दिल्ली विश्वविद्यालय ने बीए के पाठ्यक्रम से मोहम्मद इकबाल का चैप्टर हटाया, सियासत तेज

नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के बीए प्रोग्राम के राजनीति विज्ञान पाठ्यक्रम में अब ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा’ लिखने वाले कवि मोहम्मद इकबाल को नहीं पढ़ाया जाएगा। डीयू के रजिस्ट्रार विकास गुप्ता ने इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि बीए के राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम में मोहम्मद इकबाल के बारे में नहीं पढ़ाया जाएगा। बता दें कि यह फैसला डीयू की एकेडमिक काउंसिल द्वारा लिया गया है, जिसमें 5 सदस्यों को छोड़कर सभी ने अपनी सहमति जताई है। डीयू में आम आदमी पार्टी समर्थित छात्र संगठन के मीडिया प्रभारी और प्रोफेसर राजेश झा ने बताया कि यह फैसला किया गया है कि अब बीए के राजनीति विज्ञान पाठ्यक्रम में मोहम्मद इकबाल के बारे में नहीं पढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि छात्रों को वही पढ़ाया जाता है जो चैप्टर में होता है। इससे हटकर कुछ अलग नहीं पढ़ाया जाता है। उन्होंने बताया कि एकेडमिक काउंसिल ने इसे पास किया है। अब एक्जीक्यूटिव काउंसिल में यह प्रस्ताव लाया जाएगा। माना जा रहा है कि वहां भी इसे पास कर दिया जाएगा, क्योंकि एक बार जब एकेडमिक काउंसिल से पास होने के बाद एक्जीक्यूटिव काउंसिल में पास होना बस औपचारिकता ही रह जाएगी। एकेडमिक काउंसिल की मीटिंग में राजनीति विज्ञान से जहां मोहम्मद इकबाल को हटाया गया है। वहीं, कई बदलावों को भी मंजूरी मिली है। जैसे डीयू में हिंदू अध्ययन, जनजातीय अध्ययन जैसे विषयों पर नए सेंटर भी बनाए जाएंगे। पाकिस्तान के राष्ट्रीय कवि मोहम्मद इकबाल ने ‘सारे जहां से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा’ लिखा था। इकबाल अपने जमाने में उर्दू और फारसी के अच्छे कवियों में शामिल थे। डीयू के बीए राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम में उन्हें शामिल किया गया था। जहां उनके बारे में पढ़ाया जाता था।
एबीवीपी ने किया स्वागत
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) मोहम्मद इकबाल को राजनीति विज्ञान के चैप्टर से हटाने वाले निर्णय को लेकर स्वागत किया है। एबीवीपी ने ट्वीट किया। मोहम्मद इकबाल को पाठ्यक्रम से हटाने के फैसले की डीयू के छात्रों और एबीवीपी ने सराहना की। कहा कि वह ‘पाकिस्तान के दार्शनिक पिता’ और एक कट्टर तर्कवादी हैं, जिन्होंने जिन्ना को मुस्लिम लीग में नेता के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इकबाल भारत के बंटवारे के लिए उतने ही जिम्मेदार हैं जितने जिन्ना।

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