नीतीश कैबिनेट की बैठक में 34 एजेंडों पर मुहर: आठ जिलों में खुलेंगे नए कॉलेज, पुनौरा धाम का राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के तर्ज पर विकास, नए पदों के सृजन को मंजूरी

पटना। बिहार की राजनीति में पिछले सत्रह दिनों से जारी चुप्पी और प्रशासनिक ठहराव को तोड़ते हुए शुक्रवार को नीतीश सरकार ने बड़ी प्रशासनिक हलचल पैदा की। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की अहम बैठक में कुल 34 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई, जिससे राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में विकास की नई रफ्तार मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
पुनौरा धाम को राम जन्मभूमि जैसा विकास
बैठक में सबसे अहम निर्णय सीतामढ़ी जिले में स्थित पुनौरा धाम को लेकर लिया गया। यह स्थल मां सीता की जन्मस्थली के रूप में प्रसिद्ध है। सरकार ने इसे अयोध्या के श्रीराम जन्मभूमि की तरह भव्य और धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। इसके लिए उसी डिज़ाइन कंसल्टेंट कंपनी को चुना गया है, जिसने अयोध्या में राम मंदिर का डिज़ाइन तैयार किया था।
नोएडा की कंपनी को सौंपा गया जिम्मा
पुनौरा धाम के विकास के लिए नोएडा की कंपनी मेसर्स डिजाईन एसोसिएट्स इन्कॉरपोरेटेड को जिम्मेदारी दी गई है। यह वही कंपनी है जिसने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की रूपरेखा तैयार की थी। इससे उम्मीद जताई जा रही है कि पुनौरा धाम का स्वरूप भी अत्यंत भव्य और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध होगा।
धार्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
सरकार के इस फैसले से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। पुनौरा धाम को नया रूप देने से सीतामढ़ी जिले के साथ-साथ पूरे मिथिला क्षेत्र में पर्यटन गतिविधियों का विकास होगा। इससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बल मिलेगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। नीतीश सरकार की इस कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसले न सिर्फ प्रशासनिक स्तर पर प्रभाव डालने वाले हैं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं। विशेष रूप से पुनौरा धाम के विकास का निर्णय राज्य की सांस्कृतिक विरासत को वैश्विक मंच पर प्रस्तुत करने की दिशा में एक मजबूत कदम माना जा रहा है।
बिहार के 8 जिलों में खुलेंगे नए डिग्री कॉलेज
बिहार सरकार ने राज्य के शिक्षा क्षेत्र को सुदृढ़ और सशक्त बनाने की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं के अनुरूप अब राज्य के आठ जिलों में नए डिग्री कॉलेज खोले जाएंगे। यह निर्णय खास तौर पर उन क्षेत्रों के युवाओं को उच्च शिक्षा के अधिक अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से लिया गया है, जहां अब तक इसकी पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध नहीं थीं।
किन जिलों में खुलेंगे नए कॉलेज
मुख्यमंत्री की यात्रा के दौरान जो वादे किए गए थे, उन्हें अब अमलीजामा पहनाया जा रहा है। नए डिग्री कॉलेज जिन जिलों में स्थापित किए जाएंगे, वे हैं—मधुबनी, गोरौल, शाम्हों, इमामगंज, अधौरा, कटोरिया, असरगंज और चकाई। ये क्षेत्र अपेक्षाकृत पिछड़े माने जाते हैं, जहां के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए अब तक दूर-दराज के शहरों में जाना पड़ता था।
शैक्षणिक और प्रशासनिक पदों की स्वीकृति
इन आठ कॉलेजों की स्थापना के लिए बिहार सरकार ने कुल 526 पदों को मंजूरी दी है। इसमें 422 पद शैक्षणिक स्टाफ के होंगे, जिसमें हर कॉलेज के लिए एक-एक प्रिंसिपल का पद भी शामिल है। इसके अलावा 104 पद गैर-शैक्षणिक या शिक्षकेत्तर स्टाफ के लिए आरक्षित किए गए हैं, जिनमें प्रशासनिक और तकनीकी कामों को संभालने वाले कर्मी नियुक्त किए जाएंगे।
शिक्षा के क्षेत्र में नया विस्तार
