एनडीए सरकार पर लालू का हमला, कहा- राज्य मे पुल गिर रहे पर मोदी-नीतीश इसके लिए भी विपक्ष को दोष देंगे

पटना। बिहार में लगातार धराशायी हो रहे पुलों को लेकर विपक्ष ने डबल इंजन सरकार पर तीखा हमला बोला है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव के बाद उनके पिता और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी राज्य और केंद्र सरकार पर जोरदार हमला किया है। गुरुवार को लालू प्रसाद ने कहा कि नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार अब इसके लिए भी विपक्ष को ही दोषी ठहराएंगे। लालू प्रसाद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक दैनिक अखबार की हेडलाइन की कटिंग शेयर करते हुए लिखा, “नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार इसका दोष भी मुगलों, अंग्रेजों और विपक्षियों को ही देंगे। कल एक ही दिन में 5 पुल ढहे। 15 दिन में 12 पुल गिर चुके हैं। पुलियों का कोई हिसाब-किताब नहीं है। इससे पहले तेजस्वी यादव ने भी सोशल मीडिया के जरिए सरकार पर हमला करते हुए कहा था कि तीन जुलाई को बिहार में एक ही दिन में पांच पुल गिर गए। 18 जून से अब तक 12 पुल ध्वस्त हो चुके हैं। नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार इन उपलब्धियों पर खामोश हैं और सोच रहे हैं कि इस मंगलकारी भ्रष्टाचार को जंगलराज में कैसे परिवर्तित करें। बिहार में लगातार पुलों के गिरने का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। बिहार में पुल ढहने के मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता ने पिछले दो साल में 12 पुलों के गिरने का हवाला देते हुए स्ट्रक्चरल ऑडिट कराने का आदेश देने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की है। छोटे-बड़े सभी पुलों के गिरने की घटना की जांच कराने की भी मांग की गई है। इस जनहित याचिका में याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि वह बिहार में पुलों की खराब स्थिति और लगातार हो रही दुर्घटनाओं के मद्देनजर सरकार को सख्त कदम उठाने के आदेश दे। याचिकाकर्ता ने कहा है कि पुलों के गिरने से राज्य में जनता की सुरक्षा को गंभीर खतरा है और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए। लालू और तेजस्वी यादव के आरोपों के जवाब में एनडीए सरकार के किसी भी प्रमुख नेता की प्रतिक्रिया अभी तक नहीं आई है। हालांकि, इस मुद्दे पर विपक्ष और सरकार के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है। जनता भी इस मुद्दे पर चिंतित है और सरकार से ठोस कदम उठाने की मांग कर रही है। यह देखा जाना बाकी है कि सुप्रीम कोर्ट इस याचिका पर क्या निर्णय लेता है और बिहार सरकार पुलों की स्थिति सुधारने के लिए क्या कदम उठाती है। लेकिन यह साफ है कि बिहार में पुलों की गिरती स्थिति अब एक गंभीर राजनीतिक और सामाजिक मुद्दा बन चुकी है। बता दे कि बिहार में मानसून के आगमन के साथ तेजी से कई पुल गिरने की घटनाएं हुई। इसके बाद विपक्ष में इसको लेकर एनडीए सरकार पर हमला बोला वहीं एनडीए के नेताओं ने बचाव करते हुए कहा कि कई पुलों का निर्माण उसे समय शुरू हुआ जब बिहार में महागठबंधन की सरकार थी और तेजस्वी प्रसाद यादव उसे सरकार के उपमुख्यमंत्री थे इसलिए आज से उनको भी पुलों की गिरने की घटनाओं को लेकर बिहार की जनता को जवाब देना चाहिए। वहीं राजद की ओर से कहा गया कि जब हम लोग नौकरी का क्रेडिट लेते हैं तो खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और एनडीए के नेताओं ने कहा है की नौकरी तो बिहार का मुख्यमंत्री देता है इसमें तेजस्वी का योगदान कहां से आ गया इस लिहाज से अब पुलों गिरने की घटनाओं को लेकर भी केवल और केवल मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी बनती है और उन्हें खुद लोगों के सामने आकर इस मामले में जवाब देना चाहिए। साथ ही इन घटनाओं के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी बुधवार देर शाम को पुल गिरने की घटनाओं को लेकर समीक्षा बैठक की और अधिकारियों को कई प्रकार के निर्देश दिए। अब यह आगे देखना होगा कि बिहार में पुलों के गिरने का सिलसिला कब तक चलता है और बिहार सरकार पर मानसून कौन सी नई आफत लेकर आती है।
