बिहार के जेलों में अब कैदियों का बनेंगे ई-श्रम कार्ड, रिहाई के बाद रोजगार के मिलेंगे अवसर
पटना। बिहार की जेल व्यवस्था में सुधार की दिशा में राज्य सरकार एक महत्वपूर्ण पहल करने जा रही है। अब प्रदेश की जेलों में बंद कैदियों के लिए ई-श्रम कार्ड बनाए जाएंगे, जिससे उन्हें जेल से रिहा होने के बाद रोजगार और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं से जोड़ा जा सकेगा। इस पहल का उद्देश्य कैदियों को समाज की मुख्यधारा में वापस लाना और उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर देना है।
जेल सुधार की नई पहल
बाढ़ के भाजपा विधायक डॉ. सियाराम सिंह ने एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बातचीत में इस योजना की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वे विधानसभा की कारा कार्य सुधार समिति के सदस्य हैं और समिति की बैठकों में जेलों की स्थिति को बेहतर बनाने पर लगातार चर्चा हो रही है। इसी क्रम में यह निर्णय लिया गया है कि राज्य के सभी कारागारों में बंदियों का ई-श्रम कार्ड बनाया जाएगा। इससे कैदियों की पहचान श्रमिक के रूप में दर्ज होगी और उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सकेगा।
रिहाई के बाद रोजगार से जुड़ने का रास्ता
डॉ. सियाराम सिंह के अनुसार, अक्सर देखा जाता है कि जेल से बाहर आने के बाद कैदियों को रोजगार नहीं मिल पाता, जिससे वे फिर से गलत रास्ते पर चले जाते हैं। ई-श्रम कार्ड बनने के बाद रिहा हुए बंदी श्रम विभाग की योजनाओं से जुड़ सकेंगे। उन्हें मनरेगा, कौशल विकास कार्यक्रम, बीमा और अन्य सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। इससे उनका पुनर्वास आसान होगा और अपराध की पुनरावृत्ति को भी रोका जा सकेगा।
जेलों में मानसिक स्वास्थ्य पर भी जोर
जेल सुधार के तहत केवल रोजगार ही नहीं, बल्कि बंदियों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा। डॉ. सियाराम सिंह ने बताया कि अब प्रत्येक जेल में एक मनोचिकित्सक की तैनाती की जाएगी। इसका उद्देश्य बंदियों की मानसिक स्थिति को समझना और उनकी आपराधिक प्रवृत्ति में सुधार लाना है। कई बार मानसिक तनाव, अवसाद या गुस्से की वजह से लोग अपराध की ओर बढ़ जाते हैं। ऐसे में समय पर काउंसलिंग और उपचार से उनमें सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।
खान-पान और अन्य व्यवस्थाओं में बदलाव
आने वाले समय में जेलों के खान-पान और दैनिक व्यवस्थाओं में भी सुधार किया जाएगा। समिति की बैठकों में यह बात सामने आई है कि कैदियों के भोजन और स्वास्थ्य से जुड़ी सुविधाओं में कई जगह सुधार की जरूरत है। सरकार का प्रयास है कि जेलों को केवल सजा का स्थान न मानकर सुधार और पुनर्वास का केंद्र बनाया जाए, जहां बंदी अपने व्यवहार और सोच में सकारात्मक परिवर्तन ला सकें।
नियमित निरीक्षण की व्यवस्था
विधानसभा कारा कार्य सुधार समिति की बैठक में यह भी निर्णय लिया गया है कि अब प्रत्येक माह जेलों का नियमित निरीक्षण किया जाएगा। इससे जेलों में चल रही व्यवस्थाओं की निगरानी होगी और समय पर खामियों को दूर किया जा सकेगा। निरीक्षण के दौरान कैदियों की समस्याएं, सुरक्षा व्यवस्था, स्वास्थ्य सुविधाएं और प्रशासनिक कामकाज की समीक्षा की जाएगी। जरूरत पड़ने पर तुरंत सुधारात्मक कदम उठाए जाएंगे।
कारा कार्य सुधार समिति की भूमिका
विधानसभा अध्यक्ष द्वारा गठित कारा कार्य सुधार समिति का कार्यकाल 31 मार्च 2026 तक तय किया गया है। इस समिति में कुल 15 सदस्य शामिल हैं। समिति की सभापति निशा सिंह हैं, जबकि अन्य सदस्यों में लाल बाबू प्रसाद गुप्ता, ललित नारायण मंडल, प्रमोद कुमार सिन्हा, कृष्ण मुरारी शरण उर्फ प्रेम मुखिया, कविता देवी, विनय कुमार चौधरी, सियाराम सिंह, नागेंद्र राउत, रंजन कुमार, शंकर प्रसाद, सुभाष सिंह, राजीव रंजन सिंह उर्फ सोनू सिंह, अभिषेक आनंद और राहुल कुमार सिंह शामिल हैं। यह समिति समय-समय पर जेलों की स्थिति की समीक्षा कर सरकार को सुझाव देती है।
जेलों को सुधार केंद्र बनाने का प्रयास
डॉ. सियाराम सिंह ने कहा कि इन सभी सुधारों का मूल उद्देश्य जेलों की छवि बदलना है। जेलों को केवल अपराधियों को बंद रखने की जगह न मानकर उन्हें सुधार और पुनर्वास का केंद्र बनाया जाना चाहिए। यदि कैदी जेल में रहते हुए शिक्षा, प्रशिक्षण और मानसिक सुधार का लाभ लें, तो वे बाहर आकर समाज के लिए उपयोगी नागरिक बन सकते हैं।
समाज और प्रशासन दोनों को होगा लाभ
ई-श्रम कार्ड, रोजगार के अवसर और मानसिक स्वास्थ्य सुविधाओं के जरिए न केवल कैदियों का भविष्य बेहतर होगा, बल्कि समाज को भी इसका लाभ मिलेगा। अपराध की पुनरावृत्ति कम होगी और रिहा हुए लोग सम्मानजनक जीवन जी सकेंगे। प्रशासन के स्तर पर भी इससे जेलों में अनुशासन और व्यवस्था बेहतर होगी। बिहार की जेलों में ई-श्रम कार्ड बनाने और व्यापक सुधार की यह योजना एक सकारात्मक कदम मानी जा रही है। यदि इसे प्रभावी ढंग से लागू किया गया, तो यह जेल सुधार के क्षेत्र में राज्य के लिए एक उदाहरण बन सकती है और हजारों कैदियों को नई जिंदगी शुरू करने का अवसर देगी।


