जबरदस्त विरोध के बाद जागा पीएमसीएच प्रशासन,वशिष्ठ बाबु के शव को मिलेगा एंबुलेंस,मगर खुल गई नीतीश सरकार की पोल

पटना।सदी के महानतम गणितज्ञ देश के प्रमुख धरोहर तथा बिहार के अनमोल विभूति वशिष्ठ नारायण सिंह के शव के साथ बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा संचालित पीएमसीएच ने जो किया है,वह अपने आप में बिहार सरकार के सुशासन के डपोरशंखी दावों को खोखला साबित करती है।पीएमसीएच प्रशासन ने सदी के महानतम गणितज्ञ के शव को एंबुलेंस भी मुहैया कराना उचित नहीं समझा।इस खबर के फैलते ही चारों ओर बिहार सरकार एवं पीएमसीएच प्रशासन की निंदा हो रही है। प्राप्त सूचना के अनुसार लगातार विरोध की खबरों के बाद पीएमसीएच प्रशासन एंबुलेंस मुहैया कराने को तैयार हो गया।यह विडंबना ही है की एक तरफ तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार वशिष्ठ नारायण सिंह के निधन पर शोक प्रकट करते हैं। वहीं दूसरी ओर उनकी सरकार उनके शव के साथ ऐसे बेगैरत रवैया अपनाती हैं।इसे क्या समझा जाए?पीएमसीएच प्रशासन की करतूत साबित करती हैं कि बिहार सरकार को विभूतियों से कोई लगाव नहीं है बल्कि उनके निधन पर बिहार के हुक्मरान सिर्फ घड़ियाली आंसू बहाते हैं। ज्ञातव्य हो कि गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का गुरुवार को लंबी बीमारी के बाद पटना में निधन हो गया।वशिष्ठ नारायण सिंह की मौत के बाद पटना के पीएमसीएच प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है।वशिष्ठ बाबू के निधन के बाद अस्पताल प्रबंधन द्वारा उनके परिजनों को शव ले जाने के लिए एंबुलेंस तक नहीं उपलब्ध कराया गया।इस महान विभूति के निधन के बाद उनके छोटे भाई ब्लड बैंक के बाहर शव के साथ खड़े दिखे।निधन के बाद पीएमसीएच प्रशासन द्वारा केवल डेथ सर्टिफिकेट (मृत्यु प्रमाणपत्र) देकर पल्ला झाड़ लिया गया। इस दौरान जब वशिष्ठ नारायण सिंह के छोटे भाई से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम अपने पैसे से अपने भाई का शव गांव ले जाएंगे।उन्होंने कहा कि मेरे भाई के निधन की खबर के बाद से न तो कोई अधिकारी आया है और न ही कोई राजनेता।वशिष्ठ नारायण सिंह के छोटे भाई ने कैमरे के सामने रोते हुए कहा कि अंधे के सामने रोना, अपने दिल का खोना। उन्होंने कहा कि मेरे भाई के साथ लगातार अनदेखी हुई है।जब एक मंत्री के कुत्ते का पीएमसीएच में इलाज हो सकता है तो फिर मेरे भाई का क्यों नहीं।

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