पटना में दहेज के लिए महिला की हत्या, ससुराल पक्ष पर आरोप, शरीर पर मिले जख्म के निशान

पटना। बिहार की राजधानी पटना के बाढ़ क्षेत्र में एक हृदय विदारक घटना सामने आई है। दहेज के लिए एक महिला की हत्या का आरोप उसके ससुराल वालों पर लगाया गया है। घटना पंडारक थाना क्षेत्र की है, जहां शादी के तीन साल बाद महिला के शव को गंगा नदी में फेंक दिया गया। इस निर्मम हत्या ने एक बार फिर से समाज में दहेज प्रथा की कुप्रथा को उजागर कर दिया है।
दहेज की मांग बनी हत्या का कारण
मृतका किरण की मां खुशिया देवी ने बताया कि उनकी बेटी की शादी तीन साल पहले पैठानीचक गांव में हुई थी। शादी के बाद से ही ससुराल वाले दहेज की मांग को लेकर उसे मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर रहे थे। वे लगातार 1 लाख रुपये की मांग कर रहे थे और पैसा न मिलने पर छोटी-छोटी बातों पर मारपीट करते थे। मां का आरोप है कि दहेज की मांग पूरी न होने पर ससुराल वालों ने तीन दिन पहले किरण की हत्या कर दी और शव को गंगा नदी में फेंक दिया।
गंगा नदी में तैरता मिला शव
घटना के तीन दिन बाद बेगूसराय जिले के तेघड़ा में गंगा नदी के किनारे किरण का शव तैरता हुआ मिला। परिजनों ने शव पर कई जख्म के निशान होने की बात कही है, जो हत्या की पुष्टि करते हैं। शव को बरामद करने के लिए पुलिस और मछुआरों की मदद ली गई।
परिजनों का आरोप और पुलिस की कार्रवाई
मृतका के परिजनों ने ससुराल पक्ष पर हत्या का सीधा आरोप लगाया है। पंडारक थाना की एसआई खुशबू कुमारी ने बताया कि शव को पोस्टमार्टम के लिए अनुमंडलीय अस्पताल भेजा गया और फिर परिजनों को सौंप दिया गया है। मामले की गहन जांच की जाएगी, और दोषियों को सजा दिलाने का भरोसा दिया गया है।
दहेज प्रथा का अभिशाप
यह घटना समाज में दहेज प्रथा के कारण महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार का एक और ज्वलंत उदाहरण है। दहेज के लिए महिलाओं पर अत्याचार करना न केवल उनके अधिकारों का हनन है, बल्कि यह हमारे समाज के नैतिक पतन को भी दर्शाता है। सरकार ने दहेज प्रथा के खिलाफ सख्त कानून बनाए हैं, लेकिन इनका सही तरीके से पालन न होना और सामाजिक मानसिकता में बदलाव की कमी इस तरह की घटनाओं को रोकने में असमर्थ है।
समाज की जिम्मेदारी
ऐसी घटनाएं समाज को यह सोचने पर मजबूर करती हैं कि क्या केवल कानून बनाना काफी है? जब तक समाज में दहेज को लेकर सोच नहीं बदलेगी और लोग इसे सामाजिक कुरीति नहीं मानेंगे, तब तक इस तरह की घटनाओं को रोक पाना मुश्किल है। साथ ही, पुलिस और प्रशासन को इस मामले में निष्पक्ष और कठोर कार्रवाई करनी चाहिए ताकि दोषियों को सजा मिले और पीड़िता के परिवार को न्याय। पटना के इस हृदयविदारक घटना ने फिर से साबित किया कि दहेज प्रथा जैसी कुप्रथा आज भी समाज में गहराई से जड़ें जमाए हुए है। यह घटना केवल कानून व्यवस्था की नहीं, बल्कि समाज की सोच में बदलाव की जरूरत को भी रेखांकित करती है। दहेज हत्या जैसे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए सख्त कानूनों के साथ-साथ लोगों को जागरूक करने की दिशा में भी ठोस प्रयास किए जाने चाहिए।
