वोटर लिस्ट मामले में लालू यादव का हमला, कहा- दो गुजराती बिहारियों से अधिकार छीन रहे, इनको रोकना होगा
पटना। बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर जहां प्रशासनिक तैयारियां जारी हैं, वहीं मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान पर सियासत भी अपने चरम पर पहुंच चुकी है। इस मामले ने तब और तूल पकड़ लिया जब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर तीखा हमला बोला।
लालू यादव का आरोप
राजद प्रमुख लालू यादव ने इस मामले पर सोशल मीडिया मंच ‘X’ के माध्यम से अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि “दो गुजराती मिलकर आठ करोड़ बिहारियों के वोटिंग अधिकार को छीनने की कोशिश कर रहे हैं।” उन्होंने आरोप लगाया कि ये दोनों नेता बिहार, संविधान और लोकतंत्र से नफरत करते हैं। लालू यादव ने बिहारवासियों से अपील की कि वे जागरूक हों और इस कथित साजिश के खिलाफ आवाज़ उठाएं।
राजनीतिक संदर्भ और पृष्ठभूमि
गौरतलब है कि निर्वाचन आयोग द्वारा बिहार में वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू की गई है। इस प्रक्रिया के तहत बीएलओ घर-घर जाकर मतदाताओं से फॉर्म भरवा रहे हैं और उन्हें दस्तावेज़ों के साथ पहचान सत्यापित करने के निर्देश दिए गए हैं। हालांकि, विपक्ष का आरोप है कि यह प्रक्रिया पारदर्शिता से दूर है और इसके ज़रिए लाखों मतदाताओं के नाम सूची से हटाए जा सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में मामला विचाराधीन
इस पूरे मुद्दे पर पहले ही याचिका दायर की जा चुकी है और सुप्रीम कोर्ट ने मामले को स्वीकार कर 10 जुलाई को सुनवाई की तारीख निर्धारित की है। याचिकाकर्ताओं ने इसे असंवैधानिक और लोकतंत्र विरोधी प्रक्रिया बताते हुए रोक लगाने की मांग की है। ऐसे में लालू यादव की टिप्पणी को इस संदर्भ में एक राजनीतिक हस्तक्षेप के रूप में देखा जा रहा है।
लालू की भाषा और रणनीति
लालू यादव हमेशा से अपने स्पष्ट और आम जनता से जुड़े हुए भाषणों के लिए जाने जाते रहे हैं। उनका यह ताजा बयान न केवल केंद्र सरकार पर सीधा हमला है, बल्कि इसके माध्यम से वे बिहार की जनता को भावनात्मक रूप से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। “दो गुजराती बनाम आठ करोड़ बिहारी” की भाषा एक तरह से क्षेत्रीय अस्मिता और अधिकारों की लड़ाई को उभारने की कोशिश है।
राजनीतिक असर और प्रतिक्रिया
लालू यादव के इस बयान पर अभी तक भाजपा की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन यह तय है कि यह बयान बिहार की सियासत को और गरमा देगा। राजद समेत महागठबंधन के अन्य दल इस मुद्दे को चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में हैं। वहीं एनडीए के नेता इसे मात्र एक राजनीतिक स्टंट करार दे रहे हैं।
लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा का आह्वान
अपने बयान के अंत में लालू यादव ने आम जनता से अपील की है कि वे लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के लिए आगे आएं। उनका कहना है कि मताधिकार केवल एक अधिकार नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक व्यवस्था का मूल आधार है, और यदि इसे छीनने की कोशिश हो रही है, तो उसका मिलकर विरोध करना आवश्यक है। बिहार में वोटर लिस्ट का मामला अब केवल प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं रहा, बल्कि यह सीधे-सीधे एक संवेदनशील राजनीतिक मुद्दा बन चुका है। लालू यादव का बयान इस बात का संकेत है कि आगामी चुनावों में यह विषय केंद्र में रहेगा। अब सबकी निगाहें 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं, जिससे यह स्पष्ट हो सकेगा कि लोकतंत्र के इस मूल अधिकार को लेकर आगे का रास्ता क्या होगा।