इन डिग्री कॉलेजों के खुलने से स्थानीय छात्रों को उच्च शिक्षा की दिशा में बड़ा लाभ मिलेगा। अब उन्हें दूर शहरों में जाकर पढ़ाई करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, जिससे समय और आर्थिक संसाधनों की भी बचत होगी। साथ ही यह निर्णय महिलाओं के लिए भी एक बड़ी राहत साबित हो सकता है, क्योंकि कई बार अभिभावक बेटियों को बाहर पढ़ने भेजने में असहज महसूस करते हैं। स्थानीय स्तर पर कॉलेज खुलने से उनकी उच्च शिक्षा सुगम होगी।
पिछली कैबिनेट बैठक के फैसले से जुड़ी कड़ी
गौरतलब है कि इससे पहले 8 अप्रैल को बिहार सरकार की हुई कैबिनेट बैठक में भी 27,000 से अधिक नई नियुक्तियों को मंजूरी दी गई थी। यह फैसला राज्य में रोजगार के अवसर बढ़ाने और विभिन्न विभागों में रिक्त पदों को भरने के लिए लिया गया था। अब नए डिग्री कॉलेजों के साथ-साथ शिक्षकों और स्टाफ की नियुक्ति के जरिए शिक्षा के साथ-साथ रोजगार के क्षेत्र में भी प्रगति देखने को मिलेगी।
सरकार की सोच और भविष्य की दिशा
सरकार का यह कदम यह दर्शाता है कि वह शिक्षा को लेकर गंभीर है और विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में शिक्षा की पहुंच बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। यह सिर्फ बुनियादी ढांचे का विकास नहीं है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। शिक्षा का स्तर बढ़ने से पूरे क्षेत्र का विकास संभव है और इससे आने वाले समय में युवाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिलेगी। बिहार के आठ जिलों में नए डिग्री कॉलेजों की स्थापना न केवल शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी पहल है, बल्कि यह स्थानीय विकास और युवाओं के उज्जवल भविष्य की नींव भी रखती है। यह पहल राज्य को एक शिक्षित और सक्षम समाज की ओर अग्रसर करेगी।
समय में बदलाव से बढ़ी जिज्ञासा
कैबिनेट बैठक को लेकर शुरुआत में समय शाम 4 बजे तय किया गया था, लेकिन अंतिम क्षणों में इसे बदलकर सुबह 11 बजे कर दिया गया। इस अचानक बदलाव ने राजनीतिक गलियारों में हलचल और चर्चाएं तेज कर दीं। सचिवालय स्थित कैबिनेट हॉल में आयोजित इस बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए।
6 जिलों में एयरपोर्ट के लिए होगा सर्वे, 2 करोड़ 43 लाख की राशि जारी
बिहार सरकार ने राज्य के छह जिलों में एयरपोर्ट निर्माण की संभावना को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत मधुबनी, वीरपुर, मुंगेर, वाल्मिकीनगर, भागलपुर और सहरसा में हवाई अड्डा बनाए जाने की संभावना का अध्ययन किया जाएगा। इस दिशा में राज्य सरकार ने भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई), नई दिल्ली को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है।
सर्वे के लिए स्वीकृत हुई राशि
इस संभावित परियोजना के पहले चरण यानी सर्वेक्षण कार्य के लिए कुल 2 करोड़ 43 लाख 17 हजार 676 रुपये की राशि स्वीकृत की गई है। इस राशि से इन छह जिलों में तकनीकी, भौगोलिक और पर्यावरणीय पहलुओं का गहन अध्ययन किया जाएगा, ताकि यह तय किया जा सके कि वहां एयरपोर्ट बनाना व्यवहारिक और सुरक्षित है या नहीं।
पर्यटन और व्यापार को मिलेगा बढ़ावा
राज्य सरकार का मानना है कि इन जिलों में हवाई अड्डे का निर्माण वहां के सामाजिक और आर्थिक विकास में एक नई गति लाएगा। इन क्षेत्रों में अब तक सीधी हवाई सेवा की सुविधा नहीं है, जिससे व्यापार, पर्यटन और औद्योगिक गतिविधियों को विस्तार देने में कठिनाई होती है। अगर सर्वेक्षण सकारात्मक रहता है और एयरपोर्ट का निर्माण होता है, तो स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।
एयरपोर्ट निर्माण की चुनौतियां
हालांकि एयरपोर्ट निर्माण आसान प्रक्रिया नहीं है। इसमें भूमि अधिग्रहण, पर्यावरणीय स्वीकृति, जनसंख्या विस्थापन और स्थानीय जनता की सहमति जैसे कई मुद्दे सामने आ सकते हैं। यही वजह है कि पहले चरण में सरकार ने केवल सर्वेक्षण का निर्णय लिया है, जिससे इन सभी पहलुओं की स्पष्ट जानकारी मिल सके।
