भारतीय महिलाओं में बढ़ता ऑस्टीओपरोसिस चिंताजनक : डॉ इंदिरा प्रसाद

फुलवारीशरीफ,अजीत। पटना एम्स के स्त्री व प्रसूति विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ इंदिरा प्रसाद ने बताया कि ऑस्टियोपोरोसिस से पीड़ित महिलाओं की संख्या भारत में बढ़ती जा रही है। ऑस्टियोपोरोसिस में, हड्डियां भंगुर और कमजोर हो जाती हैं, घनत्व और संरचना में बदलाव हो जाती है जिससे कि थोड़ी सी भी खिंचाव ,हल्का झटका लगने या गिरने के परिणामस्वरूप फ्रैक्चर या हड्डी टूट सकती है। उन्होंने कहा कि ऑस्टियोपोरोसिस भारतीय महिलाओं में एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। ऑस्टियोपोरोसिस के कारण रीढ़ या कूल्हे के फ्रैक्चर ज़्यादा होता है। साधारण गिरने के परिणामस्वरूप फ़्रैक्चर या विकलांगता हो सकती है।प्रारंभिक आयु में पीक बोन मास का निर्माण करने की आवश्यकता और गर्भावस्था के समय, स्तनपान, और पेरी- और पोस्टमेनोपॉज़ल वर्षों के दौरान कैल्शियम की बढ़ती आवश्यकताओं को देखते हुए, भारतीय महिलाओं के लिए स्थिति महत्वपूर्ण है। दूध और दुग्ध उत्पाद महंगी वस्तुएं हैं, और निम्न सामाजिक आर्थिक वर्गों द्वारा ये कम मात्रा में ख़रीदा जाता है। इसके अलावा, दूध और दूध उत्पादों का असमान वितरण, जिसमें लड़कों और पुरुषों को बड़े हिस्से में परोसा जाता है, और लड़कियों को कम मात्रा में दिया जाता है ये भी एक कारण है जो स्थिति को खराब करता है।

भारतीय आहार मुख्य रूप से शाकाहारी हैं, और निम्न सामाजिक आर्थिक वर्गों में कुल कैल्शियम सेवन में डेयरी उत्पादों का योगदान न्यूनतम है। सामाजिक कारणों से सूर्य के प्रकाश के संपर्क से बचना, आहार में कैल्शियम का कम सेवन, पर्यावरण प्रदूषण, और एशियाई भारतीयों में उच्च 25 (OH) -d-24-हाइड्रॉक्सिलेज़ एंजाइम हाइपोविटामिनोसिस के कुछ कारण हैं। तैलीय मछली और अन्य विटामिन डी-  युक्त खाद्य पदार्थ भारतीय आहार का एक बहुत छोटा हिस्सा हैं।  स्वस्थ हड्डियों के लिए महिला हार्मोन एस्ट्रोजन आवश्यक है। मेनोपॉज के बाद एस्ट्रोजन का स्तर गिर जाता है।  इससे हड्डियों के घनत्व में तेजी से कमी आती है। डॉक्टर इंदिरा प्रसाद ने बताया कि महिलाओं को ऑस्टियोपोरोसिस होने का और भी अधिक खतरा होता है यदि कम उम्र में मेनपॉज़ आना (45 वर्ष की आयु से पहले)। 45 साल की उम्र से पहले हिस्टरेक्टॉमी, खासकर जब अंडाशय भी हटा दिए जाते हैं। इसके अलावा अनियमित और अनुपस्थित मेन्स्ट्रूअल साइकल। गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को कैल्शियम के क्षरण का उच्च जोखिम होता है अतः उनकी ठीक से देखभाल की जानी चाहिए। पटना एम्स में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर इंदिरा प्रसाद ने आगे बताया इस बीमारी के कई लक्षण हैं जिनमे पीठ दर्द ,शरीर की हाइट कम होना, मुड़ी हुई पास्चर ,पीठ पर उभरा हुआ हड्डी या लिस्थेसिस, सामान्य कमजोरी या आसानी से थक जाना, शरीर में ऐंठन व बार-बार फ्रैक्चर होना है।

इन कारणों से होती है ऑस्टीओपरोसिस की समस्या

ओस्टियोपोरोसिस की समस्या महिलाओ में विटामिन डी की कमी के साथ कम कैल्शियम का सेवन, दो बच्चों के बीच कम अंतर के साथ जल्दी जल्दी गर्भावस्था, लिंग असमानता (हाँ यह अभी भी मौजूद है, बच्चियों को अभी भी दूध नहीं दिया जाता है),पतले रहने के सामाजिक दबाव के कारण कम खाना, डाइयग्नॉस्टिक सुविधाओं की कमी और हड्डियों के स्वास्थ्य की खराब जानकारी,सामाजिक कारणों से धूप के संपर्क में आने से बचना,जल्दी मेनपॉज़ आना और एस्ट्रजेन लेवल की कमी, एंटासिड, स्टेरॉयड मिर्गी और कैंसर की दवा,गतिहीन जीवन शैली, बढ़ती शराब का सेवन और धूम्रपान और तंबाकू का सेवन भी इनके कारण हैं।

ओस्टियोपोरोसिस के उपचार और रोकथाम

डॉ इंदिरा प्रसाद के पति हड्डी,आर्थ्रॉस्कॉपिक,कूल्हा और घुटना प्रत्यारोपण सर्जन डॉ अश्विनी कुमार पंकज ने बताया कि हर पोस्टमेनोपॉज़ल महिलाओं को बोन डेन्सिटी करवाना चाहिए। कैल्शियम और विटामिन डी का अधिक सेवन करनी चाहिए। नियमित व्यायाम बहुत ही ज़रूरी है। दूध और डेयरी उत्पादों का उपयोग। प्रोटीन जैसे सोया, मेवा, फलियां, हरी पत्तेदार सब्जियां। धूम्रपान/शराब से दूर रहने की सलाह भी दी।

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