मधुबनी नरसंहार-बहुत कुछ बोले मंत्री सुमित कुमार सिंह,बदला- प्रतिशोध,ललकार,जातीय विद्वेष…

मधुबनी।मधुबनी जिले के बेनीपट्टी प्रखंड के महमदपुर गांव में हुए नरसंहार को लेकर प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह ने जो बयान दिया है।वह गौर करने लायक है।मंत्री सुमित कुमार सिंह ने इस पूरे प्रकरण को समझ कर पोस्ट के माध्यम से अपने विचार एवं बयान जारी किए हैं।
सोशल मीडिया पर पोस्ट के माध्यम से मंत्री सुमित कुमार सिंह ने कहा है कि अन्याय किसी के साथ हो, उसके हक के लिए धर्म, जाति, बिरादरी और लिंग से परे रह लड़ना मेरा धर्म है। जुल्मी, वहशी किसी समाज का हो उसका शमन मेरा कर्म है। लेकिन किसी दुर्जन का दोष उसके बिरादरी पर थोप जातीय-साम्प्रदायिक विद्वेष फैलाने की किसी भी कोशिश को  मैं कायरता मानता हूं। उसके खिलाफ सदैव लड़ता हूं।मधुबनी के बेनीपट्टी के महम्मदपुर गांव में एक हृदयविदारक घटना घटी है। उसमें एक ही परिवार के पांच व्यक्ति की हत्या कर दी गयी। एक व्यक्ति गम्भीर रूप से घायल हैं। जीवन-मृत्यु से संघर्ष कर रहे हैं। पांच में से एक पूर्व सैनिक के तीन बेटे थे, जिसमें एक बीएसएफ में सब इंस्पेक्टर थे। उनके ही दो और बेटे एवं एक भतीजे की हत्या कर दी गई। इस घटना के बारे में सूचना मिलने के बाद से ही मर्माहत हूं। मधुबनी के आरक्षी अधीक्षक सत्यप्रकाश से घटना के दिन से ही इस मसले के बारे में लगातार जानकारी ले रहा हूं। 12 आरोपियों की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। मेरी कोशिश है कि सभी गिरफ्तार किए जाएं, उन्हें स्पीडी ट्रायल कर शीघ्र कठोरतम सजा दिया जाय जो नजीर बने। एक बात यह बता दूं कि किसी जातीय आग्रह की वजह से इस मामले में प्रयत्नशील नहीं हूं। एक ही परिवार के पांच लोगों का नरसंहार ने मुझे विचलित कर दिया था, उसमें दो हमारे जवान थे, जिन पर हम नाज करते हैं। उनकी हत्या यूं कोई कर देगा तो हम चुप तो नहीं रहेंगे। लेकिन आज जो इस मामले को जातीय विद्वेष का रूप देकर हिंसा का जहर फैलाना चाहते हैं। वह जान लें कि इस नरसंहार का अगुआ और कोई नहीं इन लोगों के ही संरक्षण में पलने वाला गुंडा है, जो खुद को बेनीपट्टी बजरंग दल का मुखिया कहता था। जब वह खुद को बजरंग दल बेनीपट्टी कर्ताधर्ता बता, उस हैसियत से गुंडई करता था उसे कौन संरक्षण देते थे? तब वह एक समुदाय विशेष के खिलाफ नफरत उगलता था तो उसकी पीठ कौन थपथपाते थे, जरा वह सब अपने गिरेबान में झांक लें। हत्यारे को बढ़ावा देंगे तो वह एक दिन वहशी बन आपके गले की हड्डी बन जाएगा।
आज समाज के विभिन्न वर्ग का इतना पतन हुआ है कि लोग वहशी दरिंदे को भी नायक बना देते हैं। सदजनों को भूल, दुर्जनों को नायक बनाने की पतनशील परंपरा के वजह से हत्यारे के बारे में न लिखकर, न्याय स्थापित हो यह मेरी कोशिश है। यह भी जान लें, जो कोई भी ललकार, फुंफकार छोड़ बदले और प्रतिशोध का स्वांग कर रहे हैं। वह सब इंसाफ के हत्यारे हैं, एक और नरसंहार को बढ़ावा देना चाहते हैं। समाज में दरिंदगी का साम्राज्य स्थापित कर अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं। एक अपील है कि अगर आप सच में न्याय के समर्थक हैं, इस परिवार को इंसाफ दिलाना चाहते हैं तो उस वक्त भी इसी बुलंदी से आवाज उठाएं जब जुल्मी आपकी बिरादरी का हो, पीड़ित दूसरे तबके से हों।  तभी आप शूरवीर कहलाएंगे। वरना उस वक्त आपकी खामोशी कायरता ही कहलाएगी।

About Post Author

You may have missed