बिहार का मौसम विभाग अब बनेगा हाईटेक, एआई से 10 दिनों पहले मिलेगा पूर्वानुमान, जुड़ेंगे कई नए फीचर्स

पटना। बिहार सरकार अब मौसम पूर्वानुमान को अधिक सटीक, विस्तृत और आधुनिक बनाने की दिशा में एक बड़ी और ऐतिहासिक पहल करने जा रही है। योजना एवं विकास विभाग के नेतृत्व में बिहार मौसम सेवा केंद्र के अंतर्गत एक नया अत्याधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और मशीन लर्निंग (एमएल) आधारित मौसम मॉडल विकसित किया जा रहा है, जिसकी मदद से राज्यवासियों को अब पंचायत स्तर तक 10 दिन पहले संभावित मौसम की सटीक जानकारी मिल सकेगी। फिलहाल राज्य में मौसम पूर्वानुमान की सेवा केवल पांच दिनों के लिए ही उपलब्ध है, लेकिन इस नई तकनीकी पहल के बाद यह अवधि दोगुनी हो जाएगी। इस परियोजना में देश की प्रतिष्ठित संस्था भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) तकनीकी मार्गदर्शन दे रही है, जबकि एनआईटी पटना ने इसके तकनीकी मूल्यांकन को स्वीकृति दी है। इस हाईटेक मॉडल के पीछे राज्य सरकार का मुख्य उद्देश्य एक मजबूत मल्टी-हजार्ड अर्ली वार्निंग सिस्टम (बहु-आपदा पूर्व चेतावनी प्रणाली) को विकसित करना है, जिससे आपदा प्रबंधन की तैयारियों को वैज्ञानिक आधार पर और अधिक सुदृढ़ किया जा सके। इसके तहत एक उच्च क्षमता वाली हाई परफॉर्मेंस कम्प्यूटेशन फैसिलिटी की भी स्थापना की जा रही है, जिससे मौसम विश्लेषण और पूर्वानुमान की गुणवत्ता राष्ट्रीय स्तर की बन सकेगी। यह नई प्रणाली विशेष रूप से कृषि, आपदा प्रबंधन, शहरी नियोजन और जल संसाधन प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में अत्यंत सहायक सिद्ध होगी। किसान अब मौसम की जानकारी के आधार पर अपनी फसल की बुवाई, कटाई और सिंचाई की बेहतर योजना बना सकेंगे। वहीं, आपदा की स्थिति में लोगों को समय रहते चेतावनी देकर जान-माल की हानि को कम किया जा सकेगा। राज्य सरकार इस सेवा को आम नागरिकों तक पहुंचाने के लिए मोबाइल एप्लिकेशन, वेब पोर्टल और एसएमएस जैसे माध्यमों का उपयोग करेगी। इससे पंचायत स्तर पर भी लोग आसानी से अपने क्षेत्र का आगामी 10 दिनों का मौसम जान सकेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल न केवल तकनीकी दृष्टिकोण से अहम है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय अनिश्चितताओं से निपटने की दिशा में भी बिहार के लिए एक रणनीतिक प्रयास है। यह मॉडल भविष्य में पूरे देश के लिए एक आदर्श प्रणाली के रूप में सामने आ सकता है। बिहार मौसम सेवा केंद्र द्वारा विकसित यह एआई-आधारित मौसम पूर्वानुमान प्रणाली राज्य को एक नई तकनीकी ऊंचाई पर ले जाएगी और इसे आपदा प्रबंधन तथा पर्यावरणीय चेतना के क्षेत्र में अग्रणी बनाएगी।