प्राधिकरण की भूमिका और प्रक्रिया
भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को इस काम के लिए इसलिए चुना गया है क्योंकि यह संस्था देशभर में एयरपोर्ट निर्माण और संचालन का कार्य करती है और इसके पास तकनीकी विशेषज्ञता है। प्राधिकरण इन जिलों में जाकर विस्तृत स्थल निरीक्षण करेगा, जहां संभावित एयरपोर्ट बन सकते हैं। इसके बाद अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा, जिसमें वे बताएंगे कि किस जिले में कहां और कैसे एयरपोर्ट बनाना संभव है।
विकास की दिशा में एक अहम कदम
बिहार के लिए यह पहल बेहद अहम मानी जा रही है, क्योंकि लंबे समय से राज्य के कई हिस्सों में हवाई सेवा की मांग की जा रही थी। खासकर उत्तर बिहार और कोसी क्षेत्र जैसे इलाकों में हवाई संपर्क की कमी के कारण आवागमन और विकास की गति धीमी रही है। ऐसे में अगर यह योजना जमीन पर उतरती है, तो यह प्रदेश के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि साबित हो सकती है।
अंतिम निर्णय सर्वे रिपोर्ट के बाद
फिलहाल राज्य सरकार सर्वेक्षण के परिणामों का इंतजार करेगी। अगर रिपोर्ट सकारात्मक आती है, तो आगे की प्रक्रिया जैसे भूमि अधिग्रहण, परियोजना स्वीकृति और निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा। इससे यह स्पष्ट है कि बिहार सरकार राज्य के हर कोने को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए गंभीरता से प्रयासरत है।
सरकार के विभिन्न विभागों में हजार से अधिक पदों के सृजन को मंजूरी
सरकार ने विभिन्न विभागों में कुल हजार से अधिक नए पदों के सृजन को मंजूरी दी है। इन पदों के सृजन का उद्देश्य सरकारी कामकाज को अधिक प्रभावी बनाना और युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करना है।
नगर विकास विभाग में 663 नए पद
नगर विकास विभाग के अंतर्गत एकीकृत शहरी अभियंत्रण संगठन के 71 कार्यालयों को बेहतर ढंग से संचालित करने के लिए कुल 663 गैर-तकनीकी पदों के सृजन की स्वीकृति दी गई है। इन पदों पर नियुक्ति से शहरी क्षेत्रों में विकास कार्यों की रफ्तार तेज होगी। इन पदों पर सालाना खर्च लगभग 35 करोड़ 27 लाख रुपये आएगा।
महाधिवक्ता कार्यालय में 40 नए पद
कानूनी प्रक्रिया को मजबूत करने के उद्देश्य से महाधिवक्ता कार्यालय में 34 स्थाई पदों के साथ-साथ 6 संविदा आधारित पदों को भी मंजूरी दी गई है। इससे विधिक कार्यों की गुणवत्ता और गति दोनों में सुधार की उम्मीद है।
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में 185 पद
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में अपर जिला भू अर्जन पदाधिकारी के 104 पद और राजस्व अधिकारी सह कानूनगो (भू अर्जन) के 81 पदों के सृजन की स्वीकृति दी गई है। इससे भूमि अधिग्रहण से संबंधित कार्यों में पारदर्शिता और तेजी आने की संभावना है।
बिहार खेल विश्वविद्यालय में 244 पद
राजगीर स्थित बिहार खेल विश्वविद्यालय में कुल 244 पदों को मंजूरी दी गई है। इनमें प्रशासनिक, तकनीकी और अकादमिक श्रेणियों के पद शामिल हैं। इस निर्णय से राज्य में खेल और शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र को मजबूती मिलेगी।
आठ नए डिग्री कॉलेजों के लिए 526 पद
मुख्यमंत्री की यात्रा के दौरान किए गए वादों को पूरा करते हुए सरकार ने आठ जिलों – मधुबनी, गोरौल, शाम्हों, इमामगंज, अधौरा, कटोरिया, असरगंज और चकाई – में नए डिग्री कॉलेज खोलने की घोषणा की है। इन कॉलेजों के लिए कुल 526 पदों को मंजूरी दी गई है, जिनमें 422 पद शिक्षक वर्ग के हैं और 104 पद गैर-शिक्षक स्टाफ के। हर कॉलेज में एक प्रधानाचार्य भी नियुक्त किया जाएगा। इस तरह, बिहार सरकार का यह कदम न सिर्फ सरकारी तंत्र को मजबूत करेगा, बल्कि राज्य के युवाओं के लिए रोजगार के नए दरवाजे भी खोलेगा। यह फैसले राज्य के विकास और सामाजिक सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माने जा रहे हैं।
