एनसीआरबी के क्राइम रेट डाटा-बिहार पुलिस ने खड़े किए सवाल,एडीजी सीआईडी तथा लॉ एंड ऑर्डर ने जारी किया स्टेटमेंट,इमेज बचाने की कवायद

पटना।एनसीआरबी द्वारा वर्ष 2018 के जारी किए अपराध आंकड़ों में पटना को 15 मेट्रोपॉलिटन सिटी में नंबर वन बताया जाने के बाद बिहार पुलिस प्रशासनिक महकमे में खलबली मची हुई है।स्थिति ऐसी आ गई है की बिहार पुलिस के दो एडीजी स्तर के अधिकारी एडीजी सीआईडी विनय कुमार तथा एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अमित कुमार ने एक साथ मीडिया में बिहार पुलिस का पक्ष रखते हुए एनसीआरबी के आंकड़ों पर सवाल खड़े किए।अपने पक्ष में दोनों अधिकारियों ने यह कहा कि एनसीआरबी द्वारा सिर्फ नगर निगम क्षेत्र के क्राइम डाटा तैयार किया जाता है।वही बिहार पुलिस के द्वारा पूरे जिले की आकड़ों की समीक्षा की जाती है।एनसीआरबी द्वारा जारी किए गए डेटा के अनुसार बिहार में बढ़े हुए क्राइम रेट पर अधिकारियों ने बताया कि बिहार में 2017के तुलना में 2018 में विभिन्न प्रकार के अपराधों के ग्राफ में कमी आई है।मगर कैसे एनसीआरबी द्वारा यह क्राइम डाटा जारी किया गया है बिहार पुलिस इसका रिव्यू कराएगी। मीडिया से बातचीत करते हुए एडीजी सीआईडी विनय कुमार तथा एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अमित कुमार ने कहा कि एनसीआरबी के डाटा तथा बिहार पुलिस के आंकड़ों में फर्क है ।बतौर बिहार पुलिस बिहार में 2017 के तुलना में 2018 में अपराध ग्राफ घटा है।

बिहार पुलिस मुख्यालय का दावा है कि 2017 की तुलना में 2018 में संज्ञेय अपराध के मामले में कमी आई है। 2017 में बिहार के अंदर क्राइम रेट 223.9 परसेंट था, जो 2018 में घटकर 221.9 परसेंट पर आ गया।इसी तरह 2017 में आईपीसी क्राइम के मामलों में 171.2 परसेंट था जो घटकर 166.4 परसेंट पर आ गया।हत्या में 2.7 था जो घटकर 2.5 हो गया।दंगा में 11.1 परसेंट था जो घटरकर 8.7 परसेंट पर आ गया। हालांकि इस संबंध में ऐसा माना जा रहा है कि एनसीआरबी के द्वारा जारी किए गए क्राइम रेट के डाटा को दरकिनार भी कर दिया जाए।तो भी वर्ष 2015 के बाद अब तक बिहार में होने वाले संगीन अपराधों की संख्या में भारी बढ़ोतरी दिखती हैं। राजधानी पटना समेत प्रदेश के विभिन्न जिलों में नृत्य दिन अपराधिक घटनाओं में बेतहाशा वृद्धि की खबरें सामने आती हैं। बावजूद इसके बिहार पुलिस अपने इमेज को बचाने के लिए अब एनसीआरबी के आंकड़ों पर ही सवाल खड़ा करने लगी।

About Post Author

You may have missed