January 24, 2025

विशेष भूमि सर्वेक्षण के बाद लागू होगी जमीन लगान की नई दरें, कई आधारों पर होगा वर्गीकरण

पटना। बिहार सरकार भूमि सुधार और विवादों के स्थायी समाधान के लिए विशेष भूमि सर्वेक्षण करा रही है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना की अवधि को जुलाई 2026 तक बढ़ा दिया गया है। सर्वेक्षण पूरा होने के बाद राज्य में भूमि की नई पहचान और वर्गीकरण के आधार पर जमीन की नई लगान दरें लागू की जाएंगी। इस विशेष सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य राज्य में भूमि की प्रकृति और उपयोग को स्पष्ट रूप से परिभाषित करना है। वर्तमान में बिहार में जमीन की प्रकृति और उपयोग 1920 में ब्रिटिश काल के दौरान कराए गए कैडेस्ट्रल सर्वे और 1968-1972 के रीविजनल सर्वे पर आधारित है। कई क्षेत्रों में केवल 1920 का सर्वे ही मान्य है, जिससे जमीन की सही प्रकृति और उपयोग में भ्रम की स्थिति बनी रहती है। नई प्रक्रिया के तहत भूमि को गैर-मजरुआ आम, गैर-मजरुआ खास, पुश्तैनी या रैयती के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा। इसके अलावा, जमीन के उपयोग के अनुसार इसे धानहर (खेती योग्य जमीन), आवासीय, भीठ (आवासीय के पास की जमीन) और व्यावसायिक श्रेणियों में बांटा जाएगा। यह वर्गीकरण जमीन के सही उपयोग को सुनिश्चित करेगा और उसके अनुसार लगान की नई दरें तय होंगी।
नई लगान दरों का निर्धारण
सर्वेक्षण के बाद भूमि की किस्म और उसके उपयोग के आधार पर लगान की नई दरें तय की जाएंगी। सरकार का उद्देश्य है कि लगान का निर्धारण भूमि के वास्तविक उपयोग के अनुसार हो, ताकि इसे न्यायसंगत बनाया जा सके।
जमीन विवादों का समाधान
राज्य में भूमि विवादों की अधिक संख्या को देखते हुए सरकार ने इसे कम करने के लिए ठोस कदम उठाए हैं। एडीएम (राजस्व) को जमीन से जुड़े मामलों के समाधान के लिए अधिकृत किया गया है। इसके अलावा, 2009 में बने बिहार भूमि विवाद निराकरण अधिनियम (बीएलडीआर) के तहत जमीन की प्रकृति में बदलाव की शिकायतों की जांच की जाएगी। दोषी पदाधिकारियों पर कार्रवाई करने का भी प्रावधान है।
भूमि सुधार की आवश्यकता
बिहार में भूमि विवाद, भू-स्वामित्व और भूमि उपयोग से जुड़े कई मुद्दे लंबे समय से चल रहे हैं। पुराने सर्वेक्षण और अधूरे डेटा के कारण जमीन की प्रकृति और उपयोग के संबंध में भ्रम बना हुआ है। यह नई प्रक्रिया इन मुद्दों को सुलझाने और जमीन के उपयोग को नियमित करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
सरकार की पहल
सरकार की इस पहल का उद्देश्य भूमि से जुड़े विवादों को कम करना और लगान दरों को पारदर्शी बनाना है। यह वर्गीकरण और नई दरें कृषि, आवास और व्यावसायिक गतिविधियों को संतुलित तरीके से प्रोत्साहित करने में मदद करेंगी। विशेष भूमि सर्वेक्षण के माध्यम से बिहार सरकार न केवल जमीन की प्रकृति और उपयोग को स्पष्ट करने की कोशिश कर रही है, बल्कि भूमि विवादों का समाधान भी सुनिश्चित कर रही है। यह पहल राज्य में भूमि व्यवस्था को अधिक व्यवस्थित और पारदर्शी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

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