नीतीश से आर-पार की लड़ाई के लिए उपेंद्र कुशवाहा का जदयू से इस्तीफा, समर्थकों के साथ नई पार्टी बनाने का किया ऐलान

- पटना में हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में राजद पर बरसे कुशवाहा, कहा- राज्य में नहीं आने देंगे जंगलराज
- नई पार्टी बनाने पर ललन सिंह ने दी शुभकामनाएं, कहा- अब जहां भी रहे वहां स्थिर रहे
- 18 सालों में तीन बार नीतीश का साथ छोड़ चुके हैं उपेंद्र कुशवाहा
पटना। जदयू और नीतीश कुमार से आर-पार की लड़ाई पर उतरे उपेंद्र कुशवाहा ने आखिरकार पार्टी छोड़ने का एलान कर दिया है। पटना में अपने समर्थकों के साथ दो दिनों तक बैठक करने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने जेडीयू छोड़ने का एलान किया। उन्होंने अपने फैसले की जानकारी नीतीश कुमार और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को दे दी है। इससे पहले कुशवाहा की समर्थकों की बैठक में नयी पार्टी बनाने का फैसला लिया गया था। वही मीडिया से बातचीत करते हुए उपेंद्र कुशवाहा ने राष्ट्रीय लोक जनता दल बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता ने नीतीश कुमार को राज्य चलाने की जिम्मेदारी सौंपी थी। जॉर्ज फर्नाडिंस के कारण नीतीश कुमार मुखिया बने थे। उस समय जनता तबाह थी। हमने बिहार की जनता को उस हालात से निकालने के लिए 10-12 साल तक संघर्ष चला। हम सब साथ रहे। बिहार को खौफनाक मंजर से निकालने में पूरी ताकत लगा दी। कुशवाहा ने नीतीश कुमार की तारीफ भी की। उन्होंने कहा कि उस समय नीतीश जी ने बहुत अच्छा काम किया लेकिन अंत भला तो सब भला होता है। बाद में अंत भला नहीं हुआ। वही उपेंद्र कुशवाहा रविवार से पटना में जेडीयू के नेताओं-कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर रहे थे। पूरे बिहार से आये जेडीयू के हजारों कार्यकर्ताओं के साथ दो दिनों तक बैठक करने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने पार्टी छोड़ने का फैसला लिया। कुशवाहा ने कहा कि बिहार में तेजस्वी यादव को सत्ता सौंपने का फैसला इस राज्य को बर्बाद कर देगा। बिहार में फिर से जंगलराज वापस आयेगा। कुशवाहा ने कहा कि समता पार्टी और जेडीयू का गठन ही जंगलराज को खत्म करने के लिए हुआ था। जेडीयू के कार्यकर्ता जंगलराज को वापस नहीं आने देंगे। इसके साथ ही उन्होंने कहा की नीतीश कुमार अपने मन से फैसला नहीं ले रहे हैं। उन्हें दो-तीन लोगों के कॉकस ने घेर लिया है। वे ही नीतीश कुमार से फैसले करवा रहे हैं। कुशवाहा ने कहा कि उन्होंने कई दफे नीतीश कुमार को बताया कि पार्टी कमजोर हो रही है। उन्हें जेडीयू के कार्यकर्ताओं की भावना से अवगत कराया लेकिन कोई बात नहीं सुनी गयी। ऐसे में अब कोई दूसरा रास्ता नहीं बच गया था। इससे पहले, कुशवाहा ने पटना में बैठक बुलाई थी। जिसमें जदयू से जुड़े नेता और कार्यकर्ता शामिल हुए। दो दिनों तक बैठक चली। यह बैठक पटना के सिन्हा लाइब्रेरी परिसर में हुई। बैठक में जितेंद्र नाथ, सुभाष कुशवाहा, माधव आनंद, विधान पार्षद रामेश्वर महतो और रेखा गुप्ता को कुशवाहा ने कार्यक्रम के संचालन की जिम्मेदारी दी थी। सभी लोग पूर्व में जदयू को पदाधिकारी रह चुके हैं। इस बैठक के शुरू होते ही राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि उपेंद्र कुशवाहा जदयू से अपनी राहें अलग करने वाले हैं। आखिरकार, सोमवार को उन्होंने घोषणा भी कर दी।
नई पार्टी बनाने पर ललन सिंह ने दी शुभकामनाएं, कहा- अब जहां भी रहे वहां स्थिर रहे
उपेंद्र कुशवाहा के बाद जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उनको जवाब दिया। उन्होंने कहा कि सुना है वो नई पार्टी बना रहे हैं। उन्हें हमारी ओर से शुभकामनाएं हैं। वो इसके पहले भी जदयू को कई बार छोड़कर जा चुके हैं। उनकी कोई वैल्यू नहीं थी, लेकिन जदयू ने उन्हें किसी लायक बनाया। वो जहां भी जाएं स्थिर से रहें। उपेंद्र कुशवाहा अति महत्वाकांक्षी हैं। कुछ दिनों बाद देख लीजिएगा उनका क्या हश्र होता है। उन्होंने कहा कि पिछले दिसंबर से वो क्या कर रहे थे। कहां-कहां गए। दिल्ली से पटना। पटना से दिल्ली लगे रहे। वो जा रहे थे तो जाएं, इसलिए हम कह रहे थे। निशाना उनका दिल्ली पर था और बता रहे थे कि जदयू कमजोर हो रही है। उनके कुनबे के कई साथी हमसे मिलते रहे। उन लोगों ने ही बताया कि ये अति महत्वाकांक्षी हैं। हम इनके साथ कहीं जाने वाले नहीं हैं।
18 सालों में तीन बार नीतीश का साथ छोड़ चुके हैं उपेंद्र कुशवाहा
उपेंद्र कुशवाहा 2 बार पहले भी नीतीश कुमार का साथ छोड़ चुके हैं। साल 2005 में जब बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी और जेडीयू की अगुआई वाली एनडीए बिहार की सत्ता में आई तब कुशवाहा अपनी ही सीट से चुनाव हार गए। इसके बाद कुशवाहा और नीतीश के बीच दूरियां बढ़ गईं। उन्होंने जेडीयू को छोड़कर नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे। हालांकि साल 2010 में नीतीश के कहने पर कुशवाहा ने घर वापसी की। उपेंद्र एक बार फिर जेडीयू में आ गए, लेकिन ज्यादा दिन तक साथ नहीं रहे। साल 2014 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मार्च 2013 में उपेंद्र कुशवाहा ने अपनी नई पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) बना ली। 2014 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को अपना समर्थन भी दे दिया। बिहार की तीन लोकसभा सीट पर उनकी पार्टी ने चुनाव लड़ा और तीनों सीटें जीत लीं। इसके इनाम में उन्हें मोदी कैबिनेट में जगह मिली और वो मानव संसाधन राज्य मंत्री बने। साल 2018 आते-आते कुशवाहा की पार्टी ढह गई। फिर वे 2019 लोकसभा चुनाव में तेजस्वी यादव के साथ गए, लेकिन एक भी सीट नहीं मिली। फिर उन्होंने अपनी पार्टी का जदयू में विलय कर दिया।
