December 23, 2025

वायरल वीडियो पर मांझी ने दी सफाई, कहा- हमने केवल रिकाउंटिंग की बात कही, विपक्ष में किया गलत प्रचार

पटना। बिहार की राजनीति में एक बार फिर वायरल वीडियो को लेकर विवाद गहराता नजर आ रहा है। केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के सुप्रीमो जीतनराम मांझी के एक वीडियो के सोशल मीडिया पर सामने आने के बाद सियासी हलकों में तीखी बहस शुरू हो गई है। विपक्षी दल राष्ट्रीय जनता दल ने इस वीडियो के आधार पर मांझी पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जबकि मांझी ने इसे पूरी तरह गलत और भ्रामक प्रचार करार देते हुए अपनी सफाई दी है।
मांझी की सफाई और पक्ष
शनिवार को पटना में मीडिया से बातचीत के दौरान जीतनराम मांझी ने वायरल हो रहे वीडियो को लेकर अपनी बात स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि वीडियो को गलत संदर्भ में पेश किया जा रहा है और उनके बयान का अर्थ तोड़-मरोड़कर जनता के सामने रखा गया है। मांझी के अनुसार, वे केवल चुनाव प्रक्रिया के दौरान रिकाउंटिंग की बात कर रहे थे, न कि किसी प्रकार की चुनावी हेराफेरी की।
2020 के चुनाव का संदर्भ
मांझी ने बताया कि 2020 के विधानसभा चुनाव में उनके प्रत्याशी लगभग 2700 वोटों से चुनाव हार गए थे। इसके बाद नियमों के तहत जिला निर्वाचन पदाधिकारी से रिकाउंटिंग की मांग की गई थी। रिकाउंटिंग के बाद नतीजों में बदलाव हुआ और उनके प्रत्याशी को जीत मिली। मांझी का कहना है कि यह पूरी तरह से वैधानिक प्रक्रिया थी और इसमें किसी तरह की गड़बड़ी नहीं की गई थी।
2025 के चुनाव से जुड़ा उदाहरण
अपने बयान को स्पष्ट करते हुए मांझी ने 2025 के विधानसभा चुनाव का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हाल ही में एक सीट पर रिकाउंटिंग हुई, जिसमें प्रत्याशी केवल 27 वोटों से जीत गया। वहीं एक अन्य मामले में रिकाउंटिंग के बाद जदयू के उम्मीदवार को हार का सामना करना पड़ा। मांझी के अनुसार, इससे यह साफ होता है कि रिकाउंटिंग एक सामान्य और कानूनी प्रक्रिया है, जिसका उपयोग उम्मीदवार कर सकते हैं।
वायरल वीडियो में कही गई बातों का अर्थ
मांझी ने कहा कि वायरल वीडियो में वे यही समझाने की कोशिश कर रहे थे कि जब मतगणना के दौरान वोटों का अंतर कम हो और स्थिति संदिग्ध लगे, तो प्रत्याशी को रिकाउंटिंग की मांग करनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जिस प्रत्याशी का वे उदाहरण दे रहे थे, वह मतगणना के दौरान हार का अंदेशा होते ही वहां से चला गया था। इसी संदर्भ में उन्होंने कहा था कि 2020 में रिकाउंटिंग की मांग की गई थी, इसलिए तब जीत मिली थी।
राजद का आरोप और प्रतिक्रिया
दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनता दल ने मांझी के बयान को गंभीर बताते हुए उन पर चुनाव नतीजों में हेराफेरी का आरोप लगाया है। राजद ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से वीडियो साझा करते हुए दावा किया कि मांझी खुले मंच से यह स्वीकार कर रहे हैं कि 2020 के चुनाव में गयाजी जिले की टिकारी विधानसभा सीट पर तत्कालीन डीएम अभिषेक सिंह की मदद से नतीजों में बदलाव कराया गया था। राजद का कहना है कि यह लोकतंत्र और चुनावी प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े करता है।
मांझी का पलटवार
इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए मांझी ने कहा कि वीडियो के साथ छेड़छाड़ की गई है और उनके शब्दों को गलत तरीके से पेश किया गया है। उन्होंने इसे विपक्ष की ओर से किया गया सोचा-समझा राजनीतिक प्रचार बताया। मांझी ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में भी यह स्पष्ट किया कि उन्होंने कभी भी किसी अधिकारी की मदद से चुनाव नतीजे बदलने की बात नहीं कही है।
जन सुराज पार्टी की मांग
इस विवाद में जन सुराज पार्टी की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मनोज भारती ने कहा कि अगर वीडियो के साथ छेड़छाड़ की गई है, तो जीतनराम मांझी को उसका ओरिजिनल वीडियो सार्वजनिक करना चाहिए। इससे जनता के बीच फैली गलतफहमी दूर हो सकेगी। उन्होंने यह भी मांग की कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए, ताकि सच्चाई सामने आ सके और यह तय हो सके कि आरोप सही हैं या नहीं।
चुनावी प्रक्रिया पर उठते सवाल
इस पूरे विवाद ने एक बार फिर चुनावी प्रक्रिया और सोशल मीडिया की भूमिका पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर जहां नेताओं के बयान तेजी से वायरल होकर राजनीतिक विवाद का रूप ले लेते हैं, वहीं दूसरी ओर यह भी जरूरी हो जाता है कि तथ्यों की सही जांच की जाए। रिकाउंटिंग जैसी वैधानिक प्रक्रिया को गलत तरीके से पेश किए जाने से आम जनता में भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है।
राजनीति में वीडियो वार का दौर
बिहार की राजनीति में हाल के वर्षों में वायरल वीडियो एक बड़ा हथियार बन गए हैं। मंच से दिए गए बयानों के छोटे-छोटे अंश निकालकर उन्हें अलग संदर्भ में पेश किया जाता है, जिससे राजनीतिक माहौल गरमा जाता है। मांझी का यह मामला भी उसी कड़ी में देखा जा रहा है, जहां एक बयान को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष आमने-सामने आ गए हैं। जीतनराम मांझी के वायरल वीडियो को लेकर उठे विवाद ने बिहार की राजनीति में नई बहस छेड़ दी है। मांझी इसे केवल रिकाउंटिंग से जुड़ा सामान्य बयान बता रहे हैं, जबकि विपक्ष इसे चुनावी हेराफेरी से जोड़कर देख रहा है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जांच और तथ्यों के आधार पर इस विवाद का क्या निष्कर्ष निकलता है और जनता के सामने सच्चाई किस रूप में आती है।

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