशिश करे। ग्रामीण इलाकों में इस तरह के हादसे अक्सर देखने को मिलते हैं, जहां खुदाई के बाद गड्ढों को भरने की अनदेखी कर दी जाती है। इसके परिणामस्वरूप, बच्चे और पशु अक्सर इन गड्ढों में गिर जाते हैं और अपनी जान गंवा बैठते हैं। इसलिए, यह आवश्यक है कि प्रशासन के साथ-साथ ग्रामीण भी अपनी जिम्मेदारी समझें और सुरक्षा के प्रति जागरूक रहें। समस्तीपुर में हुए इस दुखद हादसे ने पूरे गांव को शोक में डूबो दिया है। मंजुला कुमारी की असमय मृत्यु ने उसकी मां, पिता, भाइयों और पूरे परिवार को गहरे सदमे में डाल दिया है। इस घटना ने प्रशासन की लापरवाही और ग्रामीण इलाकों में सुरक्षा की कमी को उजागर किया है। अब यह प्रशासन और समाज दोनों की जिम्मेदारी है कि इस तरह की घटनाओं से सबक लें और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए उचित कदम उठाएं। इस घटना ने सभी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि जीवन की सुरक्षा को लेकर हम कितने असावधान हो सकते हैं और इसकी कीमत कितनी बड़ी हो सकती है। इसलिए, समाज और प्रशासन दोनों को मिलकर ऐसे कदम उठाने चाहिए जो लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकें, खासकर बच्चों की, ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।

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