गांधी मैदान के सरस मेले का निरीक्षण करने पहुंचे नीतीश, कई स्टॉलों का लिया जायजा, महिलाओं से की बातचीत
पटना। बिहार में इन दिनों कड़ाके की ठंड और घने कोहरे का प्रकोप जारी है। सुबह से ही राजधानी पटना समेत पूरे राज्य में ठंड का असर देखने को मिल रहा है। इसी ठंड के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार गुरुवार को राजधानी के गांधी मैदान पहुंचे, जहां उन्होंने सरस मेला 2025 का निरीक्षण किया। मुख्यमंत्री ने मेले में लगे विभिन्न स्टॉलों का जायजा लिया और वहां मौजूद कारीगरों, स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं तथा उद्यमियों से सीधे संवाद किया।
घने कोहरे के बीच गांधी मैदान पहुंचे मुख्यमंत्री
सुबह से ही पटना में घना कोहरा छाया हुआ था, इसके बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सरस मेले के निरीक्षण के लिए गांधी मैदान पहुंचे। उनके आगमन पर मेला परिसर में विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई थी। मुख्यमंत्री के साथ बिहार सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारी, जिला प्रशासन और संबंधित विभागों के अधिकारी भी मौजूद रहे। मुख्यमंत्री के पहुंचते ही मेला परिसर में मौजूद लोगों और आयोजकों ने उनका भव्य स्वागत किया। इस दौरान मेले में आए दर्शकों और कारीगरों में खासा उत्साह देखने को मिला।
विभिन्न स्टॉलों का लिया जायजा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सरस मेले में लगाए गए विभिन्न स्टॉलों का निरीक्षण किया। उन्होंने एक-एक कर स्थानीय उत्पादों, हस्तशिल्प, लोक कलाओं और पारंपरिक वस्तुओं से जुड़े स्टॉलों को देखा। मुख्यमंत्री ने कारीगरों से उनके उत्पादों, बिक्री, बाजार की संभावनाओं और सरकार से मिलने वाली सहायता को लेकर जानकारी ली। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि स्थानीय उत्पादों को बेहतर बाजार और प्रचार मिले, ताकि कारीगरों की आमदनी बढ़ सके।
महिलाओं और स्वयं सहायता समूहों से संवाद
निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा लगाए गए स्टॉलों पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने महिलाओं से बातचीत कर उनके कार्य, उत्पादन प्रक्रिया और रोजगार से जुड़े अनुभवों के बारे में जाना। मुख्यमंत्री ने महिलाओं की सराहना करते हुए कहा कि स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही हैं, जो राज्य के सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सरकार आगे भी महिलाओं को हर संभव सहयोग देती रहेगी।
12 दिसंबर से शुरू हुआ सरस मेला, 28 दिसंबर को होगा समापन
गौरतलब है कि सरस मेला 2025 की शुरुआत 12 दिसंबर को हुई थी और इसका समापन 28 दिसंबर को होगा। इस दौरान प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग मेले में पहुंच रहे हैं। सरस मेला बिहार की सांस्कृतिक धरोहर और स्वदेशी हुनरों का एक भव्य उत्सव माना जाता है। यह मेला न केवल मनोरंजन का केंद्र है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और स्थानीय उद्यमिता को बढ़ावा देने का भी एक मजबूत माध्यम है।
एक मंच पर दिख रही बिहार की विविध संस्कृति
इस वर्ष भी सरस मेले में स्थानीय विशिष्ट उत्पाद, लोक कलाएं, हस्तशिल्प, पारंपरिक संस्कृति और ग्रामीण उद्यमियों की प्रतिभा को एक ही मंच पर प्रस्तुत किया गया है। मेले में मिट्टी के बर्तन, मधुबनी पेंटिंग, सूत और कपड़े से बने उत्पाद, बांस और लकड़ी के हस्तशिल्प, पारंपरिक आभूषण, घरेलू खाद्य सामग्री और जैविक उत्पादों के स्टॉल लोगों को खासा आकर्षित कर रहे हैं।
कारीगरों को पहचान और बाजार देने की पहल
सरस मेला को लेकर अधिकारियों का कहना है कि यह आयोजन स्थानीय कारीगरों और शिल्पकारों को पहचान दिलाने के साथ-साथ उनके उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराने की एक महत्वपूर्ण पहल है। ग्रामीण क्षेत्रों से आए कारीगरों को यहां सीधे ग्राहकों से जुड़ने का मौका मिल रहा है, जिससे उन्हें बिचौलियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। इससे उनकी आय में भी बढ़ोतरी हो रही है।
हर दिन उमड़ रही है भारी भीड़
ठंड के बावजूद सरस मेले में लोगों की भारी भीड़ उमड़ रही है। हर दिन हजारों की संख्या में लोग गांधी मैदान पहुंचकर मेले का आनंद ले रहे हैं। परिवार के साथ आए लोग जहां पारंपरिक खान-पान और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आनंद ले रहे हैं, वहीं युवा वर्ग हस्तशिल्प और स्वदेशी उत्पादों की खरीदारी में रुचि दिखा रहा है।
अधिकारियों को दिए निर्देश
निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मौजूद अधिकारियों को निर्देश दिया कि मेले में आने वाले लोगों को सुविधाजनक व्यवस्था मिले। साफ-सफाई, सुरक्षा, प्रकाश व्यवस्था और यातायात पर विशेष ध्यान देने को कहा गया। साथ ही, कारीगरों और स्टॉल संचालकों को किसी तरह की परेशानी न हो, इसका भी विशेष ख्याल रखने का निर्देश दिया गया।
सरस मेला: ग्रामीण उद्यमिता को नई उड़ान
सरस मेला बिहार में ग्रामीण उद्यमिता, महिला सशक्तिकरण और सांस्कृतिक संरक्षण की दिशा में एक अहम पहल के रूप में देखा जाता है। मुख्यमंत्री के निरीक्षण से कारीगरों और आयोजकों का मनोबल और बढ़ा है। सरकार का उद्देश्य है कि ऐसे आयोजनों के माध्यम से स्थानीय परंपराओं को नई उड़ान मिले और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिले। कड़ाके की ठंड और घने कोहरे के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गांधी मैदान पहुंचकर सरस मेला 2025 का निरीक्षण करना सरकार की संस्कृति, कारीगरों और महिलाओं के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मेले में दिख रही भीड़ और विविधता यह साबित करती है कि सरस मेला बिहार की सांस्कृतिक पहचान का एक मजबूत प्रतीक बन चुका है। आने वाले दिनों में भी मेले में लोगों की भारी भीड़ जुटने की उम्मीद जताई जा रही है।


