December 17, 2025

आज से शुरू हुआ खरमास, बंद होंगे मांगलिक कार्य, 14 जनवरी को होगा समाप्त

पटना। आज से खरमास की शुरुआत हो गई है। खरमास के आरंभ होते ही हिंदू धर्म में सभी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन, सगाई, नई दुकान या व्यापार की शुरुआत जैसे कार्य इस अवधि में नहीं किए जाते। धार्मिक मान्यताओं और ज्योतिषीय गणनाओं के अनुसार यह समय शुभ कार्यों के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है। इस बार खरमास की अवधि सामान्य से कुछ अलग रहने वाली है, क्योंकि आठ वर्षों के बाद ऐसा संयोग बना है जब खरमास के दौरान शुक्र ग्रह अस्त रहेंगे। इसी कारण विवाह और अन्य शुभ कार्यों की शुरुआत लगभग डेढ़ महीने बाद ही हो पाएगी।
सूर्य के धनु राशि में प्रवेश से खरमास का आरंभ
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार आज दोपहर 1 बजकर 24 मिनट पर सूर्य धनु राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य के इस गोचर के साथ ही खरमास का आरंभ हो जाता है। सूर्य को संक्रांति और लग्न का राजा माना जाता है। जब सूर्य अपनी राशि बदलते हैं, तो उसका प्रभाव न केवल धार्मिक कार्यों पर पड़ता है, बल्कि ऋतु और मौसम में भी बदलाव देखने को मिलता है। धनु राशि में सूर्य के प्रवेश को ही खरमास का संकेत माना गया है।
14 जनवरी को मकर संक्रांति पर होगा समापन
खरमास का समापन 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन होगा। पंचांग के अनुसार माघ कृष्ण एकादशी की रात 9 बजकर 19 मिनट पर सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेंगे। इसी के साथ खरमास समाप्त हो जाएगा। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही सूर्य उत्तरायण हो जाएंगे और शुभ मांगलिक कार्यों पर लगी रोक हट जाएगी। मकर संक्रांति को हिंदू धर्म में विशेष महत्व दिया जाता है, क्योंकि इसी दिन से दिन बड़े होने लगते हैं और रातें छोटी होने लगती हैं।
मौसम और ऋतु परिवर्तन से जुड़ा है खरमास
खरमास के दौरान हेमंत ऋतु रहती है। जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करते हैं, तो दिन छोटे और रातें लंबी होने लगती हैं। इस समय ठंड का प्रभाव बढ़ जाता है। कई क्षेत्रों में धुंध, कोहरा, बादल, बारिश और पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी भी देखने को मिलती है। जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब धीरे-धीरे मौसम में बदलाव आने लगता है और ठंड का असर कम होने लगता है।
इस बार बसंत पंचमी रहेगा विशेष दिन
हालांकि खरमास के दौरान सामान्य रूप से मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं, लेकिन इस बार बसंत पंचमी एकमात्र अपवाद के रूप में सामने आएगी। 23 जनवरी 2026 को बसंत पंचमी अबूझ मुहूर्त के रूप में रहेगी। इस दिन सगाई, विद्यारंभ, व्यापार की शुरुआत, विशेष वस्तुओं की खरीदारी जैसे कार्य किए जा सकते हैं। हालांकि विवाह जैसे बड़े मांगलिक कार्यों के लिए अभी भी इंतजार करना होगा।
खरमास में क्या करें और क्या न करें
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खरमास के दौरान दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस समय भागवत कथा, रामायण पाठ, गीता पाठ, मंत्र जाप, पूजा-पाठ और व्रत करने का विशेष महत्व है। इसके अलावा प्रसूति स्नान और आध्यात्मिक साधना के लिए भी यह समय उपयुक्त माना जाता है। माना जाता है कि इस अवधि में किए गए धार्मिक कार्यों का फल कई गुना बढ़ जाता है।
सूर्य, गुरु और विवाह योग का संबंध
ज्योतिष के अनुसार विवाह और अन्य शुभ कार्यों के लिए सूर्य, गुरु और शुक्र का बलवान होना आवश्यक माना जाता है। वर के लिए सूर्य का बल और वधु के लिए गुरु और चंद्रमा का बल जरूरी होता है। खरमास के दौरान सूर्य गुरु की राशि धनु में प्रवेश कर जाते हैं, जिससे गुरु निस्तेज हो जाते हैं। इसी कारण इस समय विवाह जैसे मांगलिक कार्य नहीं किए जाते। जब सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तो गुरु फिर से बलवान होते हैं और शुभ कार्यों के योग बनते हैं।
खरमास से जुड़ी पौराणिक कथा
धार्मिक मान्यताओं में खरमास से जुड़ी एक रोचक पौराणिक कथा भी प्रचलित है। कहा जाता है कि भगवान सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर निरंतर ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं। सूर्यदेव को कहीं भी रुकने की अनुमति नहीं है। लेकिन लगातार चलने से उनके घोड़े थक जाते हैं। घोड़ों की हालत देखकर सूर्यदेव का मन द्रवित हो जाता है और वे उन्हें विश्राम देने के लिए तालाब के किनारे ले जाते हैं। उस समय सूर्यदेव दो खर यानी गधों को रथ में जोत लेते हैं। गधों की गति धीमी होने के कारण सूर्य का रथ भी धीमा चलने लगता है। इसी धीमी गति के एक मास को खरमास कहा जाता है। घोड़ों के विश्राम के बाद सूर्य का रथ फिर अपनी सामान्य गति में लौट आता है।
वर्ष में दो बार आता है खरमास
ज्योतिष के अनुसार वर्ष में दो बार खरमास लगता है। पहला धनु मास में और दूसरा मीन मास में। जब सूर्य गुरु की राशियों धनु और मीन में प्रवेश करते हैं, तो खरमास होता है। इसी कारण इन दोनों अवधियों में विवाह और अन्य शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं।
धार्मिक दृष्टि से संयम और साधना का समय
खरमास को संयम, साधना और धार्मिक गतिविधियों का समय माना जाता है। इस अवधि में व्यक्ति को भौतिक कार्यों से थोड़ा विराम लेकर आध्यात्मिक जीवन की ओर ध्यान देने की सलाह दी जाती है। 14 जनवरी को मकर संक्रांति के साथ खरमास समाप्त होगा और इसके बाद एक बार फिर मांगलिक कार्यों की शुरुआत हो सकेगी।

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